पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र तुंगनाथ मंदिर
हिमालय की बांहों में स्थित तुंगनाथ मंदिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। इस स्थल की खास बात यह है कि यहां आने वाले लोगों में ऐसे लोग बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं, जिनका जीवन तनावों से भरा हुआ है और वह आधुनिक जीवनशैली के अभिशापों को झेल रहे हैं, लेकिन यहां आने के बाद उनका जिंदगी जीने का नजरिया ही बदल जाता है। और इस बदलाव का कारण होता है यहां का आधयात्मिक माहौल।
समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर खुद में कई दंतकथाओं और किवंदतियों को भी समेटे हुए है। जिस दंतकथा पर सर्वाधिाक लोग विश्वास करते हैं, वह यह है कि इसे पांडवों ने बनवाया था, ताकि भगवान शिव उनसे प्रसन्न हो सकें। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडवों द्वारा बड़े पैमाने पर नरसंहार किए जाने से मृत्यु के देवता शिव उनसे क्रुद्ध हो गये थे।
तुंगनाथ मंदिर केदारनाथ और बद्रीनाथ के करीब-करीब बीच में स्थित है। यह उकी मठ से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर है। यहां पंचचुली, नंदा देवी, नीलकंठ, केदारनाथ और बंदरपूंछ जैसी चोटियों की मनोरम सुंदरता भी देखी जा सकती है। तुंगनाथ मंदिर के लिए बेस कैम्प के रूप में चोपटा नामक जगह प्रसिद्ध है। यहां से तुंगनाथ मंदिर मुश्किल से साढ़े तीन किलोमीटर दूर है। यहां आते समय प्रकृति की हरियाली और चिडि़यों की चड़चड़ाहट रास्ते भर आपका साथ देगी। तुंगनाथ पहुंचते ही आपको कई तरह के दुर्लभ पेड़ों और रंग-बिरंगे फूलों के तो दर्शन होंगे ही इसके अलावा आपको यह भी महसूस होगा कि जलप्रपात और दुर्लभ चिडि़यां आपका स्वागत कर रहे हैं।
ग्रेनाइट के इस भव्य मंदिर को देखने प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में तीर्थयात्री और पर्यटक यहां आते हैं। ‘मून माउंटेन’ के नाम से प्रसिद्ध चंद्रशिला भी यहीं पास में ही स्थित है। यदि आप मंदिर से यहां तक की यात्रा पैदल ही करें तो राह में आपको एक ओर हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे तो दूसरी ओर आप गढ़वाल की घाटी देख सकेंगे। तुंगनाथ तक पहुंचने के लिए आप ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग और चमोली होते हुए किसी भी वाहन से आ सकते हैं। यदि चाहें तो उकी मठ ओर दोग्गलबिटा से भी यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं।