जीवन में लाभ की बात क्या है? “दूसरों का विश्वास जीत लेना।
जीवन में लाभ की बात क्या है? "दूसरों का विश्वास जीत लेना। " जीवन में हानि की बात क्या है? "दूसरों का विश्वास खो देना।"
'दूसरों का विश्वास जीत लेना' यह बहुत महंगी वस्तु है। "इसका मूल्य रुपया पैसा नहीं है, बल्कि वर्षों तक सभ्यता नम्रता और न्यायपूर्वक दूसरों के साथ व्यवहार करना है।" "वर्षों तक इतना मूल्य चुकाना कठिन कार्य होने से इसको मंहगी वस्तु कहा जाता है।"
"यदि किसी व्यक्ति ने वर्षों तक खूब तपस्या करके, सभ्यता नम्रता और न्यायपूर्वक दूसरों के साथ व्यवहार करके, दूसरों का विश्वास जीता हो। और यदि वह व्यवहार में थोड़ी सी लापरवाही कर दे, तो उसका वर्षों का जीता हुआ विश्वास क्षण भर में खो सकता है।" "यदि इतनी तपस्या करके व्यक्ति क्षण भर में अपना विश्वास खो दे, तो यह बहुत ही घाटे का काम है। बहुत ही मूर्खता का काम है। इसमें कोई बुद्धिमत्ता नहीं है।"
इसलिए व्यक्ति को सदा सावधान रहना चाहिए। "दूसरों का जो विश्वास उसने वर्षों तक तपस्या करके प्राप्त किया है, उसे यूं ही क्षण भर में खोकर, ऐसी मूर्खता के काम न करे। बल्कि सभ्यता नम्रता ईश्वर भक्ति सेवा परोपकार दान दया इत्यादि शुभ कर्मों का आचरण सदा करता रहे। इस प्रकार से बुद्धिमत्ता से अपने व्यवहार को सदा उत्तम बनाए रखे, और दूसरों का विश्वास बनाए रखे। ऐसा करने से उसे बहुत सुख संतोष मिलेगा और उसका जीवन सफल हो जाएगा।"
—– “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।”