भाजपा में दूसरा टर्म पाने वाले अध्यक्ष नितिन गडक़री अब नई जमावट मं लग चुके हैं। मिशन 2014 के तहत संघ की हिदायतों को ध्यान में रख गडक़री अपनी नई टीम और सूबाई राजनीति के समीकरणों को टटोलने में लगे हुए हैं। मुलायम सिंह यादव से पृथक हुए कांग्रेस से दुत्कारे अमर सिंह पर गडक़री की नजरें इनायत हो सकती हैं। जया प्रदा और अमर सिंह को भाजपा में सशर्त प्रवेश मिलने के संकेत मिले हैं। समाजवादी पार्टी की प्राणवायू समझे जाने वाले अमर सिंह को नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने छिटकाकर सपा से दूर कर दिया था। मुलायम के भाईयों के भारी विरोध के बाद मुलायम सिंह को अमर प्रेम छोडऩा पड़ा। मजबूरी में अमर सिंह ने उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का गठन किया पर कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। ज्ञातव्य है कि कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत आरोप लगाने वाले अमर सिंह की सपा और कांग्रेस से पर्याप्त दूरी बन चुकी है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह ने पुरजोर कोशिश की कि वे कांग्रेस में प्रवेश पा जाएं, पर सोनिया के करीबी एक गुजराती क्षत्रप के चलते यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई। उधर, गडक़री के करीबी सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश चुनावों के चलते जब सपा और कांग्रेस के दरवाजे अमर सिंह के लिए बंद हो गए तब उन्होंने भाजपाध्यक्ष नितिन गडक़री को साधना शुरु किया। सूत्रों की मानें तो अमर सिंह ने गडक़री को ना जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि भाजपा ने अमर सिंह की पार्टी को सपा के खिलाफ उम्मीदवार चयन में ना केवल मदद की वरन चुनाव में आर्थिक इमदाद भी उपलब्ध कराई। अमर सिंह और गडक़री का यह अघोषित गठजोड़ भी उत्तर प्रदेश में करिश्मा नहीं दिखा सका। उत्तर प्रदेश के सूबाई नेता विशेषकर उमा भारती अमर सिंह को पचा नहीं पा रही हैं। उत्तर प्रदेश चुनावों में औंधे मुंह गिरने के बाद अपनी ताजपोशी तक गडक़री ने अमर सिंह को खामोश रहने को कहा।
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