बुरी आदतों से निजात कैसे मिले?
बुरी आदत चाहे शराब पीने अथवा अन्य मादक पदार्थों की हो, धूम्रपान की हो, चोरी करने, ठगी करने, झूठ व कटु बोलने, असंगत बकवास करने, चुगली निंदा करने, मांसाहार, व्याभिचार करने, घात लगाना अथवा षडयंत्र रचने, कुसंग में रहने, फिजूल खर्ची व बढ़बोलेपन की हो, शेखी बघारने अथवा अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने, ईष्र्या द्वेष में जलने, दूसरों में दोष ढूंढऩे तथा किसी को हेय भाव से देखने, लूटपाट हत्या व अपहरण करने, व्यर्थ में समय गंवाने, काम से जी चुराने व प्रमादी बने रहने अथवा परावलंबी बने रहने, जुआ खेलने विलासितापूर्ण जीवन जीने, अश्लील दृश्य देखने, ढल-प्रपंच और बेइमानी करने जैसी कोई भी बुरी आदत यदि आपको पड़ गयी है तो घबराइये नहीं। धैर्य और साहस रखें, उससे निजात पाने के लिए अपने आपसे बार बार प्रश्न करो, क्या मैं ताकतवर हूं या मेरी बुरी आदत मुझसे अधिक ताकतवर है? यह प्रश्न आपकी सोई हुई जमीन (आत्मा) को जगाएगा। जब आपकी जमीन जाग जाएगी तो आप बुरी आदत को मन ही मन चुनौती देंगे और स्वत: ही संकल्प लेंगे कि अब मैं किसी भी सूरज में अमुक बुरी आदत को अपने ऊपर हावी नहीं होने दूंगा। इसे प्राणपण से हराकर की दम लूंगा, इसे जड़ से उखाड़कर फेंकूंगा। यह प्रबल संकल्पशक्ति ही अमुक बुरी आदत को आपके मन मस्तिष्क से ऐसे उड़ा देगी जैसे तेज आंधी रूई के फोहे को उड़ा देती है। अत: बुरी आदत को हराना चाहते हो तो इरादा (संकल्प शक्ति) फौलादी होना चाहिए। चट्टान की तरह अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग रहने का साहस होना चाहिए फिर संसार का कोई भी व्यसन बुरी आदत आप पर हावी नहीं हो सकता। सोचो, अमुक व्यसन बुरी आदत ने मेरे लगाम डाल रखी है या मैंने इसके लगाम डाल रखी? यदि आपने बुराी आदत के लगाम डाल दी तो आप बुराी आदत पर ऐसे सवारी करोगी जैसे घुड़सवार घोड़े पर सवारी करता है। यह भाव ही आपके जीवन का कायाकल्प कर देगा। देखने वाले हतप्रभ रह जाएंगे और दूसरों के लिए आप मिसाल बन जाएंगे। अत: अपनी जमीर को जगाओ और बुरी आदतों से निजात पाओ।