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इतिहास के पन्नों से

भारत के राष्ट्रपति और उनका कार्यकाल ,भाग – 7 ज्ञानी जैल सिंह (Gyani Zail Singh)

भारत के सातवें राष्ट्रपति के रूप में ज्ञानी जैलसिंह का नाम है। ये पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके थे। इंदिरा गांधी ने सत्ता में पुन: वापसी के पश्चात इन्हें देश का गृहमंत्री बनाया था। 11 जून 1982 को इन्हें इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया। 22 जून 1982 को इन्होंने गृहमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया। एच.आर. खन्ना पांच विरोधी पार्टियों के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे। 15 जुलाई 1982 को इन्होंने 4 लाख 71 हजार 428 मतों से खन्ना को पराजित किया। 25 जुलाई 1982 को ये देश के राष्ट्रपति बने। जस्टिस वाई. वी. चंद्रचूड़ ने इन्हें शपथ दिलाई। ये एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे। उर्दू का इन्हें अच्छा ज्ञान था। इनके काल में जब इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या की गयी तो उसी दिन शाम छह बजे इन्होंने राजीव गांधी को देश का प्रधानमंत्री बना दिया। वह इंदिरा को अपना नेता मानते थे और इसलिए उनकी इच्छा राजीव को ही प्रधानमंत्री बनाने की थी। लेकिन अजीब बात रही कि जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री बनाया था उसी राजीव से उनकी ठन गयी। कहते हैं कि भारत में पहली बार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ी कि लगभग संवादहीनता में बदल गयी। जिसके लिए राजीव गांधी अधिक जिम्मेदार थे। राजीव गांधी का अहंकारी स्वरूप अपने राष्ट्र प्रमुख के लिए उचित नहीं था। ज्ञानी जैल सिंह अहंकार शून्य व्यक्ति थे, अपनी उपेक्षा से तंग आकर एक बार उन्होंने संविधान विशेषज्ञों से इस बात पर सलाह मशवरा करना आरंभ कर दिया था, कि भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कैसे बर्खास्त किया जाए। तब राजीव गांधी ने वस्तुस्थिति को समझकर सरदार बूटा सिंह के माध्यम से क्षमा याचना कर स्थिति को संभाला था।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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