ग्रेटर नोएडा। ऋग्वेदीय पारायज्ञ के समापन सत्र में बोलते हुए भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय संरक्षक आर्य समाज के एक महान विचारक प्रेम सचदेवा जी ने कहा कि भारत को समझो अभियान समिति जिस शिव संकल्प को लेकर आगे बढ़ रही है उसे आज एक नई पहचान मिली है। नए पंख मिले हैं और नई ऊंचाइयों को छूने का एक नया अवसर उपलब्ध हुआ है । उन्होंने समिति की ओर से आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में लगे समिति के सभी पदाधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यदि हम नेकनियति को लेकर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित रूप से हम सफलता के सोपान को छू लेंगे। श्री सचदेवा ने कहा कि भारत की वैदिक संस्कृति को उगता भारत राष्ट्र मंदिर के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने के अपने शिव संकल्प के प्रति समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉक्टर राकेश कुमार आर्य का व्रत हम सबको ऊर्जा प्रदान करता है। निश्चित रूप से हम अपने ऋषियों, वैज्ञानिकों, चिंतकों, समाज सुधारकों, सम्राटों, क्रांतिकारी वीर वीरांगनाओं आदि को अपने इस भावी राष्ट्र मंदिर में स्थापित कर आने वाली पीढ़ी के साथ न्याय करने में सफल हो पाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के राष्ट्र मंदिर का संकल्प आर्य समाज के बड़े नेता और क्रांतिकारी आंदोलन के महानायक स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ने ‘हिंदू संगठन’ नामक पुस्तक में व्यक्त किया था । जिसे आज भारत को समझो अभियान समिति के माध्यम से डॉ आर्य पूर्ण करने के प्रति संकल्पित हैं। श्री सचदेवा ने कहा कि आर्य समाज भारत की मूल चेतना का नाम है। जिसे वह वैदिक संस्कृति के नाम से अभिशिक्त करता है। आज समाज के लिए वैदिक संस्कृति की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत को बचाने के लिए वैदिक संस्कृति से प्रेरित साहित्य और पाठ्यक्रम को विद्यालयों में लगाना समय की आवश्यकता है। भारत को समझने के लिए भारत के वैदिक साहित्य, भारतीय सांस्कृतिक मूल्य, भारत के ऋषि वैज्ञानिकों के चिंतन और वीर वीरांगनाओं सहित सम्राटों क्रांतिकारियों के चिंतन और आदर्श के साथ अपने आप को जोड़ने की आवश्यकता है।
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