इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, उत्पादन और निर्यात दोनों के संदर्भ में भारतीय उद्योग के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। एयरोस्पेस और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स को अपवादस्वरूप छोड़ दें तो आज इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं रह गई है।
विदेशी निवेश में उदारीकरण और पूरी अर्थव्यवस्था की आयात निर्यात नीति के साथ यह क्षेत्र विशाल बाजार के रूप में न केवल संभावित रूचि आकर्षित कर रहा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए संभावित उत्पादन आधार है।
हाल के समय में, सॉफ्टवेयर विकास और आईटी सक्रिय सेवा वैश्विक संदर्भ में भारत के लिए आला अवसर के रूप में उभरी है। सरकार भारत को वैश्चिक सूचना प्रौद्योगिकी की महाशक्ति और सूचना क्रांति के युग में अव्वल बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। सरकार ने देश की शीर्ष पांच प्राथमिकताओं के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की घोषणा की है और सूचना प्रौद्योगिकी तथा सॉफ्टवेयर विकास पर राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया है।
उपग्रह द्वारा ग्लोबल मोबाइल निजी संचार के लिए नीति
एनटीपी-1999 के अनुसार ग्लोबल मोबाइल निजी संचार उपग्रह (जीएमपीसीएम) के लिए लाइसेंस प्रदान करने संबंधी नीति को 2 नवंबर, 2001 को अंतिम रूप दिया गया और इसकी घोषणा की गई।
जीएमपीसीएस लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया एक पेचीदा प्रक्रिया है। जीएमपीसीएस लाइसेंस का आवेदन समस्त प्रस्ताव सहित विधि प्रवर्तन एजेंसी को सुरक्षा निकासी हेतु प्रस्तुत किया जाता है। प्रस्ताव को अंतर-मंत्रालय समिति जिसमें सचिव, कैबिनेट सचिव, रक्षा सचिव, गृह सचिव, सचिव (अंतरिक्ष विभाग) और निदेशक (इंटेलिजेंस ब्यूरो) होते हैं, से सुरक्षा के दृष्टिकोण से अनापत्ति प्राप्त होने के पश्चात आशय पत्र जारी किया जाता है। इस समय एक आवेदक कंपनी को जीएमपीसीएस लाइसेंस के लिए आशय पत्र जारी किया जा चुका है और लाइसेंस पर अब हस्ताक्षर किए जाने हैं। इस प्रक्रिया में सुरक्षा निगरानी के संबंध में जीएमपीसीएस गेटवे और भू-स्टेशन की जांच की शामिल है। लाइसेंस शुल्क, जो राजस्व भागीदारी के रूप में है, समायोजित सकल राजस्व का 10 (दस) प्रतिशत है और प्रवेश शुल्क एक करोड़ रुपए है।