क्या हिन्दू शब्द मुस्लिम लाये थे ?
(नोट -कुछ दिनों पहले हैदराबाद निवासी हमारे प्रबुद्ध पाठक श्री विजय रेड्डी जी ने पूछा था कि क्या यहाँ के लोगों का हिन्दू नाम मुस्लिम हमलावरों ने रखा था ?उनको उत्तर केलिए हम अपने पुराने लेखों के अंश लेकर यह लेख दे रहे ,रेड्डी जी ” हिन्दू स्वराज्य स्वातंत्र्य महोद्यम ” नामकी संस्था के अध्यक्ष है )
पिछले कई वर्षों से मुस्लिम हमलावरों के वंशज ओवैसी नेताओं ने अपने पुरखों के अत्याचारों पर परदा डालने के लिए यह बात फैला राखी है कि जब मुस्लिम विजेता भारत में आये तो उन्होंने यहाँ के लोगों को हिन्दू नाम दिया था जिसका अर्थ जाहिल ,असभ्य और अशिक्षित होता है और कुछ सेकुलर कांग्रेसी भी इन मुस्लिम नेताओं की बातों के सुर में सुर मिलाने लगे जिस से भोले हिन्दू भी इसे सच समझने लगे ,जबकि सच्चाई तो यह है की हिन्दू शब्द बाइबिल , इस्लाम से पूर्व अरबी साहित्य में भी मिलता है ,यहाँ तक अरब में हिन्दुओं का इतना आदर होता था की लोग अपने लडके का नाम “हिन्द -هند ” और लड़की का नाम “हिंदा – هنده ” रख कर गर्व करते थे ,यहाँ तक की ईरान में भी हिन्दू युवतियों की सुंदरता के बारे में इतनी ख्याति थी शायर भी अपनी कविताओं में वर्णित करते थे उल्लेखनीय बात तो यह है कि एक हदीस में भगवा वस्त्रधारी (हिन्दू ) को जन्नत में आदर से प्रवेश दिए जाने का उल्लेख है ,इस लेख में संक्षिप्त में यह बात दी गयी है ताकि हमारे हिन्दू भाइयों का भ्रम मिट जाये
1-बाइबिल में हिन्दू का उल्लेख
भारत और इजराइल का सम्बन्ध हजारों साल पुराना है . भारत की तरह इस्राएल का इतिहास भी गौरवशाली है ज़िस समय अरब के लोग काफिले लूटा करते थे , इजराइल में सोलोमन(solomon) जैसा प्रतापी राजा राज करता था , उसके समय (970-931BC ) में भारतीय सामान समुद्री मार्ग इस्राएल भेजा जाता था . भारत का उल्लेख बाइबिल में अनेकों जगह मिलता है , कुछ उदाहरण देखिये ,”फिर हाराम के जहाज जो “ओफीर Ophir ” ( भारत का एक बंदरगाह सोपारा जो मुंबई के पास है ) से सोना लाते थे वह राजा के लिए चन्दन की लकड़ी और रत्न ले आये . राजा ने सोना यहोवा ( ईश्वर ) के मंदिर में लगवाया और चन्दन की लकड़ी से भजन गाने वालों के लिए वीणा और सारंगियां बनवा दी ”
1 – राजा 10 :11 -12
“समुद्री मार्ग से तर्शीश के लोग जहाज भर कर सोना ,चांदी , हाथीदांत , बन्दर , और मोर ले आते थे , इस से राजा सोलोमन सभी राजाओं में बड़ा राजा बन गया ”
1 राजा 10 :22 -24
नोट – इस आयत में हिब्रू में बन्दर के लिए ” कॉप ” शब्द आया है ,जो संस्कृत शब्द “कपि ” से लिया गया है . उल्लेखनीय बात यह है कि उस समय इस आयत में वर्णित सभी चीजें सिर्फ भारत में ही मिलती थी .
इसके अतिरिक्त बाइबिल में दो बार स्पष्ट रूप से भारत का नाम दिया गया है , हिब्रू भाषा में भारत को “होदुव -הֹדּוּ “कहा गया है , जो सिंधव( होंदुव ) शब्द का अपभृंश है , और इसी से हिन्दू शब्द बना है बाइबिल के अंगरेजी अनुवाद में इसे “india” कहा गया है , जो सिंधव शब्द का अपभृंश है , और इसी से हिन्दू शब्द बना है बाइबिल के अंगरेजी अनुवाद में इसे “हिंदुस्तान “लिखा गया है . यह दो आयतें इस प्रकार हैं ,
“दादानी लोग व्यापारी थे वे कई द्वीपों हाट लगाते थे , और इस्राएल के लिए हाथी दांत और आबनूस की लकड़ी लाते थे ” यहेजकेल 27:15 -17
यह क्षयर्ष नामके राजा के समय की बात है ,जो 127 प्रांतों और हिंदुस्तान से कूश देश तक राज करत था ” एस्तेर 1:1
फिर राजा ने लेखक बुलवाये और उनसे यहूदी और हिंदुस्तान से कुश देश तक सभी राजाओं को पत्र लिख कर भेजने को कहा ” एस्तेर 8:9 -10
2-अरबी शायरी में हिन्दू का उल्लेख
अरबी शायर ” अबू नुवास -(أبو نواس ” है ,इसका पूरा नाम “अबू नुवास अल हसन बिन हांनी बिन अब्दुल अव्वल बिन सालिह अबू अली – الحسن بن هانئ بن عبد الأول بن الصباح ،ِابو علي) ” है ,इसका काल 756 ई से 814 ई तक है , और इसकी किताब का नाम “दीवाने अबू नुवास -ديوان ابي نواس
” है , इस दिवान का कई भाषाओँ में अनुवाद हो चूका है , फारसी शायर उम्र ख्याम ने इस से प्रभावित होकर शराब की तारीफ में काफी लिखा है , नुवास की शायरी का नमूना देखिये ,
لا تَبْكِ ليلى ، ولا تطْرَبْ إلى هندِ، واشْرَبْ على الوَرْدِ من حمراء كالوَرْدِ- 1
न तो लैला के लिए रोते रहो और न “हिन्द ” (हिन्दू लड़की ” की कामना करो , बल्कि गुलाब से बनी गुलाबी शराब पिया करो
Do not weep for Layla, and do not exult over Hind /, but instead drink to the rose of the rosy wine!
3-अरबी हिन्दू महिला हिन्दा
पांचवीं सदी तक अरब में हिन्दू धर्म और संकृति का इतना प्रभाव था कि लोग अपनी पुत्रियों का नाम ” हिन्दा -هند” रख देते थे . हिन्दा अर्थ “भारती ” होता है . उदाहरण के लिए अरब के पश्चिम भाग के उमय्या खानदान के सरदार “अबू सुफ़यान बिन हरब – ” की पत्नी का नाम ” हिन्दा बिन्त उतबा -هند بنت عتبة” था .यह मुसलमानों के पांचवे खलीफा मुआविया की माता थी .और हिन्दू होने के कारण इसने मुहम्मद साहब के चलाये गए नए धर्म इस्लाम का काफी विरोध किया था . और उहुद के युद्ध में हिन्दा ने वीर रस की कवितायेँ सूना कर हिन्दू युवकों में मुहम्मद के विरुद्ध युद्ध करने के लिए जोश भरने का काम किया था .यही नहीं इतने युद्ध में चंडिका माता कि तरह अली के बड़े भाई ‘ हमजा ‘ का सीना चीर कर कलेजा बाहर निकाल दिया था .इसने युद्ध भूमि में जो जोशीली कवितायेँ सुनाई थी , उन में से एक यहाँ दी जा रही
5-हिन्दा की कविता में हिन्दुओ का उल्लेख
इस्लाम से पहले अरब के लोग अपने ऊंटों से व्यापार करते थे .चूँकि मदीना यमन -सीरिया व्यापार मुख्य मार्ग में पड़ता था . लेकिन जब मुहम्मद साहब के जिहादी मदीना के लोगों के काफिले लूटने लगे तो मक्का और मदीना के लोगों में युद्ध होने लगे . ऐसे ही युद्ध में सन 622 में ने हिन्दा के भाई और चाचा की हत्या कर दी . हिन्दा ने विलाप करते हुए अपने पति अबू सुफ़यान से मक्का वालों से अपने पिता भाई और चाचा की ह्त्या का बदला लेने का वचन लिया .इसी करण दिनांक 19 मार्च सन 625 ईस्वी में जो युद्ध हुआ था उसे “गजवये उहद – غزوة أحد ” कहा जाता है .इस युद्ध में हिन्दा ने भी भाग लिया था और मैदान में आकर अपनी कविताओं से हिन्दुओं में जोश भरने का काम किया था .उस मूल अरबी कविता और उसका हिन्दी का अनुवाद यहाँ पर दिया जा रहा है .युद्ध में हिन्दा ने अपने पति और उसके सेनापति को सम्बोधित करके कहा ,
زواجها من أبي سفيان[عدل]
ذكروا أن هند بنت عتبة بن ربيعة قالت لأبيها: يا أبت، إنك زوجتني من هذا الرجل ولم تؤامرني في نفسي، فعرض لي معه ما عرض فلا تزوجني من أحد حتى تعرض علي أمره، وتبين لي خصاله. فخطبها سهيل بن عمرو وأبو سفيان بن حرب، فدخل عليها أبوها وهو يقول:
“أتاك سهيل وابن حرب وفيهما رضاً لك يا هند الهنود ومقنع
وما منهما إلا يعاش بفضله وما منهما إلا يضر وينفع
وما منهما إلا كريم مرزأ وما منهما إلا أغر سميدع
فدونك فاختاري فأنت بصيرةٌ بل ولا تخدعي إن المخادع يخدع ”
“हे महान हिन्दू और हे हिंदुओं के सिरमौर ,सुहैल बिन हरब ,मुझे संतोष हुआ क़ि तुमने हिंदुओं की पीड़ा को समझा है .सचमुच तुम दूरदर्शी हो .और तुम उन्हीं लोगों को हानि पहुंचाने वाले हो , जो केवल अपना लाभ चाहते हैं ,और जो धोखे बाज और लुटेरे हैं . मेरी इच्छा है कि इस युद्ध में आप सफल हो और लोग ह्रदय से आपकी तारीफ करते रहेंगे ”
उल्लेखनीय बात है कि इस कविता में अरबी में ” या हिन्द अल हिनूद – يا هند الهنود -” शब्द साफ साफ दिया गया है , जिसका हिंदी में अर्थ ” हिन्दू और हिन्दू धर्म वालो ” होता है
4-खदीजा के बच्चों के नाम हिन्द और हिंदा
खदीजा की पहली शादी
जब खदीजा करीब 14 साल की हुई तो सन 569 ई ० खुवालिद ने खदीजा की शादी एक धनवान व्यापारी “अतीक बिन आबिद बिन अब्दुलाह बिन मख्जूम عتيق بن عابد بن عبد الله بن مخزوم، – ” कर दी .उस समय मुहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था ‘खदीजा के पहले पति अतीक से जो 3 बच्चे पैदा हुए इनमे एक पुत्र और दो पुत्रियां थीं
उनके नाम इस प्रकार हैं ,
1- अब्द इलाह इब्न अतीक -عبد الله ابن عتيق – पुत्र -बचपन में मर गया
.2-जायरा बिन्त अतीक – زائره بنت عتيك -पुत्री
3-हिंदा बिन्त अतीक -هند بنت عتيق-पुत्री
ख़ुवैलद की तरह अतीक ने भी व्यापार में बहुत धन कमाया , लेकिन कुरैश और दूसरे कबीले के साथ लड़ाई में अतीक की हत्या हो गयी , और बच्चों की जिम्मेदारी खदीजा पर आगयी , उस समय खदीजा की आयु 27 साल थी , इसलिए ख़ुवैलद ने खदीजा की फिर से शादी करा दी
3-खदीजा की दूसरी शादी
ख़ुवैलद ने सन 582 ई ० में खदीजा की शादी “मलिक इब्न अल नबाश अल तैयमी -ملك ابن النباش التميمي ” से करा दी , यह भी एक व्यापारी था ,इस दूसरे पति से भी खदीजा की जो संतानें हुईं इनके नाम इस प्रकार हैं ,
1-तय्यब इब्न मालिक -طيّب ابن ملك-पुत्र
2-ताहिर इब्न मलिक -طاحر ابن ملك- पुत्र
3-हारिस इब्न मलिक -حارث ابن ملك- पुत्र
4-जैनब बिन्त मलिक -زينب بنت ملك-पुत्री
5-हिन्द बिन्त मलिक -هند بنت ملك-पुत्री
6-हालाह बिन्त मलिक -هاله تنت ملك- पुत्री
खदीजा के दूसरे पति ने भी खूब धन इकठ्ठा किया , लेकिन दुर्भाग्य अपनी 6 संतानें (3 पुत्र और 3 पुत्रियां ) छोड़ कर मर गया ,
और इसके कुछ महीने बाद ही एक युद्ध में खदीजा का पिता ख़ुवैलद भी सन 585 ई ० में मर गया ,
5-फारसी शायरी में हिन्दू शब्द
फारसी के प्रसिद्धशायर ख्वाजा मुहमम्मद शमशुदीन शिराजी ने अपने दीवान में हिन्दू युवती की सुंदरता के बारे में कहा है
“بده ساقی می باقی که در جنت نخواهی یافت
کنار آب رکن آباد و گلگشت مصلا را
“اگر آن ترک شیرازی به دست آرد دل ما را
به خال هندویش بخشم سمرقند و بخارا را
बि दह साकी मये बाकी कि दर जन्नत न ख़्वाही याफ़्त
किनारे आबे रुकनाबाद गुलगश्ते मसल्ला रा
अगर आन तुर्के शीराजी बदस्त आरद दिले मारा
बिखाले हिन्दु अश बख़्शम समरकन्दो बुखारा रा
हे साकी तेरे पास जीतनी शराब बची हो देदो क्योंकि जन्नत में रुकनाबाद नदी का किनारा औरमौसम नहीं मिलेगा .अगर मुझे तुर्की और शिराज का राज्य भी मिल जाये तो मैं हिन्दू युवती की सुंदरता के तिल के बदले दे दूंगा
6-हिन्दू जन्नत में जायेंगे
अरबी में मूल हदीस Arabic –
عن معاذ رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: “من قاتل في سبييل الله من رجل مسلم فواق ناقة وجبت له الجنة، ومن جرح جرحًا في سبيل الله أو نكب نكبة فإنها تجيء يوم القيامة كأغزر ما كانت: لونها الزعفران، وريحها كالمسك”
मुआज ने कहा की रसूल ने बताया की जो लोग जन्नत जायेंगे उनके कपड़ों का रंग केसरिया होगा जिस से कस्तूरी की सुगंध आ रही होगी
नोट – इस हदीस की अंतिम लाइन बहुत महत्वपूर्ण है ,
क्योंकि इसमें अरबी में लिखा है ‘
لونها الزعفران، وريحها كالمسك” ”
” लोनहा अज जाफ़रान व् रीह हा कमिस्ले मुस्क
https://sunnah.com/riyadussalihin:1296
इन प्रमाणों से स्पष्ट सिद्ध होता है की हिन्दू शब्द उस समय भी मौजूद था जब इस्लाम और मुस्लिम शब्द भी नहीं था और हिन्दू का अर्थ जाहिल या काफिर नहीं है बल्कि हिन्दू जन्नत जाने के अधिकारी है ,अतः हमारी सभी ईसाइयों और मुस्लिमों को चुनौती है इन प्रमाणों का खंडन करके दिखाएँ
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हिन्दू शब्द ,
प्रस्तुति देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।