संसार में तन मन धन से सुखी कौन नहीं रहना चाहता?

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      संसार में तन मन धन से सुखी कौन नहीं रहना चाहता? सभी चाहते हैं।
    परंतु यह बात भी प्रसिद्ध है, कि "कर्म किए बिना फल नहीं मिलता।" "इसलिए जो लोग सुखी रहना चाहते हैं, उन्हें कुछ न कुछ कर्म तो करना ही पड़ेगा, तभी उनकी इच्छा पूरी हो पाएगी।"
            "तो यदि आप तन से सुखी रहना चाहते हों, तो व्यायाम करें। मन से सुखी रहना चाहते हों, तो ईश्वर का ध्यान करें। और यदि धन से सुखी रहना चाहते हों, तो अपनी आवश्यक मात्रा में धन का संग्रह अवश्य करें। अपने जीवन भर की आवश्यकताओं का हिसाब लगाएं। उसके हिसाब से धन की गणना करें और धीरे-धीरे उसे लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयत्न करें।"
   "ग़लत तरीकों से धन कमा कर रातों-रात करोड़पति बनने की इच्छा न करें। वह दुखदायक सिद्ध होगी। इसलिए धीरे-धीरे धन कमाएं। ईमानदारी बुद्धिमत्ता और मेहनत से धन कमाएं. 50 55 वर्ष की उम्र तक धन कमाएं, और धीरे-धीरे अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएं।"
     "फिर यदि आप की आवश्यकता से अधिक धन आपके पास आ जावे, तो उस अधिक धन का दान अवश्य करें। योग्य पात्रों को दान देवेंं।" "वैदिक विद्वान संन्यासी ब्रह्मचारी परोपकारी आदि जो लोग ईश्वर के संविधान वेदों के अनुकूल उत्तम कर्म करते हों, अथवा जो लोग किसी परिस्थितिवश रोगी कमजोर विकलांग या आपत्ति में आ गए हों, उन्हें दान देकर ऐसे लोगों की सहायता अवश्य करें।"   
     "चाहे आपके पास थोड़ा धन भी हो, तब भी अपनी वार्षिक आय का 10 प्रतिशत धन तो दान अवश्य ही करें, और धीरे-धीरे भविष्य के लिए धन का संग्रह भी करते रहें।" वेदों में अपनी आय का 10 प्रतिशत दान देने का विधान है। यदि आप इतना नहीं करेंगे, तो आपके भविष्य की सुरक्षा नहीं हो पाएगी। "अर्थात आय के 10 प्रतिशत धन के दान से आपको पुण्य मिलेगा, और उससे आपका भविष्य सुखमय बनेगा।"   
      "यदि आप ऐसा करेंगे, तो आपका वर्तमान जीवन भी आनन्दमय होगा, आप स्वस्थ एवं दीर्घायु होंगे। तथा आप को अगले जन्म में भी इस धन के दान का अच्छा फल मिलेगा।"

—– “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।”

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