यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण पर संकट के बादल
ग्रेटर नोएडा, नोएडा एक्सटेंशन के बाद ग्रेटर नोएडा के गांवों में भी जमीन अधिग्रहण को लेकर प्राधिकरण को झटका लग रहा है। सूरजपुर में साढ़े तीन हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद होने के बाद अब यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की चिंता बढऩे लगी है। यमुना प्राधिकरण पर भी संकट के बदल छाए हुए हैं। प्राधिकरण क्षेत्र के 45 गांवों के किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। किसानों की याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का काम हाईकोर्ट में चल रहा है। ग्रेटर नोएडा की तरह यमुना के गांवों की सुनवाई जुलाई से तीन सदस्यीय बेंच करेगी। ग्रेटर नोएडा में विकास होने के बाद भी कोर्ट ने किसानों के हितों को सर्वोपरि माना। उनके पक्ष में फैसला सुनाया। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में अभी विकास कार्य नहीं के बराबर है। ऐसे में प्राधिकरण की चिंता बनी हुई है कि किसी तरह कोर्ट में अपनी बात को मजबूती से रखा जाए। नोएडा एक्सटेंशन के 39 गांवों की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह माना था कि अर्जेसी क्लास लगाकर जमीन का अधिग्रहण करना गलत है। जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों की बात सुनी जानी चाहिए थी। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के 45 गांवों भी यह दलील लेकर हाईकोर्ट में पहुंचे हैं। उनका भी कहना है कि जमीन अधिग्रहण के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और अर्जेसी क्लॉज लगाकर जमीन ली गई। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कोर्ट में यह कहकर बच गया था कि जमीन का अधिग्रहण रद होने से लाखों लोग प्रभावित होंगे। करोड़ों रुपये विकास कार्यो पर खर्च किया जा चुका है। प्राधिकरण की इसी दलील पर कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालते हुए किसानों को 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा व दस फीसद विकसित भूखंड देने का निर्देश दिया था। यमुना प्राधिकरण ने अभी विकास कार्यो पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया है। जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, वह ज्यादातर खाली पड़ा है। आवासीय योजना के 21 हजार प्लाट आवंटित किए गए हैं। वहां भी ज्यादातर किसानों ने जमीन का मुआवजा उठा लिया है, लेकिन जमीन पर अभी किसानों का ही कब्जा है। तीन साल बाद प्राधिकरण वहां कोई भी विकास कार्य नहीं शुरू कर पाया है। इसके अलावा कुछ बिल्डर पहले ही आशंका को भांपकर अपने प्रोजेक्ट वापस कर चुके है। अब सात फीसदी भूखंड लेने के बजाय कोर्ट
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने एक्सप्रेस-वे के किनारे शहर बसाने के लिए ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 1199 गांवों को अधिसूचित किया है। जिले में प्राधिकरण ने करीब 18 गांवों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। राजस्व रिकार्ड में प्राधिकरण ने जमीन पर कब्जा भी ले लिया है।
सर्किल रेट का छह गुना मुआवजा व अन्य मांगों को लेकर यमुना एक्सप्रेस-वे के किसान लामबंद होने शुरू हो गए हैं। सोमवार को अट्टा गुजरान में किसानों की पंचायत हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि 15 जून तक उनकी मांगें पूरी न होने पर आंदोलन किया जाएगा। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के सीईओ व जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। पंचायत में किसानों ने कहा कि सर्किल रेट का छह गुणा मुआवजा के साथ आवासीय प्लॉट दिए जाएं। उद्योग के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है, इसलिए वहां उद्योग ही लगाए जाएं। गांवों के चारों ओर बांध हटाकर सड़क व नालियों का निर्माण किया जाए। सेक्टर की तर्ज पर उन्हें 10 फीसदी आवासीय प्लॉट दिए जाएं। दनकौर से गुनपुरा होते हुए अट्टा गुजरान के पुराने रास्ते को खोला जाए। बैकलीज की शर्त को खत्म करके आबादी जस की तस किसानों के नाम पर छोड़ी जाए। यमुना प्राधिकरण द्वारा जनहित में पुर्न अधिग्रहण की गई सभी भूमि प्रधान व ग्राम वासियों की सुविधा अनुसार छोड़ी जाए।