सुरेश हिंदुस्तानी
वर्तमान में पाकिस्तान के कई प्रांतों में भारतीयता की झलक देखने को मिल रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से आज भी भारत का ही अंग है। पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर बोला, भारत ने हमेशा सहन किया।
वर्तमान में पाकिस्तान में जिस प्रकार के स्वर मुखरित हो रहे हैं, उसके निहितार्थ लगाए जाएं तो यही परिलक्षित होता है कि पाकिस्तान की जनता अब अपने ही उन नीति नियंताओं का विरोध करने पर उतारू हो गए हैं, जिन्होंने पाकिस्तान बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। पाकिस्तान के निर्माण के साथ ही राजनीतिक दुष्चक्र में गोता लगाने वाले पाकिस्तान के शासकों ने केवल अपने हित की राजनीति को ही प्रधानता दी। जिसके कारण न तो पाकिस्तान प्रगति कर सका और न ही वहां की जनता का जीवन स्तर ही बेहतर हो सका है। आज इस तथ्य को सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की जनता अनेक प्रकार की विसंगतियों का सामना कर रही है। महंगाई का आलम यह है कि जनता इसमें लगातार पिस रही है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के आसमानी भाव ने जनता के माथे पर चिंता की लकीरें स्थापित कर दी हैं। अब पाकिस्तान में एक नई समस्या भी स्थापित हो रही है, जिसमें अब पाकिस्तान की जनता ही अपने शासकों को कोस रही है। इतना ही नहीं वहां की जनता के मुख से पाकिस्तान से आजादी प्राप्त करने की आवाजें सुनाई देने लगीं हैं। इससे हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी स्वयं की करनी के कारण टूट कर बिखर जाए।
वर्तमान में पाकिस्तान के कई प्रांतों में भारतीयता की झलक देखने को मिल रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से आज भी भारत का ही अंग है। पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर बोला, भारत ने हमेशा सहन किया। इसके बाद भारत ने एक बार ब्लूचिस्तान के नागरिकों की भावनाओं को व्यक्त किया तो चीन और पाकिस्तान की भौंहें तन गईं। पूरा विश्व इस बात को भली भांति जानता है कि आज बलूचिस्तान, गिलगित और बाल्टिस्तान में जिस प्रकार से मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है, उसमें पाकिस्तान का चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। इन स्थानों पर अंदर ही अंदर पाकिस्तान के विरोध में वातावरण बना हुआ है। कुछ लोगों ने खुलकर विरोध करना प्रारंभ कर दिया है और कुछ लोग पाकिस्तान के दमनकारी रवैये के कारण डरे सहमे हुए हैं। अगर पाकिस्तान के इन क्षेत्रों के लोगों की भावनाओं को समझा जाए तो यह क्षेत्र किसी भी तरीके से पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहते।
भारत में जिस प्रकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है, उसी तरह की बोलने की आजादी पाकिस्तान में भी होती तो संभवत: आज पूरे पाकिस्तान में ही विरोधी स्वर सुनाई दे रहे होते। सिंध और बलूचिस्तान की जनता की ओर से जहां भारत में शामिल होने के स्वर सुनाई देने लगे हैं। इतना ही नहीं इन प्रदर्शनकारियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का खुलकर समर्थन भी किया है। आगे चलकर यह भी हो सकता है कि बलूचिस्तान और सिंध की तर्ज पर पाकिस्तान के पंजाब में भी आजादी की मांग उठने लगे। क्योंकि पंजाब के कई लोग अपने आपको आज भी स्वाभाविक रूप से भारत का हिस्सा ही मानते हैं। वहां भारतीय संस्कृति के अवशेष बिखरे हुए दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं वहां के जनजीवन में भी भारतीयता की झलक दिखाई देती है।
पाकिस्तान में आज जो हालात दिखाई दे रहे हैं, वह केवल आतंकी आकाओं की बढ़ती हुई सक्रियता का ही परिणाम कहा जाएगा। कई क्षेत्रों में बेरोजगारी और भुखमरी के हालात हैं। पाकिस्तान ने इस समस्या के समाधान के लिए किसी प्रकार के प्रयास नहीं किए। इसके विपरीत आतंकवाद को बढ़ाने के लिए पूरा समर्थन दिया। वर्तमान में पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि लोग आतंकवाद का विरोध करना भी चाहें तो भी नहीं कर सकते। ऐसा करने पर आतंकवादी अपने ही नागरिकों पर अत्याचार करते हैं। जिसका दंश भोली भाली जनता को भोगना पड़ रहा है। पाकिस्तान की जनता पूरी तरह से आतंकवाद से त्रस्त आ चुकी है।
लम्बे समय से पाकिस्तान की दमनकारी अत्याचार को सहन कर रही वहां की जनता को जब लगा कि नरेन्द्र मोदी ने उनकी भावनाओं को समझा है, तो वह पूरी तरह से उनके साथ आने लगे हैं। इसके साथ ही कश्मीर की बात करें तो वहां के वातावरण को बिगाड़ने में पाकिस्तान का पूरा हाथ रहा है। यहां पर एक बात तो साफ है कि पूरी समस्या के लिए पाकिस्तान ही दोषी है, फिर भी उलटा चोर कोतवाल को डांटे वाली तर्ज पर पाकिस्तान की सरकार चल रही है। पाकिस्तान के अपने प्रांतों में वर्तमान में जो हालत है, उसके लिए पाकिस्तान के सरकारी मुखिया और आतंकवाद फैलाने वाले संगठन ही जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान के विरोध में पाकिस्तानियों के खड़े होने का आशय यही है कि वहां का हर व्यक्ति आतंकवाद का समर्थन नहीं करता।
आज बलूचिस्तान में पाकिस्तान से आजादी की मांग करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां पहले तो इस बात को समझना चाहिए कि बलूचिस्तान क्या है? तो इसका जवाब यही है कि बलूचिस्तान को आजादी के समय अलग देश की मान्यता मिली थी। यह पाकिस्तान का स्वाभाविक हिस्सा नहीं था। पाकिस्तान ने हमला करके बलूचिस्तान पर कब्जा किया था। तब से ही बलूचिस्तान के नागरिक पाक की ज्यादतियों के विरोध में आवाज उठाते रहे हैं। इसलिए यह कहना कि यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण हो रहा है, किसी भी रूप से सही नहीं है। यह बात सही है कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर बेशर्मी की हदें पार करने वाला व्यवहार करता आया है, इसलिए उससे कश्मीर के मामले में अच्छे व्यवहार की कल्पना करना निरर्थक ही है। बार-बार पराजय झेलने के बाद भी उसकी भूमिका में कोई सुधार नहीं आया है।
अब सवाल यह आता है कि जिस प्रकार से बलूचिस्तान और सिंध में पाकिस्तान से आजाद होने की आवाजें उठ रही हैं, उसमें भारत की क्या भूमिका रहेगी। पाकिस्तान के प्रांतों में आजादी के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते एक बात स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है कि पाकिस्तान भविष्य में तीन या चार हिस्सों में विभाजित हो जाएगा। मान लीजिए पाकिस्तान के चार हिस्से बनते हैं, तब बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब देश पाकिस्तान के विरोध में रहेंगे। तब पाकिस्तान एक दम कमजोर हो जाएगा और फिर उसकी ओर से फैलाए जा रहे आतंकवाद की आग में वह स्वयं ही झुलस जाएगा।