जयपुरे-आर्याणां जयः”*

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( जयपुर में 23-24 सितंबर,2023 को आर्यों का महासमागम)
1- *”जयपुरे जयो घोषः,वेदानां वै जयो महान्।

“महाजयश्च आर्याणां,संस्काराणां जयो ननु।।”
भावार्थ- राजस्थान की राजधानी जयपुर में वैदिक धर्म और वेदों का जयघोष होने वाला है।यहाँ पर आर्यों और संस्कारों की निश्चय से जय होगी।
2- ” दयानन्दस्य उद्घोषः,दयानन्दस्य जीवनी।
“दयानन्दस्य कार्याणि,दयानन्द-जयो जयः।।
भावार्थ- जयपुर में महर्षि दयानन्द सरस्वती महाराज जी की जीवनी का विजय उद्घोष होगा और ऋषिवर दयानन्द जी के महान कार्यों की जय-जयकार होगी।
3- ” आर्याणां वै महाशक्तिः, आर्याणां चैव एकता।”
” आर्याणां हि महाहोत्रं,द्रक्ष्यति च महातपः।।”
भावार्थ- जयपुर में आर्यों की महासंगठनशक्ति, आर्यों की महासंगठनएकता,आर्यों का महायज्ञ और महातप दिखाई देगा।
4- “साधवश्चैव नेतार:,विद्वान्सः उपदेशकाः।”
“आचार्याः वटवो नूनं,नराः नार्यश्च गायकाः।।”
भावार्थ- जयपुर महासम्मेलन में संयमित जीवनवाले साधु महात्मा, नीतिनिपुण नेतागण,विवेकशील विद्वद्गण और उपदेशकमहारथीगण,ज्ञानसाधनासंरत आचार्यगण,विद्याविलासी वेदपाठी ब्रह्मचारीगण,गायनकलापारंगत गायकवृन्द और धर्मपरायण आर्य नर नारियों का समागम होगा।
5- ” शिवं भवतु संकल्पं,पूर्णा: सन्तु मनोरथाः:।”आयोजनं महाभव्यं,भाव्यं भावेन भावितम्।।”*
भावार्थ- सभी आर्यजनों का शुभ संकल्प साकार हो, सभी मनोरथ पूर्ण हों, यह महाभव्य आयोजन सभी की पावन भावना से विभासित और प्रभावित होना चाहिए।
6- “बन्धुत्वं वर्धतां प्रीत्या,सखाधर्मस्य धारणम्।”
” समुन्नतिः समानेया,ओमाश्रये समाश्रयः।।
भावार्थ- सभी आर्यजनों में परस्पर प्रीति से बन्धुत्वभाव बढ़े,परस्पर सखाधर्म का धारण हो, सामूहिक समुन्नति करनी चाहिए,सभी को एक ओं ध्वजा के नीचे आकर आश्रय लेना चाहिए।
7- ” प्रभुः पातु च लोकेsस्मिन्,प्रेरयतु मतिं सदा।
“चन्द्रः कामयते नित्यं,सर्वे सुपथगामिनः।।
भावार्थ- इस संसार में प्रभु हमारी रक्षा करें, हमारी मति को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा की यही कामना है कि सभी सुपथ के अनुगामी हों।
8- ” वेदपाठश्च वेदानां,वचांसि विदुषां सदा।”
“श्रोतव्यानि समागत्य,जीवने ननु धार्यताम्।।”
भावार्थ- जयपुर में वेदमंत्रों का वेदपाठ,विद्वानों के वचन सभी को आकर सुनना चाहिए और निश्चय से जीवन में धारण करना चाहिए।
9- ” आयोजका: महाधन्याः,धन्याः आगामिनो ननु।”
” आयोजनं महाधन्यं,धन्या चन्द्रस्य भावना।।”
भावार्थ- जयपुर आर्य महासम्मेलन के सभी आयोजक धन्य हैं,सूचना देकर आने वाले अतिथिगण धन्य हैं,यह आयोजन महाधन्य है और आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा की सत्प्रेरणा और सद् भावना धन्य है।
( मैं जयपुर समारोह में संमिलित होकर ऋषिवर की महाजीवनयशगाथा और राजस्थान के महानगरों में महाकार्यों का यशोगान करूँगा )
” शुभकामना-संप्रेषक:”
आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा
ग्वालियर

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