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प्रखर राष्ट्रवादी एवं कर्तव्यनिष्ठ राष्ट्र भक्त श्री सागर जी चिंतना के संस्थापक हैं जिसमे प्रबुद्ध नागरिक विभिन्न प्रकार की गोष्ठियों में समसामयिक विषयों पर चर्चा करते हैं और वे समाज की जागरूकता बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है.
घृणित राजनीति, धर्मांधता, ओछा व्यक्तित्व और छुद्र मानसिकता से ग्रसित तीन मुस्लिम पक्षों ने मिलकर विशाल राष्ट्र के तीन टुकड़े कर पुश्तैनी जागीर की तरह बांट लिए.
राष्ट्र की स्वाधीनता राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते भुला दी गई और निरपराध नागरिकों को अमानुषिक यातनाएं और मृत्यु मिलीं.
आज हम चार खण्डों में लिखी गई उनकी पुस्तक विभाजन कालीन भारत के साक्षी के द्वितीय खंड की विषय वस्तु पर परिचर्चा कर रहे हैं जिसे पैट्रियोट्स फॉरम द्वारा आयोजित किया जा रहा है. हम राष्ट्र में जनसांख्यकी असंतुलन के दुष्परिणामों और जिहादी मानसिकता के विरोध में किये जाने वाले सभी सक्षम प्रयासों का समर्थन करते हैं.
परिचर्चा में जुडने तथा प्रश्नोत्तर के लिये निम्न लिंक का प्रयोग करें -https://www.youtube.com/watch?v=mddvqlp0VRA