डॉ डी के गर्ग
समस्या की जड़?
उपरोक्त प्रश्नों का हल तलाशना जरूरी है इसके लिए निष्पक्ष आत्म मंथन होना चाहिए तभी कोई रास्ता निकलेगा। पहले समस्या का मूल कारण समझते हैं:
1.तांत्रिक , पण्डो और ज्योतिषियों पर अतिविस्वास,उनके लंबे चौड़े दावे और सफल मार्केटिंग।
2.किसी अनहोनी को आशंका से कमजोर मनोरोगी
3 सुनी सुनाई बातो पर बिना विचार किए बहक जाना । बाइबल में लिखा है की मनुष्य भेड़ की तरह है यानी मनुष्य किसी भी भेड़ चाल का हिस्सा आसानी से हो जाता है।
- स्वाध्याय की भारी कमी ,किसी भी परिवार में धार्मिक साहित्य , पत्रिका नही मिलती ,ना ही विद्वानों के साथ सीधी चर्चा,शंका समाधान होता है।इसका लाभ धूर्त पंडे और तांत्रिक उठाते हैं।
5.आधुनिकता की दौड़ में धर्म कर्म का कार्य पैसे के बल पर दूसरो को से देना ,स्वयं धन कमाने और आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं।
6.ईश्वर को पैसे की वस्तु समझ खरीदने पर विश्वास जैसे मन्नत मांगना,मंदिर में सोने का छत्र देना,कीमती कपड़े मूर्ति को पहनाना,जाति से पंडित को खिलाना ,सोने चांदी की गौ दान करना आदि।
- ईश्वर का अवतारवावद और पण्डो को उसका प्रमाणिक एजेंट मान लेना ,कर्म से ब्रह्मण , विद्वान् की उपेक्षा
8.कर्म और कर्मफल में विश्वास नहीं करना,मंदिर पूजा ,पशु बलि ,मंत्र पाठ से मुक्ति में विश्वास,बिगड़े काम होने का अधिक विश्वास
9.ईश्वरीय नियमो के प्रति अज्ञानता,बिना परिश्रम के फल पाने की इच्छा , अपने परिश्रम पर विश्वास ना होना ।
10.परिवार में चल रही कुप्रथा को आगे ले जाने की जिद,इसी को धर्म का हिस्सा मानकर धर्म ग्रंथो से विमुख होना।
- पत्र, पत्रिकाओं, टीवी सीरियल,फिल्म,मनोरंजन कथाओं आदि द्वारा भूत प्रेत आदि अन्धविश्वास का प्रचार।
तार्किक विष्लेषण; उपरोक्त सभी क्रियाकलापो की एक सूची बना लेते है। - गंडा ताबीज़
- जादू टोना,उपाय करना
- तंत्र साधना
- बलि देना
5.लाल किताब
6.मंत्र जाप
7.भूत प्रेत और बुरी आत्माओं से मुक्ति
८ वशीकरण मंत्र
९ नजर लगना और उतारना
१० अग्नि द्वारा साधना आदि
११ इलाज के नाम पर झाड़ फूक
१२ अन्य अंधविश्वास जैसे बिल्ली का रास्ता काट जाना, छींक आ जाना ,आदि
पाखंड क्या है ?
पाखंड का पर्यायवाची शब्द है – धोखा, आडम्बर, छ्ल, ढकोशला, कपट और फरेब आदि। अर्थात जो मनुष्य ऐसे कार्य करता हो, उसे पाखंडी कहते है।पाखंड शब्द किसी विशेष धर्म या समूदाय का जिक्र नही करता, बल्कि यह तो समाज मे हो रहे बुराइयों को दर्शाने का जरिया है। और इन बुराईयों को बढावा देने वाले मनुष्य को पाखंडी कहते है।लोगो की अनैतिकताओ ने पाखंड को जन्म दिया है। इसका मुख्य कारण अज्ञानता है। जब तक मनुष्य अज्ञानी, अनैतिक, रहेगा व अपने मूल अस्तित्व को नही पहचानेंगा, तब तक वह पाखंड का शिकार होता रहेगा। जब मनुष्य मस्तिष्क को प्रमुखता न देकर किसी अन्य वस्तु को प्रमुखता देता है तो वह अंधविश्वास और पाखंड को बढ़ावा देता हैं।
धार्मिक पाखंड क्या है ?
धार्मिक पाखंड का अर्थ धार्मिक क्षेत्र में अपने धर्म पर सच्ची भक्ति और निष्ठा का दिखावा करते हुए केवल लोगों को दिखाने के लिए झूठ – मूठ का पूजा पाठ करना, तथा उनसे भक्ति व आस्था के नाम पर भारी रकम के साथ-साथ अन्य वस्तुयों की मांग करना, ताकी कोई दैवीय शक्ती उनका कार्य पूरा कर सके, ही धार्मिक पाखंड है।वह आस्था या भक्ति जो केवल दूसरों को दिखाने के लिये की जाय और जिसमें कर्ता की वास्तविक आस्था व श्रद्धा न हो, बल्की मोहमाया के बंधन से युक्त होकर, अपने सुख के लिये समाज का शोषण करता हो, या उनके आस्था का गलत उपयोग करता हो, ही छ्ल, ढोंगी या पाखंडी कहलाता है।
पाखंड के लिए दोषी हम है ? यह सत्य है कि आज वैज्ञानिक युग में तर्क के आधार पर चलने वाले समाज में अनेकों पाखण्ड व आडम्बर के व्यवहार होते है । हमको माता-पिता की सेवा के लिए सोचना पड़ता है,किसी लाचार की सहायता के लिए पचास बार सोचेंगे,गरीबों को खाना खिलाने में आना कानी करते है कि इनको आज खिला दिया तो ये कभी भी मेहनत नहीं करेंगे,गाय की सेवा करने के लिए कतराएंगे,गुरुकुल को दान नही देना ,उल्टे इधर उधर धर्म आडंबर में शामिल रहना,प्राइज शाल आदि से खुश रहना परंतु घर में वैदिक संध्या व दैनिक हवन करने में समय की बरबादी समझते है,विवाह आदि संस्कारों को करने में कोई मन नहीं लगता है।
आइये विस्तार से जानें