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आज का चिंतन

यज्ञ वायु प्रदूषण का वैश्विक समाधान∆


लेखक आर्य सागर खारी 🖋️

इस समय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के लिहाज से बेहद खराब स्थिति है| एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के आंकड़े को छू रहा है| सरकार संस्थाओं, विशेषज्ञों को सूझ नहीं रहा है ऐसी स्थिति में क्या किया जाए..?
समाधान सभी के सामने है परमात्मा ने वेदों में प्रदूषण के खात्मे के लिए जो ज्ञान हमारे पूर्वजों व सारी सृष्टि के मनुष्यों के लिए दिया था वह केवल और केवल यज्ञ है कथित धर्मनिरपेक्ष सरकार व संस्थाओं को यह वैश्विक प्राकृतिक समाधान दिखाई नहीं दे रहा..

यज्ञ से प्रदूषण के नाश को समझने से पहले प्रदूषण को समझना होगा वायु में 2 माइक्रोमीटर से लेकर 10 माइक्रोमीटर के तत्व तैरते रहते हैं जिसे एयरोसोल बोला जाता है जिसमें धूल के कण, फुके हुए पेट्रोल डीजल के कन अर्थात हाइड्रोकार्बन ,बैक्टीरिया ,वायरस आदि शामिल होते हैं इन्हें पार्टिकुलेट मैटर Pm कहते हैं | माइक्रोमीटर को भी समझना जरूरी है माइक्रोमीटर मीटर का 10 लाख वा हिस्सा होता है| इसे ऐसे समझते हैं सकते हैं हमारे सिर के बाल की मोटाई 50 माइक्रोमीटर होती है अब सोचिए इतने सूक्ष्म 2.5 से लेकर 10 माइक्रोमीटर के प्रदूषक कणों को कैसे नियंत्रण में लाया जाए इसके लिए यज्ञ की कार्यप्रणाली तीन स्तर पर कार्य करती है….. भौतिक विज्ञान का सीधा सा नियम है जो पदार्थ जितना सूक्ष्म व हल्का होता है वह उतनी ही देरी तक वायुमंडल में टिका रहता है |

वायुमंडल में सूक्ष्म कण मिलकर स्थूल कण का निर्माण करते रहते हैं तथा एक निश्चित मात्रा में मोटे होने पर गुरुत्व के प्रभाव से जमीन की ओर गति करते हैं अंत में धरती की सतह से चिपक जाते हैं इस प्रक्रिया को डिपोजिशन प्रक्रिया बोला जाता है यज्ञ करने से डीपोजीशन velocity में वृद्धि होती है सूक्ष्म प्रदूषक कण वातावरण में ठहर नहीं पाते स्थूल होकर जमीन पर गिर जाते हैं क्योंकि यज्ञ से निर्मित सूक्ष्म घी के कण इन कणों को चिपका कर विशाल आकार में परिवर्तित कर देते हैं 100 माइक्रोमीटर तक.. अब वह वायुमंडल में अधिक देर तक रुक नहीं पाते |

जहां यज्ञ होता है यज्ञवेदी के चारों ओर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है इसे आइसोथर्मल इंपैक्ट कहा जाता है| मानव नेत्र से यह दिखाई नहीं देता किसी थर्मल इमेजिंग कैमरे से देखिए यह red_spot समूह के रूप में दिखेगा |वातावरण में इससे वायु उच्च दाब से निम्न दाब की ओर बहने लगती है वायुमंडल मैं सक्रियता उत्पन्न हो जाती है वायुमंडल की प्राकृतिक सक्रियता ही प्रदूषण को नियंत्रित करती है जो अब कम हो गई है यज्ञ से यह सक्रियता पुनर्जीवित हो जाती है | इतना ही नहीं यज्ञ से पेड़ों के कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है फलस्वरूप अधिक कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में उच्च अनुपात में मौजूद नहीं रह पाती|

आर्य सागर खारी ✍️✍️✍️

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