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भाग-३
डॉ डी के गर्ग
दुर्गा को दुर्गा शक्ति माता के नाम से भी पुकारते है ,इसका क्या भावार्थ है? यह एक जिज्ञासा हो सकती है।
दुर्गा और दुर्गा शक्ति माता दोनों का वास्तविक अर्थ समझने का प्रयास करते है।
दुर्गा नामक मूर्ति या चित्र जो भी हो, इसको बनाने वाले विद्वान ने एक अच्छा संदेश इस माध्यम से दिया है।जैसा कि पहले भी बताया गया है की पूर्व में आज की भांति किताब कापी,इंटरनेट आदि की सुविधा नहीं थी। सुनकर,देखकर ही ज्ञान को कंठहस्थ कर लेते थे।
बचपन में मैंने कई बार देखा की कुछ मूर्तिकार मिट्टी से तरह तरह मूर्तिया बनाकर मनोरंजन के साथ साथ ज्ञान वर्धन भी करते थे। शिक्षा का ये उत्तम मध्यम था। तब ना कोई मोबाइल ,ना इंटरनेट आदि की सुविधा थी , उस समय ईश्वर के विभिन्न कार्यों और उसके स्वरूप को काल्पनिक चित्रण के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता था।
अष्ट भूजी दुर्गा के नाम से महिला की शक्ति और स्वरूप का जिस भी विद्वान ने चित्रण किया है वह वास्तव में सराहनीय है। इस चित्रण के द्वारा महिलाओं के सम्मान में एक विशेष सन्देश देने का प्रयास किया गया है। जिसको समझने की जरुरत है।
इस विषय में विस्तृत वर्णन इस प्रकार है :
१ शक्ति की उपाधि : (शकॢ शक्तौ) इस धातु से ‘शक्ति’ शब्द बनता है। ‘यः सर्वं जगत् कर्तुं शक्नोति स शक्तिः’ जो सब जगत् के बनाने में समर्थ है, इसलिए उस परमेश्वर का नाम ‘शक्ति’है। इस अलोक में इस चित्र के माध्यम से कहा है की महिला जो देवी है , जननी है और ईश्वर तुल्य है।और पूजनीय है ,सम्माननीय है क्योकि वह जन्म देने से लेकर ,पोषण करती है और संस्कार द्वारा संतान की पहली गुरु भी है ,ये शक्ति और आदर्श का प्रतीक है।
2.दुर्ग का मतलब है किला , जिसको कोई भेद ना पाए.इसी आलोक में एक सशक्त महिला जो किले की भांति शशक्त और विभिन्न गुणों वाली हो उसको दुर्गा की उपाधि दी गई है। ये गुण कौन से हो?यह एक आकृति द्वारा समझाया गया है।इन गुणों को इस प्रकार से वर्णन किया है:
1..दुर्गा की सवारी सिंह का मतलब? जन्म देने वाली मां तेज, शक्ति और सामर्थ्य की प्रतीक होती हैं,वह कभी हताश निराश नहीं होती है इसलिए उसकी काल्पनिक सवारी शेर है. क्योकि शेर प्रतीक है आक्रामकता और शौर्य का. यह विशेषताएं मां में देखने को मिलती है. शेर जंगल का राजा है और जिसका अर्थ और भी रोचक है कि शेर की दहाड़ को मां की ध्वनि ही माना जाता है जिसके आगे संसार की बाकी सभी आवाजें कमजोर लगती हैं. माँ दुर्गा की सवारी सिंह से ये भी सन्देश दिया है कि जैसे शेर बहुत ही हिंसक प्रवृत्ति का जानवर माना जाता है इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति, कितना भी हिंसक या उग्र क्यों न हो ,उस पर नियंत्रण हासिल किया जा सकता है।
2.देवी दुर्गा के अन्य नौ रूपों का अलंकारिक रहस्य ?
पवित्रता, प्रेम, शांति, खुशी, इन्हें दैवीय संस्कार कहते हैं। और काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ये आसुरी संस्कार हैं। दोनों ही हर आत्मा में हैं। इसलिए आसुरी संस्कारों पर विजय भी हमें स्वयं ही प्राप्त करनी होगी।नवरात्रि का त्यौहार याद दिलाता है कि हर आत्मा अपने अंदर के असुरों को समाप्त करके दैवीय संस्कार को धारण करे।
1.त्रिशूल -माता ने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है। इसका मतलब सृष्टि की रचना के तीन तत्वों से है। ये तीन तत्व है -सत्य ,रज और तम। और तीन ही अनादि तत्व है ईश्वर जीव और प्राकृति
जिनको सभी को समझना चाहिए।
2.सुदर्शन चक्र – मां दुर्गा ने तर्जनी पर सुदर्शन चक्र धारण कर रखा है। इसका भावार्थ है की हमको अपनी प्रवृतियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने कर्तव्य को उत्तम गति और उत्तम सञ्चालन की व्यवस्था देनी चाहिए। यही सभी माँ अपनी संतान के लिए करती है ,जिसके लिए हमको हमेशा कृतज्ञ होना चाहिए ।
3.सुदर्शन चक्र– सुदर्शन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – “सु” जिसका अर्थ है उत्तम अथवा पवित्र और “दर्शन” का अर्थ है दिखना अथवा दिखाई देना। इसी प्रकार चक्र भी संस्कृत शब्द “चृ” और “कृ” से मिलकर बना है “चृ” का तात्पर्य गति, चाल, संचलन आदि और “कृ” का तात्पर्य है करना , हो जाना, बन जाना, आदि। तो कुल मिलाकर सुदर्शन चक्र का पूरा अर्थ कुछ इस प्रकार होगा –
“उत्तम गति और सञ्चालन की व्यवस्था का दिखाई देना”
4 कमल का फूल – मां दुर्गा ने हाथ में कमल का फूल धारण कर रखा है। कमल का पुष्प इस बात को दर्शाता है कि कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो ,हमेंअपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। जिस प्रकार कमल का फूल कीचड़ में भी रहकर खुद को स्वच्छ बनाए रखता है। ठीक उसी तरह संसार में चाहे कितनी भी बुराई हो। लेकिन हमें खुद को बेहतर और अच्छा इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए।
5.तीर -धनुष– मां दुर्गा ने हाथों में तीर -धनुष धारण किया हुआ है। जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
6.व्रज– व्रज धारण किये हुए माता दृढ़ निश्चय और विश्वास को दर्शाती है। जीवन में कितनी भी कठिन समस्या उत्पन्न क्यों न हो जाए हमें हिम्मत हारे बिना उन परिस्थितियों का सामना करना चाहिए।
7.तलवार– दुर्गा के हाथ में तलवार समझदारी और ज्ञान प्रतीक है। तलवार की नोंक और उसकी चमक बुद्धिमत्ता और ज्ञान को दर्शाती हैं। और ये सन्देश है की हमेशा हथियार साथ में रखना चाहिए ताकि समय आने पर आत्म रक्षा की जा सके।
8.भाला – मां दुर्गा एक हाथ में भाला थामे हुए दिख रही है जिसका भावार्थ है की जरुरत पड़ने पर शत्रु का संहार करने के लिए उस पर भाला फैंककर अपने से दूर रखो और उस पर हथियार का प्रयोग करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
9.कुल्हाड़ी– अपने शत्रु को जड़ से समाप्त कर देना चाहिए जैसे कुल्हाड़ी से पेड़ को जड़ सहित समाप्त कर देते है ऐसी प्रकार अपनी बुरी प्रवृतियों को भी शत्रु की भांति समाप्त कर देना चाहिए।
उपरोक्त गुणों को धारण करने वाली महिला को देवी तुल्य बताने के बाद और अधिक सम्मन देने हेतु दुर्गा शक्ति की उपाधि द्वारा सम्मान दिया है । पूर्वकाल में हमारी माताएं,बहने विदुषी और शक्तिशाली होती थी जो रण क्षेत्र में शत्रु का सामना बहादुरी से करती थी,उदाहरण के लिए झांसी की रानी,सारंधा, मैत्रयी,गार्गी,पार्वती,आदि
संक्षेप में इस चित्रण द्वारा एक अच्छा सन्देश देने का प्रयास किया है।
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