आवागमन का अन्त कैसे हो :-
जब तक मन में कामना,
लेगा जनम अनन्त।
मन हो जाय अकाम तो,
हो जन्म मरण का अन्त॥2491॥
"शेर"
बोलो तो कुछ ऐसा बोलो –
कौवे की तरह,
कांव-कांव करने से,
क्या फायदा?
बोलो तो कुछ ऐसा बोलो,
ताकि सनद रहे॥2492॥
सनद रहे अर्थात् वह प्रमाण रहे
विशेष 'शेर'
महर्षि दयानन्द के महान व्यक्तित्व के संदर्भ में शेर :-
गुजरात की श़र ज़मी पर,
एक गुलाब खिल गया।
जिसके आध्यात्मिक तेज से,
गोरों का राज हिल गया॥
जो ज्ञान और तेज का,
आफ़ताब बन गया।
इन्सानियत के लिए तो,
महताब बन गया॥
‘चलो वेदो की ओर’,
यह जयघोष दे गया।
आप जहर पी गया,
भारत को नया जोश दे गया॥
मूलशंकर से वो,
दयानन्द बन गया।
भारत माँ के भाल का,
वो ताज़ बन गया॥
ऐसा हीरा देश को,
नायाब मिल गया।
गुजरात की श़र ज़मी पर,
एक गुलाब खिल गया॥2493॥
सुख प्रवृत्ति में नहीं निवृत्ति में है –
राग,द्वेष, मद,मोह की वृत्ति,
लगा लोभ पर रोक।
महाभारत करवा गई,
भारी दे गई शोक॥2494॥
प्रवृत्ति- काम,क्रोध,राग, द्वेष,ईर्ष्या, घृणा,मद, मोह ,लोभ, अहंकार, मत्सर इत्यादि वृत्तियों के वशीभूत होना पतन का गहवर है।
इनके उग्र रूप के कारण ही भारत में महाभारत जैसा भयंकर युद्ध हुआ। जिसमें समय, सम्पत्ति सम्मान और विज्ञान की अपूर्णीय क्षति हुई जिसका प्रत्येक भारतवाशी को गहरा दु:ख भी है पश्चाताप भी है।
निवृत्ति :- उपरोक्त वृत्तियों पर नियंत्रण रखना ही निवृत्ति का मार्ग है, जो मनुष्य के लिए श्रेयस्कर है।
क्रमशः