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डॉ डी के गर्ग
पौराणिक मान्यता: दुर्गा मां शक्ति की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और पार्वती, जगदम्बा और आदि नामों से भी जाना जाता हैं। वह शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में किया जाता है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है । जिन ज्योतिर्लिंगों में देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं(सावित्री, लक्ष्मी एवं पार्वती से अलग)।मुख्य रूप उनका ‘‘गौरी‘‘ है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप ‘‘काली‘‘ है, अर्थात – काला रूप।
विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं। भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।
दुर्गा के काल्पनिक स्वरूप द्वारा वास्तविक सन्देश —
दुर्गा को दुर्गा शक्ति माता के नाम से भी जाना जाता है ,इसका वास्तविक सन्देश क्या है ? किसी भी महिला के भौतिक रूप से आठ हाथ नहीं हो सकते है , यदि किसी के दो से अधिक हाथ भौतिक रूप से हो तो ये शक्ति की निशानी नहीं, बल्कि विकलांगता होगी और उसके जीवन में एक प्रकार से नर्क की स्थिति बन जाएगी। दुर्गा को आठ भुजाओं वाली कहना किसी भी तरह से स्वीकार करने योग्य नहीं है।इसका वास्तविक अर्थ समझना जरुरी है।
दुर्गा की अष्ट भुजाओं का वास्तविक अर्थः इस काल्पनिक चित्रण में एक तीर से दो निशाने साधे हैं। यानि चित्र के माध्यम से दो अलग अलग प्रकार के सन्देश दिए है।
पहला सन्देश- काल्पनिक चित्र में दुर्गा की आठ भुजाये है और सभी भुजाओ ने कुछ ना कुछ पकड़ा हुआ है .
दुर्गा का अर्थ “दुर्गाणि तरन्ति ये”
‘‘दुर्गाणि‘‘ जिसका अर्थ महर्षि दयानन्द जी ने किया है ‘‘दुःखेन गन्तुं योग्यानि स्थानानि‘‘ दुःखों को तैरने (पार करने) के लिए प्रार्थना की गई है । दुर्गाणि का अर्थ दुर्गम स्थितियाँ है । ये सब दुर्गाणि -कठिनाईयों से तरन्ति -पार करते हैं।
दूसरा सन्देश -अष्ट भुजी दुर्गा
बचपन में मैंने कई बार देखा की कुछ मूर्तिकार मिट्टी से तरह तरह मूर्तिया बनाकर मनोरंजन के साथ साथ ज्ञान वर्धन भी करते थे। शिक्षा का ये उत्तम माध्यम था। तब ना कोई मोबाइल ,ना इंटरनेट आदि की सुविधा थी , उस समय ईश्वर के विभिन्न कार्यों और उसके स्वरूप को काल्पनिक चित्रण के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता था। और भीड़ एकत्र होने के बाद सभी को चित्रण की विशेषताएं समझाता था।
अष्ट भुजी दुर्गा के नाम से महिला की शक्ति और स्वरूप का जिस भी विद्वान ने चित्रण किया है वह वास्तव में सराहनीय है। इस चित्रण के द्वारा महिलाओं के सम्मान में एक विशेष सन्देश देने का प्रयास किया गया है। जिसको समझने की जरुरत है।
इस विषय में विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:
1.त्रिशूल -माता ने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है। इसका मतलब सृष्टि की रचना के तीन तत्वों से है। ये तीन तत्व है -सत्य ,रज और तम। और तीन ही अनादि तत्व है ईश्वर जीव और प्रकृति – जिनको सभी को समझना चाहिए।
2.सुदर्शन चक्र -मां दुर्गा ने तर्जनी पर सुदर्शन चक्र धारण कर रखा है। इसका भावार्थ है की हमको अपनी प्रवृतियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने कर्तव्य को उत्तम गति और उत्तम सञ्चालन की व्यवस्था देनी चाहिए। यही सभी माँ अपनी संतान के लिए करती है ,जिसके लिए हमको हमेशा कृतज्ञ होना चाहिए ।
सुदर्शन चक्र- सुदर्शन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है -‘‘सु‘‘ जिसका अर्थ है उत्तम अथवा पवित्र और ‘‘दर्शन‘‘ का अर्थ है दिखना अथवा दिखाई देना। इसी प्रकार चक्र भी संस्कृत शब्द ‘‘चृ‘‘ और ‘‘कृ‘‘ से मिलकर बना है ‘‘चृ‘‘ का तात्पर्य गति, चाल, संचलन आदि और ‘‘कृ‘‘ का तात्पर्य है करना , हो जाना, बन जाना, आदि। तो कुल मिलाकर सुदर्शन चक्र का पूरा अर्थ कुछ इस प्रकार होगा –
‘‘उत्तम गति और सञ्चालन की व्यवस्था का दिखाई देना‘‘
3 कमल का फूल – मां दुर्गा ने हाथ में कमल का फूल धारण कर रखा है। कमल का पुष्प इस बात को दर्शाता है कि कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो ,हमेंअपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। जिस प्रकार कमल का फूल कीचड़ में भी रहकर खुद को स्वच्छ बनाए रखता है। ठीक उसी तरह संसार में चाहे कितनी भी बुराई हो। लेकिन हमें खुद को बेहतर और अच्छा इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए।
4.तीर -धनुष- मां दुर्गा ने हाथों में तीर -धनुष धारण किया हुआ है। जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
5.व्रज- व्रज धारण किये हुए माता दृढ़ निश्चय और विश्वास को दर्शाती है। जीवन में कितनी भी कठिन समस्या उत्पन्न क्यों न हो जाए हमें हिम्मत हारे बिना उन परिस्थितियों का सामना करना चाहिए।
6.तलवार-दुर्गा के हाथ में तलवार समझदारी और ज्ञान प्रतीक है। तलवार की नोंक और उसकी चमक बुद्धिमत्ता और ज्ञान को दर्शाती हैं। और ये सन्देश है की हमेशा हथियार साथ में रखना चाहिए ताकि समय आने पर आत्म रक्षा की जा सके।
7.भाला – मां दुर्गा एक हाथ में भाला थामे हुए दिख रही है जिसका भावार्थ है की जरुरत पड़ने पर शत्रु का संहार करने के लिए उस पर भाला फैंककर अपने से दूर रखो और उस पर हथियार का प्रयोग करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
8.कुल्हाड़ी-अपने शत्रु को जड़ से समाप्त कर देना चाहिए जैसे कुल्हाड़ी से पेड़ को जड़ सहित समाप्त कर देते है ऐसी प्रकार अपनी बुरी प्रवृतियों को भी शत्रु की भांति समाप्त कर देना चाहिए।