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लेखक आर्य सागर खारी ✍
आज अमर शहीद भगत सिंह की जन्म जयंती है अधिकांश को इस विषय में इसलिए पता नहीं चल पाता क्योंकि आजादी से लेकर आज पर्यंत किसी भी सरकार द्वारा शहीद भगत सिंह की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया गया है।
ठीक आज से 4-5 दिन बाद 2 अक्टूबर को गांधी की जयंती पर सरकारी धन को पानी की तरह बहा दिया जाएगा अखबारों से लेकर डिजिटल मीडिया तक। अपने को बड़े से बड़ा गांधी भक्त प्रदर्शित करने की होड़ मच जाएगी क्या राजनेता क्या नौकरशाह क्या आम सामाजिक कार्यकर्ता ।
शहीद भगत सिंह के दर्शन विचारधारा को मिटाने के लिए भरसक प्रयास आज पर्यंत किया जा रहा है। भगत सिंह महामानव थे। 23 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया के अनेक क्रांतियों दार्शनिकों विचारको का अध्ययन किया था।
अनेक ज्वलंत समस्याओं चाहे किसान हो मजदूर हो राष्ट्रभाषा हिंदी ,जातिवाद क्षेत्रवाद संप्रदायिकता ,जेल सुधार की बात हो सभी पर भगत सिंह ने लिखा चिंतन किया ।
भगत सिंह जेल में केवल पुस्तकों के अध्ययन में ही खोए रहते थे।
26 जनवरी 1930 को भगत सिंह ने किसान मजदूरों के विषय में जेल से एक पत्र लिखा है। आज भगत सिंह की जयंती के अवसर पर हम उस पत्र के कुछ अंश को उल्लेखनीय करना आवश्यक समझते है,जो इस प्रकार है।
“हमारी क्रांति पूंजीवाद वर्गवाद व कुछ लोगों को ही विशेष अधिकार दिलाने वाली प्रणाली का अंत कर देगी। यह राष्ट्र को अपने पैरों पर खड़ा करेगी उससे नवीन राष्ट्र और नये समाज का जन्म होगा। क्रांति से सबसे बड़ी बात यह होगी कि वह मजदूर तथा किसानों का राज्य कायम कर उन सब सामाजिक अवांछित तत्व को समाप्त कर देगी जो देश की राजनीतिक शक्ति को हथियाये बैठे हैं।”
भगत सिंह के चिंतन से लेखनी से प्रस्तुत हुए विचार जालिम अंग्रेजों के साथ-साथ आजादी के पश्चात कांग्रेस की सरकार से लेकर आज की वर्तमान केंद्र सरकार व अधिकांश राज्य सरकारों की नीति व नीयत तक के लिए आईना दिखाने का काम करते हैं।
शहीदे आजम भगत सिंह को उनकी जयंती पर शत-शत नमन शेष फिर लिखा जाएगा गांधी जयंती पर।
आर्य सागर खारी✍✍✍