जैसा मन में विचार हो, वैसा वो वाणी – व्यवहार।
व्यवहार का आधार आपकी वाणी है –
जैसा मन में विचार हो,
वैसा वो वाणी – व्यवहार।
जैसा लोक व्यवहार हो,
वैसा हो संसार॥2481॥
सांसारिक सम्बन्धों का आधार समवेदनाएँ हैं-
समवेदना संसार में,
रिश्तो का आधार ।
करुणा प्रेम की ज्योति से,
दूर करें अन्धकार॥2482॥
2) संवेदनाएँ अमूर्त है किन्तु उनका प्रभाव मूर्त है :-
संवेदना तो अमूर्त है,
किन्तु मूर्त प्रभाव।
प्रभु – प्रदत्त पतवार है,
पार लगावे नाव॥2483॥
हृदय समवेदनाओं का स्रोत है –
संमवेदना की श्रृंखला,
हृदय रहा उकेर।
सद्भावों के पुष्प है,
स्वजन ओर बिखेर॥2484॥
मन साहस और उल्लास का स्रोत है इसे कभी निराश मन कर –
मन का असर, तन पर पड़े,
मत कर इसे निराश।
मन में शक्ति अनन्त है,
साहस और उल्लास॥2485॥
साहस अर्थात् हिम्मत, हौसला उल्लास अर्थात् चाव
स्थूल से सूक्ष्म महान है-
यान दिखै ऊर्जा नहीं,
ऊची भरे उड़ान।
मानव तन में होंसला,
करता उसे महान॥2486॥
अपनों के बिना बड़प्पन सूना लगता है –
पहाड़ी बनी पहाड़ तो,
हरियाली गई छूट।
हिम की चादर ओढ़कै,
मन ही मन गया टूट॥2487॥
आत्मानुशासन ही श्रेय मार्ग है –
आत्मानुशासन कठिन है,
सरल है मन की दौड़।
जो चाहे कल्याण तों ,
मन को ‘स्व’ से जोड़॥2488॥
‘स्व’ अर्थात् आत्मा
काश! तेरी आत्मा को ‘देवयान मार्ग’ मिले :-
देवयान के मार्ग से,
जाता कोई ‘शूर’।
ब्रह्मलोक में वास हो,
मिले नूर से नूर॥2489॥
शूर अर्थात् सूरमा
माता- पिता और गुरू का आशीष कितना फलदायक है:-
धन सम्पदा सुयश में,
वृद्धि करे जगदीश ।
मात-पित और गुरुजन,
जब देते आशीष॥3490॥
क्रमशः