भारत के पांचवें राष्ट्रपति के रूप में फखरूद्दीन अली अहमद का नाम है। इन्होंने 24 अगस्त 1974 को शपथ ग्रहण की। डा. जाकिर हुसैन के पश्चात ये दूसरे ऐसे अल्पसंख्यक नेता थे जो राष्ट्रपति बने। निर्वाचन का परिणाम 20 अगस्त 1974 को ही आ गया था। इन्हें निर्वाचन में 80 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त हुए थे। इन्हें विपक्ष के त्रिदीप चौधरी ने संयुक्त प्रत्याशी के रूप में चुनौती दी थी। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में ये 1946 से ही संगठन में थे। 1964 से 1974 तक ये केन्द्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य रहे। इनके राष्ट्रपति बनने पर केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में मुस्लिमों की संख्या में वृद्घि हुई। दूसरे असम को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व मिला। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा करने वाले राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ही थे। इससे उनके स्वच्छ दामन पर दाग लग गया। इंदिरा गांधी रात्रि 12 बजे राष्ट्रपति भवन गयीं और राष्ट्रपति को सोते से जगाकर आपातकाल की घोषणा संबंधी अध्यादेश पर उनके हस्ताक्षर लिये। कहा जाता है कि इसके पश्चात फखरूद्दीन अली अहमद सो नहीं पाये थे। शायद वह स्वयं को माफ भी नहीं कर पाये और इसी कारण वह हृदयाघात के शिकार हुए। फलस्वरूप 11 फरवरी 1977 को वे इस संसार से चले गये। वह इस दुर्भाग्य को सहन नहीं कर पाये कि आपातकाल के कागजों पर उन्हें हस्ताक्षर करने पड़े। इंदिरा गांधी ने उन्हें अपने लिये प्रयोग किया, और यह भारतीय गणराज्य का दुर्भाग्य रहा कि भारत का राष्ट्रपति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं कर पाया। संवैधानिक रक्षक के द्वारा ही संविधान को ताक पर रखवा दिया गया।
डॉ राकेश कुमार आर्य