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इतिहास के पन्नों से

भारत के राष्ट्रपति और उनका कार्यकाल ,भाग – 14 रामनाथ कोविंद

रामनाथ कोविंद ( Ramnath kovind )

25 जुलाई 2017 को रामनाथ कोविंद ने देश के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। इस पद पर नियुक्ति से पहले वह बिहार के राज्यपाल थे। बिहार के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने वहां की सरकार के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित कर अपनी राजनीतिक समझ का परिचय दिया था। स्वभाव से बहुत ही विनम्र व्यक्तित्व के स्वामी रामनाथ कोविंद अपनी राजनीतिक परिपक्वता, सूझबूझ, विचारशीलता और विनम्रता के लिए जाने जाते रहे हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले चाहे उनके बारे में उनके विरोधियों की जो सोच रही हो, पर जब वह देश के राष्ट्रपति बन गए तो उन्होंने जिस प्रकार अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया उससे उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक बन गए।
2017 में जब देश के राष्ट्रपति के चुनाव की चर्चा चल रही थी तो उस समय भाजपा और उसके सहयोगी दलों की ओर से भाजपा नेता अमित शाह ने श्री रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की थी। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई 2017 को समाप्त हुआ। उसके अगले दिन 25 जुलाई 2017 को रामनाथ कोविंद ने भारत के 14 वें राष्ट्रपति रूप में शपथ ग्रहण की। 20 जुलाई 2017 को वोटों की आखिरी गिनती के बाद 10,09,358 के कुल वोटों में से रामनाथ कोविंद को 7,02,044 वोटों से जीत मिली थी। जबकि इनकी प्रतिद्वंदी और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को मात्र 3,67,314 मत ही प्राप्त हो सके। श्री रामनाथ कोविंद उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। उन्होंने जिस पद पर भी कार्य किया वहीं समाज के निचले तबके का ध्यान रखने का भरसक प्रयास किया। उनके भीतर सामाजिक विषमताओं को समाप्त कर देश के सामाजिक परिवेश को मधुसम मीठा बनाने का सपना काम करता रहा है।
उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए अपने विरोधियों को भी अपना प्रशंसक बनाया। बड़ी सादगी और विनम्रता के साथ उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के इस सबसे सुनहरे काल को जीने का प्रयास किया।

डॉ राकेश कुमार आर्य

( लेखक प्रख्यात इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)

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