धर्म रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है_

वर्तमान विपरीत परिस्थितियों में हम सभी श्रद्धालु हिन्दुओं को अपना यह परम कर्तव्य समझना चाहिए कि यदि हमारा धर्म सुरक्षित है तभी हमारा राष्ट्र “भारत” सुरक्षित है l जबकि यह भी अत्यंत सुखद है कि अपने धर्म लाभ के लिए हम सदा समर्पित, तत्पर और जागरुक रहते है, जिसके लिए….

➡हम सब विभिन्न तीर्थ स्थलों व भव्य मंदिरों की नियमित यात्रा करके भगवान के प्रति भक्ति भाव से असीमित आनन्द प्राप्त करते हैं।

➡विभिन्न धार्मिक त्यौहारों पर जैसे श्री गणेश पूजा, माँ दुर्गा की पूजा,रामनवमी, जन्माष्टमी,शिवरात्रि,नवरात्रि, दशहरा,दीपावली व होली आदि पर अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार सभी भक्तगण विशेष आयोजनों द्वारा धर्म लाभ प्राप्त करते हैं ।

➡देश में हज़ारों-लाखों स्थानों पर रामलीलाओं का सजीव मंचन करके 10-15 दिनों तक निरंतर धार्मिक उत्सव के आयोजनों से भी सभी सनातनियों का उत्साहवर्धन होता हैं।

➡समय-समय पर प्रमुख कथा व्यासो की कथाओं का भी आयोजन करके धार्मिक आनंद की अनुभूति होती है।

➡उपरोक्त के अतिरिक्त पुरे विश्व में हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं के और भी प्रमुख उत्सव होते है जैसे कुम्भ पर्व, हिन्दू नववर्ष-विक्रमी सम्वत् ,गंगास्नान एवं गोवर्धन पूजा आदि सभी पर्वों से हिन्दू भक्तजन अपनी धार्मिक मान्यताओं को बनाये रखें हुए हैं।

यह सत्य है कि उपरोक्त समस्त धार्मिक कार्यो को परिपूर्ण करने में हम सब मिलकर अरबों-खरबों रुपया व्यय करके भक्ति भाव में परम आनन्द व संतोष पाते हैं। परंतु विडम्बना यह है कि इन समस्त व्यवस्थाओं को भविष्य में भी सुचारु रुप से व्यवहारिक बनाये रखने की ओर से हम बिलकुल निश्चिन्त हैं।

जबकी इतिहास साक्षी है कि हमारे धर्म को पिछले लगभग 1400 वर्षो से अपमानित,पतित व नष्ट करने के षड़यंत्र रचे जाते रहें है।हमें भूलना नहीं चाहिए कि मुगलकालीन बर्बरता का इतिहास जब करोड़ों हिन्दुओं का बलात् धर्मपरिवर्तन हुआ, उनकी हत्याएं की गयी, महिलाओं व युवतियों के अपहरण व बलात्कार हुए,हज़ारों मंदिरों व मठों को नष्ट किया गया और तो और हमारे विश्व प्रसिद्ध विद्या के विशाल केन्द्रों को जला कर भस्म किया गया_क्यों, क्योंकि इस्लामी राज्य के स्थापना की महत्वाकांक्षी जिहादी वृत्ति, जो अभी भी यथावत मुसलमानों के मन-मस्तिष्क में गहरी बैठी हुई है? इसीलिये सन् 1947 में हमारे देश के टुकड़े करके पाकिस्तान के इस्लामी राज्य बनने के बाद भी शेष भारत को भी इस्लाम के झंडे के नीचे लाने के लिए मज़हबी आतंकवाद (जिहादी जनून) निरन्तर जारी है। हमें याद रखना चाहिए कि इस्लाम केवल अपने को ही सच्चा धर्म/मजहब मानता और कहता है,तभी तो विश्व के अन्य धर्म / मजहब पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है l जिसके लिए कट्टरपंथी मुल्लाओं और मौलवियों आदि नासमझ मुसलमानों को जिहाद के नाम पर जन्नत में भोगवादी जीवन का लालच देकर गैर मुसलमानों के विरुद्ध आतंकवादी बनने के लिए उकसाते है l

निस्संदेह उन अधर्मी षडयंत्रकारियों की मनोदशा में कोई परिवर्तन न होने के कारण हमारे धर्म और देश पर संकट कम नहीं हुआ है । बल्कि आज के अति शीघ्र संचारित होने वाली कार्यप्रणाली, अत्यधिक आधुनिक शस्त्रों एवं बढ़ती मुस्लिम जनसँख्या के कारण जिहाद रुपी संकट और अधिक बढ़ता जा रहा है l आज हमारा भारत ही नहीं पूरा विश्व जिहादी अमानवीय अत्याचारों के बढ़ते प्रकोप से घिर रहा है।

आज जब मानवता के ये शत्रु अपनी जिहादी महत्वाकांक्षाओं के वशीभूत अन्य धर्मावलंबियों को नष्ट करने के लिए धरती को लाल कर रहे हैं, अरबों डॉलर पानी की तरह बहा रहे हैं,तो ऐसे में क्या हम केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं व त्यौहारों में ही सिमट कर अरबों- खरबों रुपया बहाते रहें ? जरा सोचो जब तक श्रद्धालु हिन्दू जीवित है तब तक ही सनातन धर्म और भारत सुरक्षित है । अफगानिस्तान, पाकिस्तान , बंग्लादेश और अब कश्मीर में भी हिन्दू लगभग शून्य हो चूका है और वहां स्थित अधिकांश तीर्थ स्थल व मंदिर ध्वस्त किये जा चुके हैं । ऐसे ध्वस्त किये गए अनेक स्थानों पर कुटिलता पूर्वक शौचालय , गोदाम, पशुघर आदि बनाये गये l

अतः यहाँ एक विशेष आग्रह यह है कि धार्मिक आस्थाओं को बनाये रखने व उसे जिहादियों से सुरक्षित रखने के लिए भी हमें तन,मन, धन से हिन्दू समाज की हर प्रकार की सहायता करनी होगी। अगर हिन्दू समाज अपने को सुरक्षित ससम्मान जीने के लिए सशक्त बनायेगा तो ऐसा करने से उसे कोई रोक नहीं सकता ? विचार करना होगा कि अपने-अपने अस्तित्व की रक्षा में ही धर्म सुरक्षित है और उसी से राष्ट्र रक्षित है । यह मौलिक अधिकार हमारा संविधान भी हमें देता है। आज जबकि वैश्विक जिहाद ने हमारे धर्म को नष्ट करने की खुली चेतावनी दे रखी है और उसके लिए कट्टरवादी मुस्लिम आतंकी संगठन अरबो डॉलर का बजट बनाये हुए है तो हम भी कोई ऐसे सुरक्षा कोष का निर्माण क्यों नहीं करते जिससे हम अपने धर्म की रक्षा करके अपने राष्ट्र को सुरक्षित करने का अपने सर्वोच्च कर्तव्य का पालन करें ?

विनोद कुमार सर्वोदय

राष्ट्रवादी चिंतक एवं लेखक

गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)

भारत

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