वेद व आर्ष ग्रन्थों पर आक्षेप करने वालों को खुला निमन्त्रण
वैदिक एवं आधुनिक भौतिकी शोध संस्थान, भीनमाल के संस्थापक, वेदविज्ञान-आलोक एवं वेदार्थ-विज्ञानम् जैसे ग्रन्थों के लेखक आचार्य अग्निव्रत ने घोषणा की है कि वेद परमात्मा, जो सम्पूर्ण सृष्टि का रचयिता व संचालक है, का ज्ञान है। इसमें किसी प्रकार की कोई हिंसा, अश्लीलता, नर-पशु बलि, मांसाहार, अवैज्ञानिकता, स्त्री व शूद्र के शोषण जैसा कोई पाप नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण वेद सर्वहितकारी ज्ञान-विज्ञान का ब्रह्माण्डीय ग्रन्थ है। जो ऐसा नहीं मानते, उन्हें आचार्य अग्निव्रत ने घोषणापूर्वक आमन्त्रित किया है कि वे आएँ और वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, ईश आदि ग्यारह उपनिषद्, निरुक्त, आरण्यक, दर्शन, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, मनुस्मृति, वाल्मीकीय रामायण, महाभारत व सत्यार्थप्रकाश इन ग्रन्थों पर अपने आक्षेप उनकी वेबसाईट वैदिक फिजिक्स डॉट ऑर्ग पर भेजें। किसी भी सम्प्रदाय का व्यक्ति वा नास्तिक (स्वयं में एक सम्प्रदाय) दिए हुए ग्रन्थों पर आक्षेप प्रमाण सहित 31 दिसम्बर तक भेज सकता है। महर्षि दयानन्द की 200वीं जयन्ती (फाल्गुन कृष्णा १०/२०८०, 5 मार्च 2024) से आचार्य अग्निव्रत उनके उत्तर देना प्रारम्भ करेंगे। इसमें वे वेद के जिन मन्त्रों पर आक्षेप लगेगा, उनके एक नहीं, बल्कि तीन-तीन प्रकार के अर्थ प्रकाशित करेंगे। उनका उद्देश्य मात्र आक्षेपों के उत्तर देना ही नहीं, अपितु उनमें छिपे विज्ञान के गूढ़ रहस्यों को भी उद्घाटित करना है। इसका परिणाम यह होगा कि संसार को वेद का यथार्थ एवं वैज्ञानिक स्वरूप विदित हो सकेगा, जिससे सच्ची मानवता की विजय होगी और देश की युवा पीढ़ी में राष्ट्र के प्राचीन गौरव के प्रति श्रद्धा का उदय होकर राष्ट्रीय स्वाभिमान जग सकेगा।
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