हमें पूरा विश्वास है कि लेख का यह शीर्षक पढ़ते ही प्रबुद्ध पाठकों के मन में कई शंकाएं उत्पन्न हो जाएंगी , कोई इस बात को असंभव और झूठ मानेगा , कोई इस बात को केवल मजाक समझ कर हंसी में उड़ा देगा , लेकिन इस बात को साबित करने के लिए हमें कुछ ऐसे तथ्यों को स्वीकार करना पड़ेगा जो निर्विवाद है , और सारी दुनिया जिनको मान चुकी है , जैसे ,हरेक व्यक्ति की पहचान उसके नाम से ही होती है , जिसका नाम नहीं होता उसका अस्तित्व भी नहीं होता , इसके अतिरिक्त इन बातों से कोई भी असहमत नहीं होगा
1 -विश्व का सबसे प्राचीन धर्म वैदिक धर्म है , और विश्व का कोई धर्म ऐसा नहीं जिस पर वैदिक धर्म का प्रभाव नहीं पड़ा हो ,अर्थात वेद सभी धर्मों का मूल हैं
2 -वेद विश्व के सबसे प्राचीन धर्मग्रन्थ हैं , और उनका भारत की पवित्र भूमि में ही हुआ था
3-संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है , विश्व की प्राचीन और वर्त्तमान भाषाओँ में संस्कृत के ऐसे कई शब्द मिल जाएंगे जिनको वहां के देशों के लोग थोड़े से उच्चारण भेद से प्रयुक्त करते हैं .
चूँकि यह लेख अल्लाह से सम्बंधित है ,इसलिए इस्लाम की कुछ मूलभूत मान्यताओं की जानकारी देना जरुरी है , जिनका संबंध अल्लाह से है , मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह ने चार मुख्य किताबें नाजिल की थीं , तौरेत मूसा पर ,जबूर दाऊद पर ,इंजील ईसा पर और अंतिम किताब कुरान मुहम्मद साहब पर नाजिल की थी , लेकिन कुरान के अलावा बाक़ी तीनों किताबों में अल्लाह शब्द कहीं नहीं मिलता , हमने कई मुस्लिम विदवानों से इसका कारण पूछा तो कोई भी संतोष जनक उत्तर नहीं दे पाया ,
इस्लामी मान्यता के अनुसार जिस तरह अल्लाह अशरीरी है ,उसी तरह “अल्लाह “शब्द भी अशरीरी है , अर्थात अल्लाह का अस्तित्व केवल शाब्दिक है .
1-कुरान में अल्लाह का उल्लेख
मुसलमान जिस कुरान को अल्लाह की अंतिम और प्रामाणिक किताब बताते हैं , उसमे ” अल्लाह – الله ” शब्द 1746 बार आया है , लेकिन अल्लाह की पिछली किताबों में अल्लाह शब्द कहीं नहीं मिलता , इसलिए यह प्रश्न उठना स्वाभविक है ,कि अल्लाह शब्द की उत्पत्ति कब ,कहाँ और कैसे हुई थी ?, और इस्लाम से पहले मध्य एशिया के लोग अपने उपास्य को किस नाम से पुकारते थे , इन प्रश्नो के उत्तर इस लेख में दिए जा रहे हैं ,
2-अल्लाह शब्द की उत्पति ऋग्वेद के “ईळ” शब्द से
इस बात को सम्पूर्ण विश्व मान चूका है कि वेदों का प्राकट्य सृष्टि के तुरंत बाद भारत में में हुआ था , ऋग्वेद के सबसे पहले मन्त्र में ” ईळे ” शब्द आया है , जो ध्यानाकर्षण के योग्य है ,पूरा मन्त्र इस प्रकार है ,
अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम् होतारं रत्नधातमम् ।-
यह ऋग्वेद का प्रथम मंत्र है.मंडल 1 सूक्त 1 मन्त्र1
इस मन्त्र में दिए गए “ईळे ” शब्द का अर्थ -ईळे = स्तुवे या उपासना होता है , और उपास्य को ईड -ईळ ” कहा जाता है ,
पंडित हरि शंकर सिद्धान्तालंकार ने इस मन्त्र का भावार्थ यह दिया है
भावार्थ -सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को गति देने वाले अग्रणी प्रभू , ईड -ईळ उपासना करता हूँ .पुर हितम् स्वयंभू पहले से विद्यमान . यज्ञों का प्रकाश करने वाले और हरेक ऋतु में उपासना के योग्य हैं .
3-ईळे से एली और ईळ से इल
चूँकि वैदिक संस्कृत के वर्ण ” ळ ” का उच्चारण अधिकांश भाषाओं में नहीं मिलता है , इसलिए सामान्य लोग ” ळ ” की जगह ” ल ” का प्रयोग करते हैं ,यद्यपि यह ” ळ” वर्ण मराठी ,गुजराती ,उड़िया , और दक्षिण की सभी भाषाओँ में प्रयुक्त होता है ,
4-इल देवता की उपासना
हजारों साल बाद जब वेद में उपासना के लिए प्रयुक्त शब्द ” ईळ ” मध्य एशिया में गया तो , बिगड़ कर ” इल . या ” एली ” बन गया
यहूदी धर्म से पहले इस भूभाग में फोनेशियन और कनानी संस्कृति थी ,जिनके सबसे बड़े देवता का नाम हिब्रू में “एल – אל ” था . जिसे अरबी में “इल -إل “या इलाह إله-” भी कहा जाता था , और अक्कादियन लोग उसे “इलु – Ilu “कहते थे . इन सभी शब्दों का अर्थ “देवता -god ” होता है . इस “एल ” देवता को मानव जाति ,और सृष्टि को पैदा करने वाला ,माना जाता था . (El or Il was a god also known as the Father of humanity and all creatures
इसी तरह कनानी ( Canaanites) लोग भी ईश्वर को ईल या एल ( Ēl or Il )कहते थे.
5-बाइबिल में “ईळ ” से एली
बाइबिल के पुराने नियम की किताब ( Old Testament ) जिसे मुसलमान तौरेत कहते है , इसमे ईश्वर के लिए ” एली – Eli (עלי ” शब्द आया है ,जिसका प्रयोग 900 बार कियागया है , वास्तव में यह ऋग्वेद के ” ईळ ” शब्द का अपभ्रंश है
ही नहीं बाइबिल के नए नियम ( New Testament ) यानी इंजील के अनुसार जब ईसा मसीह ने क्रूस पर अपने प्राण त्यागे तो उन्होंने ईश्वर के लिए यहोवा नहीं बल्कि ” एली “शब्द से पुकारा था , उन्होंने कहा था
“एली। एली लमा सबकतनी – אֵלִי אֵלִי לְמָה שְׁבַקְתָּנִי “अर्थात हे एली तूने मुझे क्यों भुला दिया (My Eli, My Eli, why have you forsaken Me?”).Matthew-27:46
6-अल्लाह शब्द अरबों ने गढ़ा है
मुसलमान जिन तौरेत और इंजील को इस्लाम से पहले की अल्लाह की किताबें कहते हैं ,उन में अल्लाह शब्द कहीं नहीं मिलता , उलटे बाइबिल में अल्लाह से मिलता जुलता हिब्रू शब्द ” आलाह -alah” – אָלָה ” जरूर मिलता है , जिसका अर्थ अभिशाप ( curse ) और विलाप (mourn ) होता है .
( the word “Allah” is never found in the Bible in either Hebrew and Greek. The closest two words we find are the Hebrew “alah” – אָלָה (which means to curse, mourn .and is never applied to God)
इस्लाम की स्थापना के साथ ही मुहम्मद साहब ने अपने कुल देवता “इलाह — إله “के पहले अरबी का डेफ़िनिट आर्टिकल “अल – ال” लगा कर अल्लाह ( ال+اله ) शब्द गढ़ लिया गया है , जो आज मुसलमानों का अल्लाह बना हुआ है .यद्यपि पूरी कुरान में 269 बार इलाह शब्द अभी तक मौजूद है , जिसका मूल ऋग्वेद का ” ईळ ” ही है ,
7-निष्कर्ष
अब इस्लाम के प्रचारक और समर्थक अनुयायी कितना भी दावा करें कि उनका अल्लाह अजन्मा और अशरीरी है ,लेकिन इन पुष्ट प्रमाणों से साफ़ सिद्ध होता है कि शब्द रूपी अल्लाह का जन्म भारत में हुआ था , और उसका नाम संस्कृत की धातु ( root ) ” ” से लेकर रखा गया था , लेकिन जैसे जैसे यह शब्द अनार्यों . और म्लेच्छों के संपर्क में आता गया इसका नाम बिगड़ता गया , ईळ और आखिर में मुहम्मद ने इसका नाम अल्लाह रख दिया .
हो सकता है कि कुछ लोग इस लेख की बातों से सहमत न हों , परन्तु इस बात पर सभी सहमत होंगे कि सभी धर्मों की जड़ वेद ही हैं. निर्णय पाठक खुद करें
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ब्रजनंदन शर्मा
नोट: लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखन के निजी विचार हैं