भारतीय परम्परा में महिलाओं को पूज्यनीय मानकर आदर और सम्मान दिया जता है।लेकिन इतिहास साक्षी है की जब भी किसी विदेशी वर्णसंकर महिला के हाथों में असीमित अधिकार आजाते हैं तो वह सत्ता के मद में अंधी हो जाती है।और देश,समाज,व् अपने परिवार के लिए घातक बन जाती है। ऎसी महिला अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने सहयोगिओं ,मित्रों और निकट सम्बंधिओं की बली लेने से भी नहीं चूकती है। पिछले तीस सालों के इतिहास का अवलोकन करने पर हमें पता चलता है की इस दौरान कुछ ऐसे बहुचार्तित ,प्रसिद्ध व्यक्तिओं की विभिन्न कारणों से अप्रत्याशित रूप से मौतें हुई हैं जिनका सम्बन्ध सोनिया गांधी और उसके परिवार से था। पहली नज़र ने यह सभी मामले आकस्मिक दुर्घटना या आत्महत्या के लगते हैं ,लेकिन गहराई से खोज करने पर कुछ और ही सच्चाई सामने आती है.क्योंकि इन सभी मामलों की न तो ठीक से कोई जांच ही करायी गयी और न ही उन आधी अधूरी जांचों की रिपोर्ट ही सार्वजनिक की गयी। केवल खानापूर्ति करके सभी मामले ठंडे बस्ते डाल दिया गया।सभी जानते हैं की सोनिया एक कुटिल और चालाक महिला है। उसका एकमात्र उद्देश्य सत्ता हथियाना और अपने कपूत राहुल को प्रधान मंत्री बनाना है ।इस योजना को सफल बनाने के लिए सोनिया ने 1980 के पाहिले से ही शतरंज की बाजी बिछा रखी थी। और जो मोहरा उसके सामने आता गया वह बड़ी चालाकी से उसे हटाती गयी। और अपने बेटे के लिए रास्ता साफ़ करती गयी।सोनिया की लड़की प्रियंका भी अपनी माँ की तरह धूर्त और शातिर है ।इसने अपने रूप जाल में अपनी मक्कारी और कुटिलता को छुपा रखा है। इसलिए आज यह बेहद जरूरी है की दिए जारहे इन सभी मामलों की सच्चाई ,लोगों के सामने प्रस्तुत की जाए। ताकि लोगों के सामने सोनिया और प्रियंका का असली घिनावना चेहरा जनता के सामने आ जाए ,जिसे यह दोनों अपनी भोलीभाली सूरत में छुपा कर देश के लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। कुछ प्रसिध्ध घटनाएं इस प्रकार हैं –
1-संजय गांधी -(मृत्यु दिनांक 23 अक्टूबर 1980 )
संजय गांधी होनहार नेता के सभी गुण मौजूद थे। इसीलिए इंदिरा गांधी उसे ही अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी। संजय का हिंदुत्व के प्रति कुछ अधिक ही झुकाव था जो कुछ कान्ग्रेसिओं,और खासकर सोनिया को बिल्कुल ही पसंद नहीं था। सोनिया का संजय से नफ़रत करने का एक और भी कारण था। जिस समय इंदिरा ने राजीव को पढने के लिए लन्दन भेजा था तो उसी समय कैम्ब्रिज में राजीव की सोनिया से मुलाक़ात हुई थी। इंदिरा राजीव को उसके निजी खर्चे के लिए प्रति माह एक निर्धारित राशि भेजती थी जो वह सोनिया पर खर्च कर देता था ।और वह अक्सरगुप्त रूप से संजय से पैसे मँगवाया करता था ।लेकिन जब संजय को यह पता चला की उसका बड़ा भाई पढाई छोड़ कर सारे पैसे सोनिया पर खर्च कर के अयाशी कर रहा है ,तो उसने पैसे देना बंद कर दिए।उधर पढाई में ठीक से ध्यान न देने के कारण परीक्षा में राजीव के बहुत कम नंबर आए,और उसे कैम्ब्रिज से निकाल दिया गया। कुछ समय तक वह ब्रिटेन में भारतीय राजदूत के घर में रहा ,फ़िर अधूरी पढाई छोड़ कर वापिस घर आगया। सोनिया मन ही मन में इसके लिए संजय को जिम्मेदार मानती थी। और बदला लेने के लिए मौके की तलाश में थी ।सोनिया के के जी बी से गुप्त सम्बन्ध थे। उन दिनों संजय को प्लेन उडाने का नया नया शौक लगा था। जब एक दिन संजय ने जैसे ही अपना प्लेन उडाया तो वह कुछ ही मिनटों में ज़मीन पर गिर कर बिखर गया। ध्यान करने की बात यह थी की उस प्लेन में न तो आग लगी और न ही कोई विस्फोट ही हुआ। प्लेन उडाने से पाहिले उसकी टंकी में पूरा ईंधन भरा गया था। लेकिन तात्कालिक जांच में दुर्घटना का कारण “प्लेन की टंकी में ईंधन न होना “बताया गया था। आज भी दुर्घटना का असली कारण रहस्य के परदे में ही है।
2- इंदिरा गांधी-(म्रत्यु दिनांक -31 अक्टूबर 1984 )
जब इंदिरा गांधी के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें गोली मारी थी तो उस समय वह घायल अवस्था में बेहोश पडी थीं और जीवित थीं।उनका खून लगातार बह रहा था ।उन्हें फ़ौरन मेडिकल सहायता की जरूरत थी। सोन्या उनके बिल्कुल नजदीक थी।लोग इंदिरा को एम्स अस्पताल ले जाना चाहते थे,जो इंदिरा के निकास के पास ही था। लेकिन सोनिया ने किसी की बात नहीं सुनी और इंदिरा को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाने की जिद की।जो की वहां से काफी दूर था। जब लोग घायल इन्दिरा को लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास पहुंचे तो अचानक सोनिया ने अपना इरादा बदल दिया ।और गाडी को वापिस एम्स की तरफ़ मोड़ने को कहा ।इस बेकार आने जाने में लगभग डेढ़ घंटा बरबाद हो गया। और अत्याधिक खून बह जाने के कारण इन्दिरा की मौत हो गयी। अगर इन्दिरा गांधी को समय पर मेडिकल सहायता मिल जाती तो उन की जान बच सकती थी। लोग ख़ुद समझ सकते हैं की सोनिया ने जानबूझ कर क्यों समय बरबाद किया और इन्दिरा की मौत से सोनिया क्या लाभ होने वाला था।
3-जीतेन्द्र प्रसाद-( मृत्यु दिनांक -16 जनवरी 2001 )
यह कोंग्रेस के एक अनुभवी और वरिष्ठ नेता थे। इन्होंने शाहजहान पुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय वह कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। सीताराम केसरी की मौत के बाद वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी थे। राजेश पायलट भी इनके समर्थक थे। जीतेन्द्र प्रसाद सोनिया के प्रमुख आलोचक थे। सोनिया यह पड़ ख़ुद हथियाना थी। लेकिन वरिष्ठ होने के कारण अध्यक्ष पद के लिए पहिला नाम जितेन्द्र प्रसाद का था ।कांग्रेस वर्किंग कमेटी में इस विषय पर कई बार गर्मागर्म चर्चा होने के बाद ,मेम्बरों में जितेन्द्र प्रसाद का पल्ला भारी पड़ने लगा था। और मजबूरन सोनिया को पीछे हटना पडा ।लेकिन उसके मन में कुछ और ही योजना थी।एक दिन सोनिया के द्वारा आयोजित एक भोजन समारोह में जितेन्द्र प्रसाद को बुलाया गया। जिसमे लगभग सभी प्रमुख नेता शामिल थे। भोजन के बाद जब जितेन्द्र प्रसाद अपने निवास पर पहुंचे तो अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गयी।और अस्पताल पहुँचने से पहले ही उनकी मौत हो गयी। डाक्टरों ने पहले तो मौत का कारण फ़ूड पोइजिनिंग बताया,लेकिन बाद में मौत का कारण हार्ट फेल बताया। साफ़ है की की किसी के दवाब में रिपोर्ट बदल दी गयी थी।
4-राजेश पायलट – (मृत्यु -11 जून 2000 )
यह भी सोनिया के प्रमुख प्रतिद्वंदी थे और अक्सर सार्वजनिक रूप से सोनिया की आलोचना किया करते थे। राजेश एक स्पष्टवक्ता और उभरते युवा नेता थे। राजेश का चुनाव क्षेत्र दौसा था जो जयपुर के पास है। मृत्यु के दिन अर्जुन सिंह ने राजेश को फोन करके दिल्ली बुलाया ।और कहा की एक बेहद जरूरी मीटिंग है ।जब राजेश अपनी कार से दौसा से जयपुर एयर पोर्ट की तरफ़ जा रहे थे तो भण्डाना गांव के पास उनकी कार को राजस्थान ट्रांसपोर्ट की बस ने टक्कर मार दी ।इस टक्कर से उनकी वहीं मौत हो गयी। आज तक उस बस का ड्राईवर नहीं पकडा गया। और न किसी के ख़िलाफ़ कोई केस चलाया गया। राजेश के लड़के का मुंह बंद करने के लिए उसे कोई पद दे दिया गया। और मामला बंद कर दिया गया।
5-माधवराव सिंधिया -(मृत्यु 30 सितम्बर 2001 )
इनके समर्थक इन्हें भावी प्रधान मंत्री के रूप में देखते थे ।इनकी निष्पक्षता के कारण विरोधी दल के लोग भी इनका सम्मान करते थे। इन से सोनिया मन ही मन में जलती थी ।पहले दोनों में बहुत घनिष्ठता थी ।माधव राव ने ही सोनिया का राजीव से परिचय कराया था जब वह भी राजीव के साथ कैम्ब्रिज में पढ़ते थे। जब सोनिया ने राजीव से शादी कर ली तब भी सोनिया और माधवराव की दोस्ती चलती रही। एकबार 1982 में जब सोनिया और माधवराव रात को दो बजे एक पार्टी से लौट रहे थे तो, दिल्ली की आई आई टी के गेट के पास एक्सीडेंट हो गया। जिसमे माधवराव की टांग टूट गयी थी और सोनिया को मामूली चोट लगी थी। सोनिया माधवराव को घायल छोड़ कर एक ओटो से घर भाग गयी। बाद में पुलिस ने माधवराव को अस्पताल पहुंचाया था।सोनिया के इस व्यवहार से माधवराव नाराज़ थे। और अक्सर अपने मित्रों से इस घटना की चर्चा करते रहते थे। जिस से सोनिया चिढ़ती थी। इसके अलावा माधवराव सोनिया के कई गुप्त राज़ भी जानते थे। इसलिए सोनिया माधवराव को अपने लिए एक खतरा मानती थी। एक बार माधवराव को जरूरी काम के लिए दिल्ली से मैनपुरी जाना था। इसके लिए उन्हें जिंदल ग्रुप का प्लेन दिया गया था ।उड़ान से पूर्व प्लेन की जांच गयी थी और बताया गया था की प्लेन में पूरा ईंधन भरा गया था। प्लेन 12।49 पर इन्दिरा गांधी एयर पोर्ट से उड़ा और आगरा से 85 की मी दूर भोगाव में गिर कर टूट गया। इस प्लेन में भी न आग लगी न विस्फोट हुआ। इस दुर्घटना में माधवराव की वहीं तत्काल मौत हो गयी।जांच में पता चला था की प्लेन की टंकी में पूरा ईंधन नहीं भरा गया था।
6 -बाल योगी-(म्रत्यु-13 मार्च 2002 )
यह लोकसभा के स्पीकर थे। इनके कार्यकाल में सोनिया की राष्ट्रीयता के बारे में सवाल उठ रहे थे.सोन्या ने संसद में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में जो हलफनामा दिया था उस पर लोगों को शंका थी। दिनांक 5 फरवरी 2002 को सुब्रमण्यम स्वामी ने बाल योगी को एक पत्र लिखा जिसमे उनसे सोनिया की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जांच कराने का अनुरोध किया गया था। और इस पत्र में कहा गया था की ऐसा करना उनका नैतिक दायित्व है। इस पर बाल योगी ने सोनिया से 15 दिनों के अन्दर स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस दिया ।कुछ दिनों के बाद बाल योगी हैदराबाद चले गए .13/3/2002 को उनको दिल्ली बुलाया गया। और उनके लिए ओ एन जी सी के हेलिकोप्टर का इन्तिजाम किया गया .जब उनका हेलिकोप्टर 7.30 बजे भीमावरम एयर पोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ा तो थोड़ी ही देर में 7.42 पर ज़मीन पर गिर गया और टूट कर बिखर गया। इसमे बाल योगी की तत्काल मौत हो गयी। आश्चर्य की बात याह है की इस दुर्घटना में भी हेलिकोप्टर में न तो आग लगी न कोई विस्फोट हुआ .इस बार भी वही कारण बताया गया की टंकी में ईंधन नहीं था। इन सभी घटनाओं को मात्र संयोग कैसे माना जा सकता है?
एक तरफ़ जहाँ सोनिया अपने प्रतिद्वंदिओं को बड़ी सफाई से अपने रास्ते से हटा रही है तो दूसरी तरफ़ उसकी बेटी प्रियंका भी उसके पदचिन्हों पर चलकर अपने ही ससुराल पक्ष के निकट सम्बंधिओं का सफाया कर रही है। जिस दिन 16/2/1998 को राजेन्द्र वडेरा ने अपने छोटे बेटे रॉबर्ट की शादी प्रियंका से की थी ,उसी दिन से उसके सारे परिवार पर मौत का साया मंडरा रहा था। देश विभाजन के बाद राजेन्द्र के पिता एच आर वडेरा सियालकोट से मुरादाबाद आकर बस गए थे। वह पंजाबी हिन्दू थे। उनके दो लड़के थे ,ओमप्रकाश और राजेन्द्र। इनका परिवार पीतल के हस्तशिल्प का व्यवसाय करता था। राजेन्द्र ने मौरीन मेक डोनाड नामकी एक एंग्लो इंडियन महिला से प्रेम विवाह किया था। मौरीन का बाप अँगरेज़ और माँ भारतीय थे। मौरीन हमेशा राजेन्द्र पर ईसाई बनने का दवाब डालती थी ,जिसे वह मना कर देते थे। लेकिन फ़िर भी मौरीन ने अपनी मर्जी से राजेन्द्र का नाम एरिक और अपने ससुर का नाम हैरी रख दिया। इसके लिए मौरीन ने यह तर्क दिया की ऐसा करने से विदेशी ग्राहक आकर्षित होंगे। क्योंकि विदेशी भारतीय वस्तुएं पसंद करते हैं।राजेन्द्र की तीन संतानें हुयीं ,रिचार्ड,मिशेल और रॉबर्ट। धीमे धीमे राजेन्द्र और मौरीन के बीच में इतना मनमुटाव बढ़ गया की मुरीं दिल्ली चली गयी। और वहाँ उसने दक्षिण दिल्ली की अमर कालोनी में अपना एक शोरूम खोल लिया ,जो आज भी चल रहा है। राजेन्द्र ने अपने बड़े लड़के रिचार्ड और लड़की मिशेल की पाहिले ही शादी कर दी थी। जो अपना अपना व्यवसाय कर रहे थे। रॉबर्ट मुरादाबाद की एक गेरेज में मेकेनिक था। दिल्ली में आकर मौरीन की दोस्ती सोनिया से हो गयी ।बाद में यह दोस्ती इतनी बढ़ गयी की सोनिया ने प्रियंका की शादी रॉबर्ट से करदी। और आख़िर प्रियंका राजेन्द्र वडेरा के परिवार के लिए एक यमदूती साबित हुयी।
7-मिशेल वडेरा (-मृत्य 16 अप्रैल 2001 )
यह राजेन्द्र वडेरा की दूसरी संतान थी .अपने पिता की तरह मिशेल भी रॉबर्ट और प्रियंका की शादी के ख़िलाफ़ थी। क्योंकि शादी के बाद प्रियंका कभी ससुराल नहीं गयी। बल्कि रॉबर्ट को ही अपने साथ ले गयी। और वडेरा परिवार के किसी भी व्यक्ति को रॉबर्ट से नहीं मिलने देती थी। रॉबर्ट भी सोनिया और प्रियंका के इशारों पर नाचता था। प्रियंका ने रॉबर्ट को अपना रखैला बना रखा था। मिशेल दिल्ली में ज्वैलरी डिजायनिंग का कम करती थी। वह लोगों को प्रियंका के इस व्यवहार के बारे में बताती थी। और कहती थी की सोनिया और प्रियंका ने मेरे परिवार में फूट दाल दी है। प्रियंका वडेरा परिवार में नफरत के बीज बो रही है.मिशेल प्रियंका के चरित्र पर भी उंगली उठाती थी। फैलते फैलते यह बात सोनिया के कानों तक पहुँच गयी। और जब एक दिन मिशेल जरूरी काम के लिए अपनी कार से जयपुर जा रही थी तो अलवर के पास बेहरोर नाम की जगह पर अचानक उसकी कार पलट गयी। कार में 2 बच्चों को मिला कर 6 लोग थे। स्थानीय लोगों ने काफी मदद की लेकिन मेडिकल सहायता आने से पूर्व ही मिशेल की मौत हो चुकी थी।पुलिस का कहना था की कार के एक तरफ के दोनों टायर फट गए थे .जिस से दुर्घटना हुयी थी। लेकिन गांव वालों का कहना था की उन्होंने गोलियों की आवाज़ सुनी और देखा की एक दूसरी गाडी ने बगल से टक्कर मारी थी। बाद ने मिशेल की लाश को दिल्ली लाया गया जहाँ उसका अन्तिम संस्कार किया गया था। सिर्फ़ उसी दिन राजेन्द्र अपने बेटे से दूसरी बार मिले थे। पहिली बार वह सोनिया द्वारा आयोजित एक समारोह में अपने बेटे से मिले थे। क्योंकि सोनिया ने रॉबर्ट को अपने पिता से मिलने पर रोक लगा थी। जिस से राजेन्द्र ख़ुद को काफी अपमानित महसूस करते थे.
8-रिचार्ड वडेरा-(मृत्यु 20 सितम्बर 2003 )
यह राजेन्द्र वडेरा के बड़े पुत्र थे,और अपनी पत्नी सिमरन के साथ मुरादाबाद में वसंत विहार कालोनी में रहते थे।मौरीन ने सिमरन का ईसाई नाम सायरा कर दिया था। उसकी एक बच्ची भी है। रिचार्ड आर्टेक्स एक्सपोर्ट के नाम से हैंडीक्राफ्ट का व्यवसाय चलाते थे। अपने पिता की तरह रिचार्ड को भी राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी .लेकिन जब उसके छोटे भी रॉबर्ट की प्रियंका से शादी हो गयी तो उसके पास कई कांग्रेसी नेता तरह तरह की सिफारासें लेकर आने लगे। और उसे अपने यहाँ भी बुलाने लगे। इसी तरह महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री कृपा शंकर ने रिचार्ड को दो बार मुम्बई बुलाया था.और उस से अपने ख़ास लोगों को टिकिट दिलवाने के लिए सोनिया से सिफारिश करने को कहा था। कृपा शंकर ने रिचार्ड को पहली बार मुम्बई के सन एंड सैंड होटल में ठहराया था। जिसका 50,000/- का बिल कृपा शंकर ने चुकाया था। दूसरी बार रिचार्ड को सरकारी गेस्ट हाउस “हाई माउन्ट “में ठहराया गया था जिसका इंतजाम विलास राव देशमुख ने किया था। जब यह बात तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ,और कर्णाटक के मुख्य मंत्री एस एम् कृष्णा को पता चली तो उन्होंने इसकी शिकायत सोनिया को कर दी। इस पर सोनिया ने रॉबर्ट पर दवाब डाला की वह सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करे की उसका अपने पिता और भाई से कोई सम्बन्ध नहीं है। सोनिया के कहने पर रॉबर्ट ने 16 जनवरी 2002 को अपने वकील अरुण भारद्वाज के माध्यम से अपने पिता और भाई को नोटिस भेज दिया। इस नोटिस में रॉबर्ट ने अपने पिता को अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया था। उसने पिता के स्थान पर “एक व्यक्ति”शब्द लिखा था.नोटिस में कहा गया था की “एक राजेन्द्र वडेरा नाम का आदमी मेरी पत्नी ओर उसके साथ रिचार्ड नामका व्यक्ति मेरी पत्नी प्रियंका के नाम से लोगों को नौकरी दिलाने के बहाने धोखा दे रहे हैं । मेरा इन लोगों से किसी भी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं है “यह सूचना सभी अखबारों में छपी थी। जब राजेन्द्र को इस नोटिस के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने वकील छेदीलाल मौर्य के माध्यम से रॉबर्ट ,सोनिया, ओर प्रियंका पर मानहानि का दावा करने की धमकी देते हुए जवाब देने को कहा था। उन्होंने अपने नोटिस में रॉबर्ट पर आरोप लगाया था की वह सोनिया ओर प्रियंका के इशारों पर नाच रहा है ओर एक औरत के चक्कर में अपने बाप तक को भूल गया है। राजेन्द्र ने यह भी कहा था की वह रोवेर्ट को अपनी संपत्ति से बेदखल कर देंगे। यह सारी बातें 21 जनवरी 2002 के इंडिया टू डे में विस्तार से छपी थीं। इस घटना के कुछ ही दिनों के बाद रिचार्ड अचानक गायब हो गया था। उसकी पत्नी सिमरन ने काफी खोज की थी। लेकिन वहाँ की पुलिस ने उसकी कोई मदद नहीं की। ओर एक दिन 20/9/2003को रिचार्ड मुरादाबाद के सिविल लाइन की वसंत विहार कालोनी में रहस्यमय रूप से मरा हुआ पाया गया था। राजेन्द्र ने मौत की जांच काने की मांग की थी लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी । ओर मौत को आत्महत्या का मामला बताकर केस बंद कर दिया.
9-राजेन्द्र वडेरा -(म्रत्यु 3 अप्रैल 2003)
यह प्रियंका के ससुर थे। यह दक्षिण दिल्ली के हौज ख़ास इलाके के सिटी इन नामके एक गेस्ट हाउस में रहस्य पूर्ण रूप से मरे पाये गए। इसकी कोई ऍफ़ आई आर दर्ज नहीं की गयी। उनकी आयु 60 वर्ष थी। पुलिस की औपचारिक खानापूर्ति के बाद उनके शव का लोधी रोड के श्मशान में संस्कार कर दिया गया। पाहिले मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया था। लेकिन बाद में पुलिस अपने बयान से मुकर गयी। प्रतक्ष्य दर्शिओं के अनुसार राजेन्द्र के गले और शरीर पर चोट के निशान पाते गए थे।इसलिए प्रियंका और सोनिया ने इसे आत्मह्त्या बताने की कोशिश की थी। लेकिन आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से मना कर दिया। पुलिस ने भी अपना मुंह बंद कर लिया। जब पुलिस अपनी कार्यवाही कर रही थी तो मीडिया वालों को काफी दूर हटा दिया था। मौत की खबर मिलने पर राहुल पटना से दिल्ली आया और केवल 12 मिनट वहां रुका। और बाद में मृतक को श्रृद्धांजली देकर सोनिया और प्रियंका को साथ लेकर अमेठी के लिए रवाना हो गया। जहाँ उसे अपने चुनाव का पर्चा दाखिल करना था। जब अमेठी में राहुल का और रायबरेली में सोनिया का जुलूस निकल रहा था तो प्रियंका उसके साथ साथ चल रही थी ,और खुशी से फूली नहीं समा रही थी। उसके चेहरे पर दुःख का कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहा था। अपने पुत्र और पुत्री की मौत के बाद राजेन्द्र अकेले हो गए थे। उनकी पत्नी मौरीन तो पाहिले ही उनसे अलग रह रही थी। इस लिए काफी सालों से राजेन्द्र सिटी इन नामके एक गेस्ट हाउस में रह रहे थे। उनका लड़का पूरी तरह से सोनिया और प्रियंका के चंगुल में था और अपने बाप से कोई मतलब नहीं रखता था। लगभग एक साल से राजेन्द्र लीवर की बीमारी से पीडित थे ।और मेक्स हॉस्पिटल में अपना इलाज करा थे ।इस दौरान रॉबर्ट ,सोनिया या प्रियंका कोई भी उनका हाल पूछने अस्पताल नहीं आया। अपने लड़के के इस व्यवहार से राजेन्द्र बहुत नाराज़ और दुखी थे। लगभग दो हफ्ता पहले उनको अस्पताल से छुट्टी मिल गयी थी। अस्पताल से निकलने के बाद उन्होंने पहिला काम यह किया की ,अपने बड़े भाई ओमप्रकाश की तरह अपनी ज़मीन एक ऐसे ट्रस्ट को दे दी जिसका सम्बन्ध आर एस एस था। आजकल वहाँ सरस्वती मन्दिर स्कूल चल रहा ।जब यह बात सोनिया को पता चली तो हड़कंप मच गया। पहले सोनिया ने कुछ प्रभावशाली कांग्रेसी नेताओं के माध्यम से राजेन्द्र पर दवाब डलवाया की की वह दान में दी गयी ज़मीन वापिस ले ले । लेकिन राजेन्द्र ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। तबसे राजेन्द्र को बार बार धमकियां दी जा रही थीं। और आख़िर उसे अपनी जान से हाथ धोना पडा। उक्त सभी घटनाओं को मात्र संयोग या दुर्घता मानना ठीक नहीं होगा। सभी घटनाओं का गहराई से विश्लेषण करने पर जो तथ्य निकल कर आते हैं वह इस प्रकार हैं -सभी मरने वाले सोनिया के आलोचक,और प्रतिस्पर्धी थे। और सोनिया उनको अपने रास्ते का काँटा मानती थी। यह सभी सोनिया के राजनीतिक प्रतिद्वंदी थे। इन लोगों ने सोनिया के कुछ ऐसे गुप्त रहस्य मालूम कर लिए थे ,जिनके प्रकट हो जाने से सोनिया को जेल हो सकती थी। इन लोगों की मौत से सोनिया को निष्कंटक, असीमित ,और एकछत्र सत्ता हासिल हो गयी। और भविष्य में राहुल को प्रधान मंत्री बनाने के लिए रास्ता साफ़ हो गया। सोनिया ने अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक एक करके इन सब का सफाया करा दिया। प्रियंका भी कुछ कम नहीं है। यदि प्रियंका नेहरू गांधी परिवार की इसी परम्परा को निबाहते हुए ,भविष्य में रॉबर्ट को भी इसी तरह से रास्ते से हटा दे ,तो हमें कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए। ऎसी महिलाओं को ही डायन कहा जाता है ।’लोग ठीक ही कहते हैं “माँ हत्यारिनी तो बेटी कुलघातिनी। !
जय भारत
बी एन शर्मा भोपाल 10 अप्रैल 2009
(181/20)