भारत को आजाद कराने में रहा था धन सिंह कोतवाल का प्रमुख योगदान : स्वामी कर्मवीर जी महाराज
मेरठ । विगत 27 नवंबर को 1857 के क्रांतिनायक शहीद धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा धनसिंह कोतवाल के जन्मोत्सव कार्यक्रम पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अप्लाइड साइंस सभागार चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में किया गया। इस अवसर पर अनेक विद्वानों, समाजसेवी और विभिन्न संगठनों के नेता उपस्थित हुए। जिन्होंने 1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल के जीवन पर प्रकाश डाला और इस बात पर बल दिया कि उनके जीवन के आदर्शों को आज के संदर्भ में भी लागू करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में योग गुरु एवं आयुर्वेदाचार्य स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि धनसिंह कोतवाल जी ने किसी एक जाति की आजादी के लिए क्रांति की शुरुआत नहीं की थी, बल्कि उनके अंदर राष्ट्रवाद की गहरी भावना थी। अपनी इसी पवित्र भावना से प्रेरित होकर उन्होंने गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई भारत माता को स्वतंत्र करने का बीड़ा उठाया। यह कम बात नहीं है कि उन्होंने जिस शिव संकल्प को लेकर आगे बढ़ना आरंभ किया उसको सारे देश ने अपना संकल्प बना लिया और मेरठ की क्रांति की गूंज सारे देश में सुनाई देने लगी। उनसे प्रेरित होकर उस समय न केवल मेरठ मंडल के लोगों ने अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत की बल्कि पूरे देश में ही अंग्रेजों को भगाने की आवाज सुनाई देने लगी।
उन्होंने कहा कि धन सिंह कोतवाल और उनके साथियों ने अपनी जान की परवाह नहीं की। उनके सामने केवल एक ही लक्ष्य था कि भारत माता स्वाधीन हो। उनका एक ही संकल्प था कि भारत आजाद हो और उनकी एक ही आवाज़ थी ‘ मारो फिरंगी को’ ।पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि जब देश ने धन सिंह कोतवाल जैसे क्रांतिकारियों की आवाज के साथ आवाज मिलाकर अंग्रेजों को भगाने का बीड़ा उठा लिया तो एक दिन वह आया जब अंग्रेजों को भारत से भागना पड़ा। इस प्रकार 1947 में जो आजादी मिली, उसमें धनसिंह कोतवाल का विशेष योगदान है।आज बहुत खुशी की बात है कि देश का हर समाज, हर वर्ग का नागरिक धनसिंह कोटवाल को नमन करता है. उनके जन्मोत्सव को मानता है, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
मुख्य अतिथि गुजरात के पूर्व गृहमंत्री श्री गोवर्धन भाई झडपिया ने अपने उद्बोधन में गुर्जर भूमि गुजरात का नारा लगाते हुए गुर्जरों के गुजरात के इतिहास को रेखांकित किया तथा बताया कि मैं धन सिंह कोतवाल जी को नमन करने के लिए उनके गांव पांचली में धन सिंह कोतवाल के वंशज तस्वीर सिंह चपराना के आवास पर गया और वहां धनसिंह कोतवाल जी के सभी परिजनों से मुलाकात की और उस पावन मिट्टी को नमन किया। उन्होंने कहा कि यह धरती सचमुच धन्य है जहां पर कोतवाल साहब का जन्म हुआ। यदि उनका किया गया पुरुषार्थ उसे समय रंग नहीं लाता तो निश्चित रूप से भारत को और भी अधिक देर तक गुलाम रहना पड़ सकता था।
धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान ने जो पांच मांग पत्र सरकार से रखी हैं, मैं उन्हें केंद्र सरकार के मंत्रियों के सामने रखूगा. उन्होंने कहा संगठन की एकता अपनी बात मनवाने की ताकत है. अपने संगठन को मजबूत करके बात कहोगे तो आपकी बात सुनी जाएगी और सरकार भी धनसिंह कोतवाल जी को वही सम्मान देगी जिसके वह हकदार है.बिना संगठन की ताकत के अपनी मांग कमजोर हो जाती है।
पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार नवाब सिंह नागर ने कहा कि धनसिंह कोतवाल हमारे आदर्श हैं। हमें उनसे प्रेरणा मिलती है। धन सिंह कोतवाल को नमन करके हम राष्ट्र को नमन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम धन सिंह कोतवाल जी को नमन करने का कार्यक्रम है ,उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम है।
धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान द्वारा धन सिंह कोतवाल पर जो पुस्तक प्रकाशित की गई उसके मुख्य संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने उद्बोधन में “1857 के क्रांतिनायक कोतवाल धनसिंह गुर्जर* नामक पुस्तक के बारे में विस्तार से बताया कि किस प्रकार इस पुस्तक में धन सिंह कोतवाल पर शोध करने वाले छात्र-छात्राओं को शोध पत्र तैयार करने में सहायता मिलेगी। यह धनसिंह कोतवाल जी की जीवन पर, उनके कार्यों पर एक अच्छा लेख पत्र साबित होगी। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से देश के ही नहीं संसार के कोने-कोने के उन शोधार्थियों को विशेष सहायता प्राप्त होगी जो धन सिंह कोतवाल जी और उनके अन्य क्रांतिकारी साथियों पर किसी न किसी प्रकार की शोध करने की इच्छा रखते हैं। श्री आर्य ने कहा कि वर्षों से कोतवाल साहब पर जिस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित हो रहे थे उन सब के दृष्टिगत इस प्रकार के शोध ग्रंथ का आना बहुत आवश्यक था। सचमुच श्री तस्वीर सिंह चपराना और उनके साथियों के लिए मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं जिन्होंने इस महान कार्य को संपन्न कर दिखाया है।
आज के कार्यक्रम में कोतवाल धनसिंह जी पर विशेष कार्य करने वाले राष्ट्र भक्तों का धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान द्वारा चित्र, पुस्तक, मोमेंटो और साल देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले प्रमुख विद्वानों में पूर्व प्रधानाचार्य रामपाल सिंह जी, वरिष्ठ पत्रकार राजेश पटेल जी, प्रोफेसर देवेश शर्मा, डॉक्टर सुशील भाटी, जी. एम. बृजपाल सिंह चौहान, धन सिंह कोतवाल जी की शोरगाथा के लेखक सत्येंद्र पटेल प्रखर, करनल देवानंद सिंह, करनल अतर सिंह, प्रधानाचार्य संजीव नागर, अरुण प्रधान, हरिओम बैंसला, धर्मवीर सिंह, आदि को धनसिंह कोतवाल जी पर विशेष कार्य करने के लिए स्वामी कर्मवीर जी महाराज, पूर्व गृहमंत्री गोवर्धन भाई झडपिया जी तथा पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश नवाब सिंह नागर, जी के द्वारा सम्मानित किया गया।
आज के कार्यक्रम का संचालन धन सिंह कोतवाल के वंशज एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष तस्वीर सिंह चपराना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम आयोजन समिति के सदस्य हरिओम बैंसला ने किया।
आज के कार्यक्रम में इंजीनियर सुरेंद्र वर्मा, कैप्टन सुभाष चंद्र, सुनील कुमार, जगदीश प्रसाद, शिव शंकर पटेल, राजेश पटेल, उमेश पटेल, मनीष पटेल, सुभाष प्रधान, गौतम प्रजापति, अंशिका, सुमन, डीएसपी बले सिंह, कंवरपाल नागर, अहलकार नागर, रॉबिन गुर्जर आदि उपस्थित रहे।