भारत के सभी लोग इन कहावतों को अच्छी तरह जानते होंगे कि “कांटे से काँटा निकाला जाता है ” और जहर का इलाज जहर से ही होता है ” यह बात इसलिए बताई जा रही है कि इन दिनों भारत सहित सभी देशों में इस्लाम समर्थक जिहाद केनाम पर हर प्रकार के अपराध , हिंसा , बलात्कार जैसे जघन्य अपराध कर रहे हैं , इस से सारी मानव जाती का अस्तित्व संकट में है . परन्तु भारत सरकार सेकुलरज्म के कारण मुस्लिम जिहादियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने में खुद को असहाय महसूस करती है , और राजनीतिक दवाब के चलते उन जिहादियों को तुरंत और प्रभावी दंड देने से झिझकती है , सरकारऔर मिडिया इतने डरपोक हो गए कि आतंकवादियों के लिए मुसलमान शब्द कहने से भी परहेज करते हैं , जिस से इस्लामी जिहादियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं .
लेकिन इनका इलाज करने के लिए उसी इस्लाम का सहारा लेना होगा , जिस इस्लाम की आड़ में मुसलमान जिहादी आतंक फैलाते हैं . ,इसका कारण यह है कि भारत में प्रजातंत्र है , और संविधान के अनुसार भारत के सभी नागरिकों को एक सामान नागरिक आचार संहिता ( uniform civil code ) की जरूरत है , जैसा कि अन्य प्रजातांत्रिक देशों में होता है , लेकिन मुसलमान प्रजातंत्र को एक तमाशा मानते हैं और इसका विरोध करके मुसलमानों के लिए शरीयत के कानून की मांग करते हैं . बहुत से लोग समान आचार संहिता और शरीयत के कानून के बारे में ठीक से नहीं जानते ,
1-समान नागरिक संहिता क्या है ?
इसका तात्पर्य भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक (सिविल) कानून (विधि) से है,समान नागरिक संहिता एक सेक्युलर (पंथनिरपेक्ष) कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है,’समान नागरिक संहिता’ का मूल भावना है,कि ऐसा कानून जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह )किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है. यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है,अधिकतर आधुनिक देशों में ऐसा कानून लागू हैं.
2-शरीयत के लिए हंगामा
भारत के मुसलमान देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था , संविधान और वर्त्तमान कानून के विरोधी हैं ,यह बात इस बात से पता चलती है कि जब 3 मार्च 2012 कट्टर मुसलमानों ने ” शरीयत फॉर हिन्द (Shariah for Hind ) के नाम पर दिल्ली में संसद भवन के सामने एक उग्र प्रदर्शन किया था . जिस में सरकार से मुसलमानों के लिए शरीयत का कानून लागू करने की मांग की थी गयी थी . इसके लिए मुसलमानों ने संसद भवन मार्ग , रे क्रॉस रोड , रायसीना रोड ,और राज्यसभा मार्ग के सामने धरना करके उसे अवरुद्ध कर दिया , यही नहीं मुसलमान जो पर्चे लोगों में बाँट रहे थे उनमे लिखा था कि मुसलमान अपने लिए सम्पूर्ण भारत में शरीयत का कानून चाहते हैं , और उनका उद्देश्य संविधान को पूरी तरह से अस्वीकार करना है complete rejection of the Indian constitution .
3- मुसलमानों की चालाकी
मुसलमानों की कपट नीति और चालाकी इस बात से पता चलती है कि वे शरीयत के कानून से शादी ,तलाक , विरासत . खुलअ , ट्रस्ट , और मुसलिम जमीन जायदाद के मामले के फैसले इस्लामी नियमों से करवाना चाहते हैं , लेकिन चोरी , डाका , बलात्कार , हत्या , व्यभिचार और देशद्रोह जैसे जघन्य अपराध वर्त्तमान कानून ( I.P.C. ) के अनुसार कराना चाहते हैं , इसका कारण यह है कि करीब 90 प्रतिशत मुसलमान इन्ही जघन्य अपराधों में दोषी पाये गएँ हैं , और वर्त्तमान कानून में फैसला होने में वर्षों लग जाते हैं , इतने में कई साबुत नष्ट हो जाते हैं और गवाही भी मर जाते हैं , और मुसलमान बच जाते हैं .
इसलिए मुसलमान अपने लिए शरीयत का कानून पूरी तरह से लागू नहीं कराना चाहते , वास्तव में शरीयत का कानून यह है ,
4-इस्लामी आपराधिक न्यायशास्त्र
इस्लामी आपराधिक कानूनको “फिक्काए अल अक़ूबात – فقه العقوبات) ” कहते हैं , जो कुरान की इस आयत पर आधारित है , जिसमे कहा है ,
” हमने उनके लिए लिख दिया , जिसमे प्राण के बदले प्राण , आँख के बदले आँख ,नाक के बदले नाक , कान के बदले कान ,, दांत के बदले ,दांत ,और हर घाव के लिए वैसा ही बदला , और जो उसके मुताबिक फैसला नहीं करे जो अल्लाह ने उतारा है , तो वही जुल्म करने वाले हैं “सूरा -मायदा 5:45
“life for life ,an eye for an eye, a nose for a nose, an ear for an ear, a tooth for a tooth, and wound for wounds
.Verse (5:45)
5-किसास
शरीयत का फैसला प्रतिशोध और बदले लेने की नीति पर किया जाता है , इसे अरबी में “किसास – قصاص ” कहा (retaliation ) जाता है , इसके बारे में कुरान में स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि ,
” हे इमान वालो . क़त्ल किये गए लोगों का बदला किसास बराबर का ठहरा दिया गया है , आजाद का बदला आजाद , गुलाम का बदला गुलाम , औरत का औरत के बराबर है ” सूरा – बकरा -2:178
6-हुदूद
अरबी के “हुदूद – حدود ” का अर्थ सीमा (Limit ) होता है , मर्यादा की सीमा तोड़ कर किये काम अपराध माने जाते हैं , लेकिन हुदूद के अधीन सिर्फ वही 6 अपराध आते हैं जिनका उल्लेख कुरान में है , और यह सभी 6 अपराध गंभीर ( serious ) माने जाते हैं , इनके नाम इस प्रकार हैं ,
1-शराब पीना “शरब अल खमर -شرب الخمر” (Drinking alcohol)
2-चोरी करना “अस्सरका – السرقة ” (theft)
3-रहजनी “कत अत तरीक -قطع الطريق “(Highway robbery )
4-व्यभिचार “अल जिना – الزناء ” (Illegal sexual intercourse)
5-व्यभिचार का झूठा आरोप “अल कजफ القذف-“(False accusation of illegal sexual intercourse)
6-इस्लाम की निंदा ” इरतिदाद – ارتداد ” ( apostasy , blasphemy)
इस्लामी शरीयत के कानून में शराब पीने के अपराध को छोड़ कर बाकि सभी अपराधों के लिए मौत या कोड़े मारने की सजा दी जाती है , और उल्लेखनीय बात यह है कि अधिकांश मुसलमान यही अपराध करते हैं , सिवाय इरतिदाद के ,
7-सऊदी कानून में जान की कीमत
मुसलमान सऊदी अरब को अपना आदर्श देश मानते हैं क्योंकि वहां इस्लाम का कानून लागू है , और यदि वहां किसी कारण कोई मार जाता है , मारने वाले को मृतक के रिश्तेदारों को जो आर्थिक हर्जाना(financial compensation) देना पड़ता है उसे ” दियत – دية ” कहा जाता है , जिसकी निर्धारित राशि इस प्रकार है ,
1-मुस्लिम पुरुष .300,000 riyals
2-मुस्लिम स्त्री .150,000 riyals
3-यहूदी -ईसाई पुरुष .50,000 riyals
4-यहूदी -ईसाई स्त्री .25,000 riyals
5-अन्य धर्मी पुरुष .6,666 riyals
6-अन्य धर्मी स्त्री .3,333 riyals
8-ताजीर
इस्लामी कानून (Islamic Law ) विभिन्न अपराधों के लिए दंडप्रक्रिया को ” ताजीर – تعزير ” कहा जाता है , और जब कोई व्यक्ति कोई अपराध करता है तो काजी के निर्देश के अनुसार दोषी को सार्वजनिक रूप से सजाएं दी जाती हैं , हुदूद के मुताबिक मुख्य 6 अपराधों के लिए यह सजाएं निर्धारित हैं
1-चोरी की सजा हाथ काट देना (amputation of the hand),
2-अवैध यौन सम्बन्ध ( illicit sexual relations ) जैसे व्यभिचार (dulteay ) समलैंगिकता (homosexuality ) जिसे अरबी में “लवातत -اللواط ” कहते हैं इसकी सजा – पत्थर मार कर मार डालना ( death by stoning ) या सौ कोड़े लगाना .
3- व्यभिचार का झूठा अरोप लगाने की सजा – 80 कोड़े
4- शराब पीने (drinking intoxicants) की सजा – 80 कोड़े
5-इस्लाम की निंदा(apostasy)करने की सजा – मौत (death )
6-राजमार्ग डकैती,बटमारी (highway robbery)की सजा मौत
इसके आलावा इस्लामी कानून में देशद्रोह ( treason ) देश के साथ गद्दारी (disloyalty ) जिसे अरबी में “अल खियानत – الخيانة ” कहा जाता है , इसकी सजा भी मौत ही है ,
खास बात यह है कि यह सजाएँ खुले आम सबके सामने दी जाती हैं , और उनमे कोई रियायत नहीं की जाती .
9-स्त्रियों की गवाही पुरुष से आधी
शरीयत के कानून में सबसे बड़ी विचित्रता यह है कि इसमे महिला की गवाही आधी मानी जाती है , अर्थात यदि किसी मामले में सौ पुरुष गवाह नहीं मिलें तो उनकी जगह दो सौ औरतें लाना पड़ेंगी , जैसा की कुरान में कहा है ,
“यदि गवाही के लिए दो पुरुष नहीं हों तो एक पुरष और दो स्त्रियों को गवाही के लिए पसंद कर लो ” सूरा – बकरा 2:282
10-शरीयत के कानून के फायदे
इस लेख का उद्देश्य शरीयत के कानून की तारीफ करना कदापि नहीं है ,सारी दुनिया जान चुकी है कि अपराध करना मुसलमानों का स्वभाव है , हमारा उद्देश्य मुसलमानों की उस दोगली चाल का भंडाफोड़ करना है , जिसके तहत यह लोग धार्मिक और निजी मामले इस्लामी शरीयत के मुताबिक निपटाना चाहते हैं , लेकिन आपराधिक (criminal offences ) मामले भारतीय दंड विधि (I.P.C.) के अधीन कराते है , जिसमे मुकदमे का फैसला होने में कई साल लग जाते हैं , और सबूतों के आभाव में कई मुस्लिम अपराधी या तो जमानत पर छूट जाते या रिहा हो जाते हैं ,
लेकिन यदि मुसलमानों के लिए लेख में बताये गए शरीयत का कानून पूरी तरह से लागु कर दिया जाये तो निम्न फायदे होंगे ,
1 . मुकदमों का खर्च बचेगा , तुरंत फैसला होगा
2 , 35 प्रतिशत मुसलमान लूले(armless) हो जायेंगे . ( चोरी के अपराध में हाथ कट जाने से )
3 . 20 प्रतिशत मुसलमानों की देश द्रोह के कारण गर्दन काट दी जाएगी . (एक साल में उनकी आबादी 40 प्रतिशत कम हो जाएगी )
4 . यदि मुसलमान किसी हिंदू पुरुष या स्त्री की हत्या करेंगे तो बदले में हिन्दुओं को उनके उतने ही पुरष या स्त्रिओं को मारने का अधिकार होगा .
5 . मुसलमानों के लिए हज के लिए दी जाने वाली सबसीडी , और मदरसों के लिए अनुदान बंद हो जायेंगे , क्यों इस्लाम में काफिरों के रुपयों से हज करना , और मदरसे चलाना हराम है .
सारांश यह है कि देश अपराध मुक्त और समृद्ध होगा।
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