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अब होगी इंटरनेट की अभूतपूर्व निगरह्वानी

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से यह समस्या बढती ही जा रही है कि इंटरनेट ट्विटर ईमेल वेवसाइट आदि पर असामाजिक लोग गलत तरीके से अपना हस्तक्षेप कर रहे थे। कई बार सुना जा रहा था कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं। लेकिन अब ऐसी तैयारी की जा रही है कि फेसबुक ट्विटर वेवसाइट, ईमेल पर शिकंजा कसने में सरकार को कुछ भी देर नहीं लगेगी। पूरे देश में हर क्लिक पर निगाह रखने हर सर्च की सर्च करने और हर एसएमएस पर नजर रखने की तैयारी कर ली गयी है। जल थल और नभ में फैला मॉनीटरिंग नैटवर्क सरकार की नजर में रहेगा। इस अभियान में खुफिया एजेंसियों का पूरा दस्ता लगा है। स्थलीय नेटवर्क से लेकर उपग्रह और समुद्रीय केबल तक सभी जगह इंटरनेट ट्रेफिक सिस्टम लगाया जा रहा है। देश में स्थापित 53 मॉनीटरिंग मॉड्यूल हैं जिन्हें कूट संदेश खोलने और कंटैंट को जांचने के लिए एक केन्द्रीय तंत्र से जोड़ा जा रहा है। लगभग 450 करोड रूपये के इस अभियान की तकनीकी कमान एनटीआरओ के हाथ है। खूफिया ब्यूरो, राष्टï्रीय जांच एजेंसी, मिलिट्री एंटैलीजेंस, रिसर्च एण्ड एनालेसिस विंग, दूरसंचारविभाग, सीडॉट, सूचना तकनीकी विभाग, टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर, इन मॉनीटरिंग प्रणालियों का संचालन करेंगे। आतंकी खतरों साइबर सुरक्षा, और गोपनीयता की जरूरतों के चलते इंटरनेट मॉनीटरिंग का अभियान गजब की तेजी के साथ शुरू किया गया है। इसके लिए खुफिया एजेंसियों रक्षा और ग्रहमंत्रालय और एडवांस कंप्यूटरिंग संस्थानों के बीच पिछले छह माह में कई बैठकें हुई हैं। एनटीआरओ पूरे अभियान का सूत्रधार है जिसे करीब बीस करोड़ का शुरूआती बजट दिया गया है। पूरे अभियान में अहम पहलू उस अकूत कंटैंट की निगरानी है जो चैट, मेल, सोशल मीडिया, फोटो के जरिये वेब में तैरता है। इस निगरानी के लिए विशेष तकनीकी का इस्तेमाल होगा।

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