मटर और मानव स्वास्थ्य
मटर और हमारा स्वास्थ्य
साभार : दीपक आचार्य
मटर को हमारे मध्यभारत के इलाके में बटाना या बटरा भी कहते हैं, अंग्रेजी भाषा के शौकीन लोग इसे ‘ग्रीन पीस’ कहते हैं। इसके ताज़े दानों की सब्जी कमाल की लगती है। दानों को दूसरी अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर कई स्वादिष्ट सब्जियां भी बनायी जाती है। मटर के पराठे भी गज्जब लगते हैं । अब ये सारी पंचायत तो आप सब को पता ही है। अब कुछ नयी बात करें…
मटर/ बटाना/ ग्रीन पीस के दानों को निकालने के बाद इसके छिलकों को डस्टबीन का रास्ता दिखा दिया जाता है। ऐसा न करें, वो ट्राय करें जो बताने जा रहा हूँ। छिलकों को खूब अच्छी तरह से धो लें क्योंकि इसपर केमिकल्स हो सकते हैं। साफ धुलाई करने के बाद इन्हें कई तरह से इस्तमाल कर सकते हैं। इन धुले हुए छिलकों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर बेसन के साथ मिक्स कर पकोड़े बना सकते हैं। इसके मिक्स में थोड़ी सी मेथी भाजी और 2-4 काली मिर्च डालकर स्वाद दुगुना करा जा सकता है। पकोड़े लगते बड़े टेस्टी हैं। पकोड़ों के अलावा इसका सूप बना सकते हैं, सूप तो माय गॉड, एकदम सुपर सॉलिड टेस्टी होता है…दो मुट्ठी बारीक कटे हुए छिलके, एक मुट्ठी मटर के दाने, 3 कप पानी में उबालें, जब उबलने लगे तो इसमें 2 चम्मच देसी गाय का घी और चाहें तो एक चम्मच दूध की मलाई डाल दें। जबरदस्त स्वादिष्ट सूप बनता है। अब बात करते हैं, इन छिलकों के गुणों की…तो भई, मटर के छिलकों में दे दनादन न्यूट्रीएंट्स पाए जाते हैं। फाइबर्स, प्रोटीन्स और लगभग सभी तरह के विटामिन्स… सिर्फ दो मुट्ठी छिलकों को अपने पेट की यात्रा करवा देंगे तो डाइटरी फाइबर्स की ताबड़तोड़ मात्रा आपके शरीर को मिल जाएगी। मटर जो है वो दाल फेमिली का सदस्य है इसलिए इसमें प्रोटीन भी भरपूर होता है। विटामिन C और विटामिन K भी अच्छी खासी मात्रा में पाया जाता है। क्लीनिकल स्टडीज बताती हैं कि ‘लो ग्लायसिमिक इंडेक्स’ होने की वजह से डायबिटिक लोगों के लिए बहुत बढ़िया है मटर के छिलके। ज्यादा फाइबर्स होने की वजह से यह डायबिटिक रोगियों के शुगर लेवल के तेज़ी से बढ़ने को रोकता है, यानी ‘स्पाइक्स’ कंट्रोल करने में गजब ही मददगार होते हैं ये छिलके। शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी ये असरकारक हैं। फाइबर्स, प्रोटीन, विटामिन्स, थायमिन, फोलेट, आयरन, और क्या क्या चाहिए आपको, सब हैं इन छिलकों में…दानों से ज्यादा दम छिलको में है यानी चाय से ज्यादा गरम तपेली है ।
दानों को लिमिटेड अमाउंट में खाएं क्योंकि उनमें ‘एंटी न्यूट्रीएंट्स’ होते हैं। ऐसा भला क्यों? तो सुनिये दीपकआचार्य से… लिमिटेड अमाउंट मतलब 200 ग्राम, 200 ग्राम से कम खाएं क्योंकि इनमें फाइटिक एसिड और लेक्टिंस पाए जाते हैं जो शरीर में आ जाएं तो शरीर की कोशिकाओं में दूसरे न्यूट्रीएंट्स की एंट्री रोक देते हैं। इसीलिए कहता हूँ, दाने तो खाएं ही (200 ग्राम से कम ) पर छिलकों को जरूर उपयोग में लाएं, येन केन प्रकारेण..
हमारे पातालकोट के आदिवासियों के घरों में तो इसके छिलकों की चटनी भी बनायी जाती है, ताकत के लिए…और आप शहरी लोग तो शिलाजीत के चक्कर में जूते घिसे जा रहे हैं। आज की पंचायत बस इतनी सी.. अब मैं चला मटर के छिलकों और दानों की सब्जी और सूप बनाने, आप टपकाते रहें लार…मुझे क्या
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।