आप 12वीं पास करने के फौरनबाद नेशनल डिफेंस एकेडमी में आवेदन कर सकते हैं। इसकी परीक्षा पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) अप्रैल और अक्तूबर के दौरान आयोजित करता है। पुरुष परमानेंट कमीशन के लिए आवेदन कर सकते हैं जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए पुरुष और महिलाएं, दोनों आवेदन कर सकते हैं। परमानेंट कमीशन के लिए दाखिला एनडीए या इंडियन मिलिटरी एकेडमी (आइएमए) के जरिए ही हो सकता है।
अगर आप यूपीएससी की इस परीक्षा में पास नहीं हो पाते हैं तो घबराए नहीं। आप ग्रेजुएशन या प्रोफेशनल डिग्री हासिल करने के बाद भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। जो उम्मीदवार ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद अप्लाई करते हैं उन्हें कंबाइंड डीफेंस सर्विसेज एक्जाम में बैठना होता है। ओफिसरों का चयन सर्विस सिलेक्शन बोर्डर्स (एसएसबी) में पर्सनालिटी असेसमेंट पर आधारित होता है। एसएसबी की परीक्षा के दौरानसेना में शामिल किए जाने वाले सारे उम्मीदवारों का 15 ऑफिसर-लाइक-क्वालिटीज को तीन विभिन्न तकनीकों से परीक्षण किया जाता है। ये तकनीक साइंटिफिकली डेवलप्ड हैं और पर्सनलिटी देखने के लिए ह्यूमन साइकोलॉजी पर आधारित हैं। उम्मीदवारों को तीन टेस्ट देने होते हैं- साइकोलॉजी, ग्रुप टेस्टिंग और इंटरव्यू।
सेना में कम समय बिताने की चाहते रखने वाले उम्मीदवार शॉर्ट सर्विस कमीशन चुन सकते हैं। इससे आपको पांच साल के लिए सेना में कमीशंड ऑफिसर के तौर पर सेवा देने का अवसर मिलता है। शॉर्ट सर्विस कमीशन में एक बार समय पूरा होने के बाद आपके सामने परमानेंट कमीशन चुनने या फिर पांच साल का और एक्सटेंशन चुनने का विकल्प रहता है। शॉर्ट सर्विस कमीशन में ढेर सारे विकल्प होते हैं। अगर आप सेना से बाहर निकलने का फैसला भी कर लें तो आपकी सेवा के पांच साल बेकार नहीं जाते हैं। इस दौरान आप जोमैनेजेरियल, एडमिनिस्ट्रेटिव, लीडरशिप और सांगठनिक क्षमताएं विकसित करते हैं। दुनिया में उनकी काफी मांग है।
ट्रेनिंग : अफसरों की ट्रेनिंग पुणे में नेशनल डीफेंस एकेडमी (एनडीए) देहरादून में इंडियन मिलिटरी एकेडमी (आइएमए) और चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में होती है। आइएमए और ओटीए में ट्रेनिंग के दौरान आपकी कमाई भी होती रहती है। 12वीं के बाद एनडीए ज्वाइन करने वाले सारे कैडेट्स को तीन साल तक प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर उन्हें जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से बीए, बीएसी या बीएससी कम्प्यूटर साइंस की डिग्री दी जाती है। सामान्य दिनों में हर रोज पढ़ाई के अलावा ड्रिल, पीटी और खेलकूद कराया जाता है। कैडेट्स को नेतृत्व क्षमता, टीम स्पिरिट और उनकी मेंटल और फिजिकल स्ट्रेंथ विकसित की जाती है।
आइएमए के इंटर्न सात मुख्य एंट्री स्ट्रीम्स से आते हैं। पुणे के एनडीए कैडेट्स, आर्मी कैडेट कॉलेज कैडेट्स, ग्रेजुएट डायरेक्ट एंट्री (डीई), टेक्नीकल इंस्टीट्यूशंस, कॉलेजों से टेक्नीकल ग्रेजुएट एंट्री स्कीम (टीजीई), 12वीं पास करने के बाद टेक्नीकल एंट्री स्कमी (टीईएस), यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम (प्री यूनिवर्सिटी) और स्पेशल कमीसंड ऑफिसर्स कोर्स (एससीओ)। एक ओर जहां डीई के तहत डेढ़ साल की ट्रेनिंग होती है वहीं बाकी सबकी ट्रनिंग एक साल में पूरी हो जाती है।
आइएमए में ट्रेनिंग का उद्देश्य जेंटलमैन कैडेट्स (जीसी) तैयार करना है। उन्हें शिष्टाचार और नेतृत्व क्षमता का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।