ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापना को मंगलवार को 11 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इन 11 वर्षो में प्राधिकरण ने लंबा सफर तय किया है, लेकिन कई कारणों से विकास की रफ्तार आगे नहीं बढ़ सकी है। जिन उद्देश्यों को लेकर प्राधिकरण की स्थापना की गई थी, उन पर भी अभी काम शुरू नहीं हुआ है। प्राधिकरण ने उद्योग लगाने से पहले आवासीय भूखंडों की योजना निकाल दी, लेकिन योजना के आवंटियों को अभी तक कब्जा नहीं मिल सका है। उद्योग न लगने की वजह से शहर में आबादी भी स्थापित नहीं हुई है। मुआवजा वृद्धि को लेकर किसानों का भी प्राधिकरण के साथ विवाद है। दूसरे संस्थानों से कर्ज लेकर ही प्राधिकरण अपनी योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है। हालांकि, सात माह पहले शहर में फार्मूला वन कार रेस का आयोजन प्राधिकरण के लिए उपलब्धि भरा कदम रहा। ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे भी बनकर तैयार हो गया है। एक्सप्रेस-वे को अब सिर्फ उद्घाटन का इंतजार है। यमुना प्राधिकरण की स्थापना 24 अप्रैल, 2001 को हुई थी। ग्रेटर नोएडा से आगरा तक एक्सप्रेस-वे बनाने के साथ उसके किनारे उद्योग लगाने की योजना बनाई गई थी। योजना पर कारगर तरीके से काम नहीं हुआ है। एक्सप्रेस-वे तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन उसके किनारे उद्योग नहीं लगे हैं। प्राधिकरण ने भी इस दिशा में समुचित कदम नहीं उठाए हैं। प्राधिकरण का जोर आवासीय और बिल्डर योजनाओं पर ही रहा। तीन वर्ष पहले 21 हजार आवासीय भूखंडों की योजना निकाली गई थी।
2012 तक आवंटियों को भूखंडों पर कब्जा दिया जाना था। अभी तक सेक्टरों में आंतरिक विकास कार्य शुरू नहीं हुए हैं। विकास की गति यही रही, तो आवंटियों को अगले दो वर्ष तक भी भूखंडों पर कब्जा मिलना संभव नहीं हो सकेगा। बीते तीन वर्षो के दौरान कई निजी बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के लिए जमीन आवंटित की गई। इसमें दो बड़े बिल्डरों ने जमीन वापस कर दी है।