डॉ. प्रियंका नितिन वर्मा
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा वर्ष 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल से ही की जाती रही है। परन्तु तत्कालीन सरकार के पास बहुमत नहीं होने के कारण इस विधेयक को स्वीकृति नहीं मिल सकी।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समय-समय पर दोहराया है कि उनकी सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हर संभव प्रयास करेगी। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इसी प्रयास का परिणाम है। हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने महिला आरक्षण विधेयक 2023 अथवा नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित कर दिया। यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत 21 सितंबर, 2023 को राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के बारे में कहा कि दो दिन से अत्यंत महत्वपूर्ण इस विधेयक पर विस्तार से चर्चा हो रही है। करीब 132 माननीय सदस्यों ने दोनों सदन में मिलाकर के बहुत ही सार्थक चर्चा की है और भविष्य में भी इस चर्चा के एक-एक शब्द आने वाली हमारी यात्रा में हम सबको काम आने वाला है और इसलिए हर बात का अपना एक महत्व है, मूल्य है। मैं सभी माननीय सांसदों ने अपनी बात के प्रारंभ में तो पहले ही कहा है कि हम इसका समर्थन करते हैं और इसके लिए मैं सबका हृदय से अभिनंदन करता हूँ, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। ये जो स्पिरिट पैदा हुई है, ये स्पिरिट देश के जन-जन में एक नया आत्मकविश्वामस पैदा करेगा और हम सभी माननीय सांसदों ने और सभी राजनीतिक दलों ने एक बहुत बड़ी अहम भूमिका निभाई है। नारी शक्ति को एक विशेष सम्मान, सिर्फ विधेयक पारित होने से मिल रहा है, ऐसा नहीं है। इस विधेयक के प्रति देश के सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक सोच होना, ये हमारे देश की नारी शक्ति को एक नई ऊर्जा देने वाली है। ये एक नए विश्वास के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान देने में नेतृत्व के साथ आगे आएगी, ये अपने आप में भी हमारे उज्ज्वल भविष्य् की गारंटी बनने वाली है।
उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के समर्थन में मतदान करने वाले करने वाले सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण है। उन्होंने देश के 140 करोड़ नागरिकों को बधाई दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केवल एक कानून नहीं है, बल्कि उन अनगिनत महिलाओं का सम्मान है जिन्होंने हमारे देश को बनाया है, और यह उनकी आवाज अधिक प्रभावी तरीके से सुना जाना सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता में एक ऐतिहासिक कदम है।
इससे पूर्व केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा में भाग लिया। चर्चा में बोलते हुए उन अमित शाह ने कहा था कि 19 सितम्बर 2023 का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि इस दिन गणेश चतुर्थी के अवसर पर नई संसद में पहली बार कामकाज हुआ और वर्षों से लंबित महिलाओं को आरक्षण का अधिकार देने वाला बिल सदन में पेश हुआ। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हृदय से धन्यवाद देना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री जी ने 140 करोड़ की आबादी में 50 प्रतिशत हिस्से वाली मातृशक्ति को सच्चे अर्थों में सम्मानित करने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि कुछ दलों के लिए महिला सशक्तिकरण राजनीतिक एजेंडा हो सकता है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार के लिए महिला सशक्तिकरण मान्यता का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि 2014 में देश की महान जनता ने 30 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री का पदभार सम्भालने के दिन से ही महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में सरकार की श्वास और प्राण बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाएं, पुरुषों से भी अधिक सशक्त हैं और इस विधेयक से अब डिसिजन और पॉलिसी मेकिंग में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ये बिल समाज व्यवस्था की त्रुटि को सुधारने, महिलाओं की प्रतिभागिता बढ़ाने और उनका सम्मान करने के लिए लेकर आई है। उन्होंने कहा कि आज ये एक ऐसा मौका है जब इस सदन को पूरे विश्व को एक संदेश देने की जरूरत है कि मोदी जी की ‘वुमन लीड डिवेलप्मन्ट’ की कल्पना को पूरा करने के लिए पूरा सदन एकमत है।
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक लाने के पहले की सरकारों द्वारा चार प्रयास हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक सबसे पहली बार 1996 में देवेगौड़ा सरकार लेकर आई, इसके बाद इसे सीमा मुखर्जी की अध्यक्षता वाली एक समिति को दे दिया गया और समिति ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी लेकिन फिर वो विधेयक कभी इस सदन तक नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार 1998 में ये विधेयक लेकर आई, लेकिन विपक्ष ने इसे सदन में पेश ही नहीं करने दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद एक बार फिर अटल जी की सरकार बिल लेकर आई लेकिन एक बार फिर इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि इसके बाद फिर डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार संशोधन विधेयक राज्य सभा में लेकर आई, जहां पारित होने के बाद ये विधेयक लोक सभा में आ ही नहीं सका।
उन्होंने पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि सब एकत्रित होकर इस नई शुरुआत के माध्यम से आज सर्वानुमति से संविधान को संशोधित कर मातृशक्ति को आरक्षण देने का काम करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रावधान के अनुसार संसद में चुनकर आने वाले सदस्यों की तीनों श्रेणियों– सामान्य (जिसमें ओबीसी शामिल हैं), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति– में मोदी सरकार ने 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दे दिया है। उन्होंने कहा कि इस संविधान संशोधन की धारा 330 (ए) और धारा 332 (ए) के माध्यम से महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही तीनों श्रेणियों में वर्टिकल आरक्षण देकर एक-तिहाई सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि डिलिमिटेशन कमीशन हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया को निर्धारित करने वाली एक महत्वपूर्ण इकाई का कानूनी प्रावधान है और वह नियुक्ति से होता है लेकिन क्वासी ज्यूडिशियल प्रोसीडिंग्स होती हैं। उन्होंने कहा कि इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करते हैं और इसमें चुनाव आयुक्त के एक प्रतिनिधि भी होते हैं। उन्होंने कहा कि जिन एक-तिहाई सीटों को रिजर्व करना है, उन सीटों का चयन डिलिमिटेशन कमीशन करेगा। ये कमीशन हर राज्य में जाकर, ओपन हियरिंग देकर एक पारदर्शी पद्धति से इसके लिए नीति निर्धारण करता है। उन्होंने कहा कि डिलिमिटेशन कमीशन लाने के पीछे एकमात्र उद्देश्य पारदर्शिता लाना है। उन्होंने कहा कि इस कमीशन के गठन से किसी प्रकार की देरी नहीं होगी, चुनाव के बाद जनगणना और डिलिमिटेशन दोनों होंगे और जल्द ही वह दिन आएगा जब इस सदन में एक-तिहाई महिला सांसद बैठकर देश के भाग्य को तय करेंगी।
उल्लेखनीय है कि महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा वर्ष 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल से ही की जाती रही है। परन्तु तत्कालीन सरकार के पास बहुमत नहीं होने के कारण इस विधेयक को स्वीकृति नहीं मिल सकी। चूंकि इस बार केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ है। इसलिए यह विधेयक आसानी से पारित हो गया। इस विधेयक के पारित होने से इसके राजनीतिकरण पर भीविराम लग गया। नि:संदेह इस वेधेयक के लागू होने से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।