16 जुलाई 1987 को आर वेंकट रमण भारत के 8वें राष्ट्रपति चुने गये। 25 जुलाई 1987 को सवा 11 बजे मुख्य न्यायाधीश आर. एस. पाठक ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आर वेंकट रमण के पास भी अपना लंबा राजनीतिक अनुभव था। वह रक्षामंत्री, उद्योगमंत्री, गृहमंत्री का अतिरिक्त प्रभार केन्द्र में संभाल चुके थे। अगस्त 1984 में वे देश के उपराष्ट्रपति बनाये गये थे। इसके अतिरिक्त और भी कई ऐसी जिम्मेदारियां उन्होंने निभाईं जिनसे उनका व्यक्तित्व धीर वीर गंभीर व्यक्ति का बना। उनका राष्ट्रपति काल घटनाओं से भरा हुआ था। वी.पी. सिंह ने मंडल की और भाजपा ने कमंडल की राजनीति से भारतीय राजनीति में उठापठक की घमासान मचा दी थी। वी.पी. सिंह को इन्होंने ही प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। फिर चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। राजीव गांधी की हत्या इन्हीं के काल में हुई। तब नरसिंहाराव को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। देश में अभूतपूर्व राजनीतिक अस्त व्यस्तता थी, लेकिन देश का यह सौभाग्य था कि उसे एक सुलझा हुआ संवैधानिक प्रमुख आर वेंकट रमण के रूप में मिला हुआ था। 25 जुलाई 2002 को जब इन्होंने राष्ट्रपति पद छोड़ा तो पदत्याग के दो घंटे बाद ही ये अपने गृहनगर मद्रास (चैन्नई) के लिए अपने परिवार सहित प्रस्थान कर गये थे। इनकी बुद्घिमत्ता, राजनीतिक अनुभव, निश्छल राष्ट्रप्रेम और निष्पक्ष दृष्टिï को सर्वत्र सराहा गया।
डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत