एक पुस्तक है..Low and Licentious Europeans .
इसे बारीकी से पढ़ना चाहिए । यदि पढ़ कर समझ गये ..तो उपनिवेशवादी मानसिकता से थोड़ा निजात पा सकते हैं।
आपने ध्यान दिया हैं कि ..साठ ,सत्तर वर्ष के ऊपर के बुजुर्ग भारतीय कुछ अधिक यूरोपियन कल्चर से प्रभावित रहते हैं ??
ऐसा क्यु हैं ??
यूरोप और अमेरिका में ‘ वोक-कल्चर ‘ के उभार से..1980 के पश्चात् कुछ ऐसे शोध पत्र व पुस्तकें लिखीं जाने लगी ..जो यूरोप के वास्तविक ऐतिहासिक स्थिति का वर्णन व उसकी समालोचना आलोचना करता हैं !
उसके पहले… व्हाईट मैन ..अपने सभ्य समाज के रुप मे बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करता था ..। परंतु 1980 के बाद ऐसे ऐसे शोध पत्र व पुस्तकें प्रकाशित होने लगी …जो उस समाज की पोल खोल के रख देती हैं !
हमारे अधिकांश भारतीय पंथहीन बुजुर्ग बुद्धिजीवी… 1980 के पहले की एंग्लो-सेक्सन काल की अंग्रेज़ी की पुस्तकें पढ़े हुए है। कदाचित् नयी पुस्तको का ज्ञान नहीं है ? वो सेक्सपीयर , कीट आदि में ही अटके पढ़े हैं ?
अब आप कोई पुस्तक पढ़ रहे हैं… और उसमें ये शब्द मिले कि…” Lower Class British woman ” …European proustite working in port city of India ..’ तब आपके मन मे क्या विचार आयेगा ??
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ..1868 मे मद्रास में किसी ब्रिटिश सैनिक की पत्नी ..वेश्यावृत्ति करती पायी जाती हैं ?? या प्रयागराज मे कोई गोरी मेम नग्न होकर सड़क पर घूमती पायी जाती हैं.. और उसे पकड़ कर वापस यूरोप भेजा जाता हैं ??
ऐसी ही पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं..जो वास्तविक तथ्य को सार्वजनिक करती हैं.. । और हा जब कोई यूरोपियन अपने ही देश व संस्कृति के नकारात्मक पहलुओं पर लिखता हैं… तो बिना सबूत के क्यु लिखेगा ?? शोध करके ही लिखेगा न ?
तो ..आधुनिक अंग्रेजी की कुछ किताबें पढ़ना ही चाहिए… सेक्सपीयर ..मिल्टन ,कीट से बाहर निकलकर !
प्रोफेसर कुशुमलता केडिया जी को सुनना क्यु आवश्यक हैं ?
सन् 1947 तक भारत पर ब्रिटिश सम्राज्य का शासन था ! कुछ भारतीय लोगों के 1947 मे सत्ता का हस्तांतरण किया गया । हलाकि अधिकांश लोगो मानते हैं कि भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई !
परंतु जो लोग कहते हैं कि ..भारत की सत्ता का हस्तांतरण किया गया… उनके अपने तर्क है। और उन तर्कों को आप व्यवहारिक रूप से अनुभव भी कर सकते हैं !
कैसे ?
आप अनुभव करे कि..ऐसा कौन सा बुद्धिजीवी समाज होगा जो ..उसी का गुण गाता रहेगा जिसने उसके देश निवासियों को मारा …लूटा ..और गुलाम बनाया ?? परंतु भारत 1947 के बाद ऐसा ही हुआ !
बहुत से कथित बुद्धिजीवी… ब्रिटिश साम्राज्य के कालिमा पर सफेदी चढ़ाने का काम किया है ।
सोचिये कि ..ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था के कारण जो औद्योगिक क्षेत्र का प्रशिक्षित श्रम ..बेरोजगार हो गया था…उसे जाति बता कर ..उसकी स्थिति का जिम्मेदार ..भारत के ही एक जाति को बता दिया जाता हैं.. और साम्राज्यवादी देशों को ..क्लीन चिट दे दी जाती हैं ?
अब ऐसा कार्य कौन कर सकता ? वही जिस पर कुछ विश्वास करके साम्राज्यवादियो ने भारत की सत्ता का हस्तांतरण किया था ???
अन्यथा…यदि आपको पता चले कि….जिस यूरोप का गुणगान गाया जाता हैं… उसकी संस्कृति व समृद्धि की आरती उतारी जाती हैं… उसी यूरोप की महिलाएं भारत उपमहाद्वीप ..मे वेश्यावृत्ति करके पैसा कमाने आया करती थी …तो आप क्या सोंचेंगे ??
आप क्या सोंचेंगे ये जान कर कि…19वी शताब्दी के अंत व 20वी शताब्दी के प्रारंभ में यूरोप की महिलाओं को स्थानीय ग्राहको से अच्छा पैसा मिलता था ( सात रुपये ) जबकि ब्रिटिश सैनिकों से ( 1 या दो रुपया )?
और तो और आप क्या सोंचेंगे जब ये पता चले कि .. जिस साम्राज्य की व्यवस्था व समृद्धि के गुणगान गाये जा रहे हैं… उस साम्राज्य की महिलाओं को एशिया के औपनिवेशिक देशों में आकर वेश्यावृत्ति करना पड़ा रहा था ???
आप क्या सोचेंगे ये जान कर कि ..कुछ भारतीय अपनी गोरी मेम के दलाल बन गये थे ??
और ये सब ..किसी भारतीय ने नहीं लिखा …यूरोप के ही कुछ लोगों ने शोध करके लिखा है। प्रोफ़ेसर कुसुमलता केडिया जी ..उन्ही सब किताबो के पन्नों से …साम्राज्य की व्यवस्था के बारे में बता रही है !
….आप सुन सकते हैं यदि जरा भी इतिहास में उत्सुकता हैं ! इतिहास केवल राजाओं व युद्ध का ही नहीं होता हैं… समाज व संस्कृति का भी होता हैं ! युटुब जम्बुटॉक पर उन्हें सुनिये और समझिये !
✍🏻 कुमार पवन