जमशेदपुर विशेष संवाददाता श्री कृष्णा सिंह संस्थान के अर्धशताब्दी समारोह में विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए निबंधन अधिकारी श्री एस0 पी0 दयाल यति ने कहा कि शिक्षा, संस्कार, सेवा , समर्पण, सद्भाव जैसे गुणों से ही कोई समाज या राष्ट्र महान बनता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत में इसी प्रकार के शिक्षा संस्कारों को देने की व्यवस्था की गई थी। भारत की गुरुकुल शिक्षा प्रणाली संपूर्ण विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र होती थी। जिसमें दूर-दूर देश से आकर विद्यार्थी शिक्षा लाभ लिया करते थे। इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था से संपूर्ण संसार में शांति व्यवस्था बनी रहती थी। उस काल में भारत को विश्व गुरु के नाम से पुकारा जाता था । आज भी हमें इसी दिशा में ठोस कार्य करने की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि यह संस्थान इसी प्रकार के पवित्र उपदेश के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत की गुरुकुल शिक्षा प्रणाली विद्यार्थी को मनुष्य बनाने पर जोर देती थी। पूरी शिक्षा प्रणाली आचार्य केंद्रित होती थी। आचार्य जिस प्रकार से शिक्षा दिया करते थे उसे संपूर्ण समाज अपनी मान्यता प्रदान करता था । उसी का परिणाम होता था कि बच्चों के भीतर संस्कार और मर्यादा के भाव बचपन में ही विकसित हो जाते थे। सधी सधाई राह पर चलते हुए ये विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान करते थे । जो लोग देश की मुख्य धारा से इधर-उधर चलने का प्रयास करते थे उन्हें समाज के लोग असामाजिक कहकर चिन्हित करते थे। फिर संपूर्ण राज्य व्यवस्था उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करने के लिए प्रतिबद्ध होती थी। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुख और चिंता का विषय है कि आज की शिक्षा प्रणाली में इस सारी सुंदर व्यवस्था को गुड गोबर कर दिया गया है। यद्यपि केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार इस दिशा में ठोस कार्य करती हुई दिखाई दे रही है । संपूर्ण देशवासियों को इस प्रकार के सरकारी प्रयासों को अपना समर्थन देना चाहिए।
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