डॉ डी के गर्ग
कृपया अपने विचार बताये और शेयर करे
पौराणिक मान्यता:-मनाने का तरीका:
करवा चौथ व्रत के दिन महिलाएं देर रात्रि तक यानि चांद के दिखने तक निर्जला रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर के लिए या होने वाले पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।इस दिन पारिवारिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा भी सुनी जाती है।
फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत संपन्न होता है। कही कही शादी-शुदा महिलाएं एक छलनी में पहले दीपक रख चंद्रमा जी को देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं।
माना जाता है कि प्यार और आस्था के इस पर्व पर करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं के गृहस्थ जीवन में सुख, शान्ति, समृद्धि और सन्तान सुख मिलता है। हिन्दू महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं।
वृत के समीक्षा:
तर्कशास्त्री का विचार– तर्कशास्त्री का विचार है कि इस प्रथा के पीछे कोई खास कारण तो जरूर है क्योंकी हमारे सभी पर्व और उपवास प्रथा परंपराएं आदि स्वास्थ्य से जुड़े हैं और ये पर्व भी इसी प्रकार की एक प्रथा है।
करवा चौथ कार्तिक मास में वर्ष में केवल एक बार आने वाली पूर्ण चंद्रमा की रात्रि वाले शरद पूर्णिमा के चौथे दिन मनाए जाने के कारण इसका असली नाम कार्तिक चौथ है जो बाद में करवा चौथ के नाम से जाना जाने लगा।
आयुर्वेद के अनुसार ये समय महिलाओं के लिए गर्भ धारण करने और स्वयं को और निरोगी बनाने का उपयुक्त समय होता है और एक दिन के लम्बे उपवास के द्वारा शरीर को और शुद्ध कर लिया जाता है।
नवरात्रों के बाद जब वर्षा ऋतु का प्रस्थान हो रहा है और शरद ऋतु की दस्तक शुरू हो रही है। ये ऐसा माह है जब न तो सर्दी न ज्यादा गर्मी ,ना वर्षा का होता है और कुल मिलाकर मौसम बहुत सुहाना होता है। इसके अतिरिक्त इस मौसम में यदि पित्त वृद्धि का प्रकोप ना हों तो शरीर भी पूर्ण निरोगी रहता है ।
इससे पूर्व नवरात्रि पर्व पर नौ दिन के व्रत और नौ विभिन्न औषधियों के सेवन के द्वारा शरीर को और भी शुद्ध कर लिया जाता है।इस आलोक में महिलाओं के लिए गर्भ धारण करने और स्वयं को और निरोगी बनाने का ये उपयुक्त समय होता है।यदि नवरात्र व्रत के द्वारा कुछ कमी भी रह जाए तो इस एक दिन के लम्बे उपवास के द्वारा शरीर को और अधिक शुद्ध कर लेने की परंपरा है।
प्रश्नः-ये समय ही गर्भधारण के लिए ज्यादा उपयुक्त क्यों है? गर्भधारण तो एक सामान्य प्रक्रिया है।
इसका जवाब खोजने की कोशिश की गई।आयुर्वेद कहता है कि जून – जुलाई माह में जन्म लेने वाले बच्चे ज्यादा निरोगी और मजबूत होते हैं।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में हुए एक शोध के मुताबिक एक व्यक्ति के जन्म के महीने का उसकी सेहत से गहरा नाता होता है। इस शोध में यह सामने आया है कि यदि किसी व्यक्ति का जन्म मई या जुलाई के माह में हुआ है तो वह उम्र भर बीमारियों से बचा रहता है।
बीमारियों के आधार पर यह ज़रूर बताया जा सकता है कि बच्चे का
जन्म जिस महीने में जन्म होता है उस माह के मौसम असर उस पर कम से कम तीन महीने रहता है। यहां जन्म से तात्पर्य गर्भ में जन्म से है।इस आलोक में गर्भधारण के समय मां का स्वस्थ होना जरूरी है। आगे
गर्मियों में जन्मे बच्चे को सूरज की अधिक रोशनी मिलती है, इसी के परिणामस्वरूप इन दिनों में जन्मे बच्चे ज्यादा स्वस्थ और लंबे होते हैं।
विज्ञानिक कहते है की गर्मियों में पैदा होने वाले बच्चे तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्वस्थ और लंबे होते हैं। यह अध्ययन जरनल हेलियोन में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि गर्मियों में पैदा होने वाली लड़कियों में शारीरिक बदलाव देर से होते हैं जो वयस्क जीवन में उनके बेहतर स्वास्थ्य का संकेत है।
तर्कसंगत के आधार पर विचार बहुत ज्यादा प्रामाणिक नहीं है लेकिन आयुर्वेद की दृष्टि से विश्वास करने योग्य है।
दुर्भाग्य से इस परम्परा के पीछे दिखावा और पति परमेश्वर की उम्र घटने या बढ़ने का डर ज्यादा है। और वो महिलायें भी व्रत रखती हैं जो बीमार हैं उल्टे अपने परिवार को और स्वयं को कष्ट देती है। इस दिन चंद्रमा भी काफी देरी से दिखाई देता है इसलिए भूख प्यास से परेशान होकर चन्द्रमा के दिखने का इंतजार होता रहता है।
आचार्य चाणक्य क्या कहते है:
ऋपत्युराज्ञां विना नारी उपोष्य व्रतचारिणी।
ऋआयुष्यं हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत।। चाणक्य नीति – १७ – ९
जो स्त्री पति की आज्ञा के बिना भूखों मरने वाला व्रत रखती है वह पति की आयु घटाती है और स्वयं महान कष्ट भोगती है।
व्रतों (अर्थात) भूखे रहने के कारण से आयु घटेगी ऐसा मनुस्मृति में लिखा है।
ऋपत्यौ जीवति तु या स्त्री उपवासव्रतं ऋचरेत।
आयुष्यं बाधते भर्तुर्नरकं चैव गच्छति।।
जो पति के जीवित रहते भूखा मरने वाला व्रत करती है। वह पति की आयु को कम करती है और मर कर नरक में जाती है।
विचारणीय–
कितने ही व्यक्ति रोङ दुर्घटना मे,हार्ट अटैक बीमारी से, सीमा पर सैनिक आदि मारे जाते है। जिसका जन्म है उसकी मौत निश्चित ही होगी इसमें कोई संशय नहीं है क्योंकि शरीर अनित्य है उसको नित्य मानना अविद्या है। जो महिलाएं व्रत नहीं रखती जैसा कि सिर्फ भारत में ही ये प्रचलन है वहाँ पति की आयु घटने का कोई प्रमाण नहीं है।
हमारे धार्मिक ग्रंथ वेद को प्रमाण मानकर देखना चाहिए कि वेद का इस विषय में क्या आदेश है। वेद का आदेश है- ऋव्रतं कृणुत ( यजुर्वेद ४-११ )
व्रत करो व्रत रखो व्रत का पालन करो। ऐसा वेद का स्पष्ट आदेश है। परन्तु कैसे व्रत करें? वेद का व्रत से क्या तात्पर्य है? वेद अपने अर्थों को स्वयं प्रकट करता है।
वेद में व्रत का अर्थ हैः-
अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छ्केयं तन्मे राध्यतां इदमहमनृतात् सत्यमुपैमि।( यजुर्वेद १-५ )
हे व्रतों के पालक प्रभो मैं व्रत धारण करूँगा मैं उसे पूरा कर सकूँ आप मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करें मेरा व्रत है कि मैं असत्य को छोड़कर सत्य को ग्रहण करता रहूँ। इस मन्त्र से स्पष्ट है कि वेद के अनुसार किसी बुराई को छोड़कर भलाई को ग्रहण करने का नाम व्रत है। शरीर को सुखाने का या देर रात्रि तक भूखे मरने का नाम व्रत नहीं है।
करवा चैथ का उद्देश्य जो बताया जाता है, ‘‘वह है कि पति की आयु बढ़ाई जावे।‘‘
‘‘प्रश्न यह है कि, क्या केवल पति की ही आयु बढ़नी चाहिए? पत्नी की नहीं? परिवार में सब की आयु नहीं बढ़नी चाहिए? सबकी आयु बढ़नी चाहिए।‘‘ यदि परिवार में सब की आयु बढ़ेगी, तभी करवा चौथ मनाना सार्थक एवं सफल होगा। करवा चौथ को सफल बनाने के लिए, अर्थात आयु को बढ़ाने के लिए कुछ उपाय प्रस्तुत हैं, जो निम्नलिखित हैं।
1. आयु बढ़ाने के उपाय —
आयुर्वेद के अनुसार रात को जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, सात्विक आहार लेना, पूर्ण निद्रा लेना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, ईश्वर पर विश्वास रखना, ईश्वर की उपासना करना, यज्ञ करना,मित्रो के साथ गपशप करना, स्वाध्याय, सत्संग आदि करना, श्रेष्ठ लोगों से मित्रता रखना, इत्यादि। इन उपायों से मनुष्य अपनी आयु को बढ़ा सकता है।
यदि इन उपायों को परिवार के सब लोग अपनाएं, तो परिवार के सभी सदस्यों की आयु बढ़ेगी। ये उपाय सब लोगों को करने पड़ेंगे।
इसलिए करवा चौथ को भी ठीक ढंग से मनाएं। जो आयु बढ़ाने के उपाय हैं, उनका पालन पति, पत्नी और पूरा परिवार सभी लोग करें।
2. आयु घटने के कारण–
पत्नी द्वारा उपवास करने से पति की आयु नहीं बढ़ेगी। बल्कि पति के साथ मीठा बोलना, सत्य बोलना, झगड़ा नहीं करना, उसे डांटना नहीं,उसको तनाव में नही रहने देना,बच्चो और पिता के बीच समजस्य ना होना ,घर में द्वंद होते रहना , सभ्यता, नम्रता से व्यवहार करना, आवश्यकता पड़ने पर सेवा ना करना आदि उम्र घटने के कारण है।
इसके अतिरिक्त कर्ज लेकर न लौटना,या किसी को कर्ज देकर तनाव में रहना,जरूरत से ज्यादा व्यवसाय करना और घाटे नफा का झटका ना झेल पाना, भीतरघात का शिकार होना आदि।
आयुर्वेद के अनुसार,शराब पीना,अंडे मांस खाना,इत्यादि तामसिक भोजन करना,अनियमित दिनचर्या का होना, बुरे लोगों की संगति करना, व्यभिचार करना, अधिक जागना, मन इंद्रियों पर असंयम करना, नास्तिकता होना, रोग, चिंता, शोक आदि से दुखी रहना, इत्यादि से मनुष्य की शारीरिक व मानसिक शक्ति कम हो जाती है, और उससे मनुष्य अल्पायु में ही मर जाता है।
आयु को घटाने वाले इन कारणों से सभी लोग बचें। अर्थात् इन चीजों का परहेज करें, तभी आपको लाभ होगा, और जो करवा चैथ का उद्देश्य है, सबकी आयु को बढ़ाना, वह पूरा हो सकेगा।
पर्व विधि: करवा चौथ को ठीक विधि से मनाएं –
करवा चौथ मनाने का उद्देश्य है परिवार के सभी सदस्यों की आयु को बढ़ाना न केवल पति की आयु को बढ़ाना क्योंकि केवल पति ही लंबा जीवन नहीं जीना चाहता, परिवार के सभी लोग लंबा जीवन जीना चाहते हैं। इस विषय को ठीक प्रकार से समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं।
एक व्यक्ति शराब पीता था, जिससे उसको शरीर में हानि हो रही थी, फेफड़े खराब हो रहे थे। वह एक वैद्य जी के पास गया। वैद्य जी ने उसे बताया, कि ‘‘यह औषधि खाओ। ऐसे ऐसे सोना जागना दिनचर्या आदि रखो, व्यायाम करो, विश्राम करो, ब्रह्मचर्य का पालन करो, तो आपका रोग ठीक हो जाएगा।‘‘
‘‘परंतु शराब पीने से उस व्यक्ति को मना नहीं किया, परहेज नहीं बताया।‘‘ आप सोचिए, ‘‘जब तक वह शराब पीने से परहेज नहीं करेगा, शराब पीना बंद नहीं करेगा, क्या उसका स्वास्थ्य अच्छा हो जाएगा? क्या औषधि लाभ करेगी? क्या उसका रोग मिट जाएगा?‘‘ इतनी साधारण सी बात सभी लोग समझ सकते हैं, कि परहेज किए बिना उसे लाभ नहीं होगा।‘‘ ठीक इसी प्रकार से करवा चैथ के नाम पर जो विधियाँ चल रही हैं, वे गलत हैं। ‘‘जब तक उन गलत विधियों से परहेज नहीं करेंगे, तब तक कोई लाभ नहीं होगा।‘‘
1.मुख्यत ये पर्व सुहागिनों के लिए है ,जो शरीर शुद्धि के लिए उपवास कर सकती हैं यदि आवश्यक हो। परन्तु बीमार महिलाए उपवास ना रखे और दवाई लेना बंद ना करें
२. पति-पत्नी अपने व्यस्त समय से आज के दिन अवकाश लें और साथ रहें।
३. पति-पत्नी साथ बैठकर परिवार के साथ सामूहिक यज्ञ करें और उसमे सुगन्धि और पुष्टिवर्धक औषधि सामग्री में डालें।
४. परिवार के लिए भविष्य की योजना बनाए और सुखपूर्वक भविष्य के लिए चर्चा करें। आपसी सौहार्द के लिए चर्चा करें।
५. पति पत्नी दीर्घ आयु के लिए विगत वर्ष तक आयी सभी बुरी आदतों जैसे शराब, नशा, व्यायाम न करना आदि की विरुद्ध यज्ञ में संकल्प लें।
६.पति पत्नी आपस में एक दूसरे को अनावश्यक टोकने और अनावश्यक एक दूसरे पर गुस्सा ना करने का संकल्प लें।
७ बच्चो को समझाए की परिवार की एकता ,अखंडता सबसे बड़ी पूंजी है और इस पूंजी के लिए माता पिता उनके मार्गदर्शक है और रहेंगे।