इतिहास के झरोखे में भाग 1 शुद्धि समाचार और स्वामी चिदानंद के कारावास का विस्मृत इतिहास
स्वामी श्रद्धानन्द जी के नेतृत्व में हिन्दू संगठन और दलितोद्धार के रूप में दो आंदोलन सन 1920 के दशक में चलाये गए। हिन्दुओं को संगठित करने और हिन्दुओं को तेजी से कम हो रही जनसंख्या को रोकने के लिए विधर्मी हो चुके हिन्दुओं की शुद्धि आवश्यक थी। स्वामी जी ने शुद्धि आंदोलन के रूप में देश व्यापी आंदोलन आरम्भ किया। देश में ऐसे अनेक स्थान थे जहाँ हिन्दू धर्म त्याग चुकें लाखों लोग रहते थे, जिनकी जीवन पद्यति मिश्रित थी। उनके पूर्वजों को कभी बलात अथवा प्रलोभन से मुस्लिम बना दिया गया था। आगरा-मथुरा के निकट रहने वाले ऐसे लोगों को मलकाना कहा जाता था। अनेक मलकाना तो अपने सर पर चोटी तक रखते थे। स्वामी श्रद्धानन्द और आर्यसमाज के प्रयासों से मलकानों की बड़ी संख्या में शुद्धि हुई। इस्लामिक प्रेस, तबलीग और उसके प्रचारक स्वामी जी और शुद्धि आंदोलन के विरुद्ध दुष्प्रचार करने लगे। तब स्वामी जी को शुद्धि आंदोलन सम्बंधित जानकारी एवं भ्रम निवारण के लिए ‘शुद्धि समाचार’ के नाम से मुख पत्र आरम्भ करना पड़ा। यह लखनऊ से आरम्भ हुआ था और बाद में मार्च 1926 से दिल्ली आ गया। अल्पकाल में ही शुद्धि समाचार का कुशल संपादन स्वामी चिदानंद जी के नेतृत्व में होने लगा। स्वामी चिदानंद जी भारतवर्षीय साधु महामण्डल के मंत्री पद पर कार्य करते थे। 1923 में आप शुद्धि सभा से जुड़कर कन्नौज क्षेत्र में शुद्धि कार्य करने लगे। आपने एक दो मास के भीतर ही ऐसी उत्तमता से शुद्धि कार्य किया कि आपके क्षेत्र का विस्तार बढ़ाकर फरुखाबाद, मैनपुरी और शाजहांपुर कर दिया गया। 1925 में भारतीय शुद्धि सभा क सर्व साधारण सम्मेलन में आप शुद्धि सभा के मंत्री नियुक्त हुए और शुद्धि समाचार के सम्पादक बन गए। दिसम्बर 1926 में स्वामी जी के बलिदान के पश्चात चिदानंद जी पर शुद्धि सभा के कार्य का सारा भार स्वामी जी के कन्धों पर आ गया। जनवरी1927 में आप सभा के प्रधान मंत्री निर्वाचित हुए। आपके कार्यकाल में शुद्धि सभा ने व्यापक प्रगति की और उसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत में फैल गया। शुद्धि समाचार हज़ारों की संख्या में प्रकाशित होने लगा और देश भर में शुद्धि अभियान के समाचार प्रकाशित होने लगे। सन् 1928 में अप्रैल में शुद्धि समाचार में धारावाहिक रूप में ‘इस्लामी सिद्धां
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