डा.राधे श्याम द्विवेदी
बस्ती।10 सितम्बर। संस्कार भारती बस्ती इकाई के द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर बाल गोकुलम 2023 का आयोजन पंडित अटल बिहारी वाजपेई प्रेक्षागृह के सभागार में किया गया । यहां नन्हें-मुन्हें बाल कलाकारों ने श्रीकृष्ण और राधा के जीवांत प्रस्तुतियों में शामिल होकर लोगों का मन मोह लिया। प्रेक्षागृह में उपस्थित दर्शकों को मथुरा-वृंदावन का दृश्य दिखाई दिया। श्रीकृष्ण के रूप में साजा प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को बढ़ावा देकर उत्साह बढ़ाया गया। बालगोकुलम में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को बच्चों ने धारण किया। इसमें शून्य से 3 तथा 3 से 7 साल के बच्चों ने दो समूह के रूप में प्रतिभाग किया।
भाजपा के अध्यक्ष श्री महेश शुक्ल ने अपना उदघाटन अन्य गण्यमान अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित करके किया।वह कार्यक्रम का उद्घाटन भाषण भी दिया और संस्था तथा उपस्थित जन समूह को धन्यवाद भी दिया।
संस्कार भारती के संरक्षक डा पी एल मिश्रा ने बस्ती में संस्कार भारती का संक्षिप्त इतिहास और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि संस्कार भारती की स्थापना बाबा योगेंद्र द्वारा 1981 में लखनऊ में हुआ था।बस्ती इकाई की स्थापना 1995 में 27 साल पूर्व हुआ था। तब से हर साल बाल गोकूलम कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इस बार 28वा बाल गोकुलम कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। डा पी एल मिश्रा ने बताया कि बाबा योगेन्द्र (7 जनवरी 1924 – 10 जून 2022) एक भारतीय कलाकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक और संस्कार भारती के संस्थापक सदस्यों में से एक थे । उनका जन्म बस्ती जिले के बभनगांवा (गांधीनगर) में वकील विजय बहादुर श्रीवास्तव के घर हुआ था। दो वर्ष की उम्र में उनके सिर से मां का साया उठ गया। चाचा के सानिध्य में पले बढ़े योगेन्द्र बाबा मोहल्ले में लगने वाली आरएसएस की शाखा से जुड़ गए।उनकी शिक्षा-दीक्षा गोरखपुर में हुई । इसी दौरान उनका संपर्क गोरखपुर क्षेत्र में आरएसएस के प्रचारक रहे नानाजी देशमुख से हुआ। उनके सानिध्य में 1942 में संघ शिक्षा वर्ग में शामिल हुए। इसके बाद 1945 में संघ के प्रचारक बन राष्ट्र की सेवा में स्वयं के जीवन को समर्पित कर दिया। उन्हें कला के क्षेत्र में 2018 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 0 से 3 वर्ष और इसी प्रकार 3 से 7 वर्ष को आधार बनाकर प्रथम द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिया गया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और उपहार प्रदान किया गया है। संस्कार भारती के सदस्यों ने शंख बजाकर सभी का ध्यान आकृष्ट कराया। सभी अतिथियों के माथे पर तिलक लगाकर स्वागत किया।
संस्कार भारती के ध्येय गीत भर्ती के सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की शुरूआत हुई। ध्येय गीत “साधयति संस्कारभारति भारते नवजीवनं ” का गायन संस्कार भारती के मातृ शक्ति सदस्यों द्वारा इस प्रकार किया गया–
प्रणवमूलं प्रगतिशीलं प्रकृतिराष्ट्रवि सुखाम्। शिवं-सत्यं-सुन्दरमभिनवं सत्रोद्यमम् ॥1 ॥
मधुर-मञ्जुल-रागभारित-हृदय-तन्त्र-मंत्रितम्। (रागभरितं)
वादयति सङ्गीतकं वसुधैकभावनपोषकम् ॥ 2॥
ललितरसमय-लास्यालीला चण्डताण्डवगमकहेला।कलित-जीवन-नाट्यवेदं कान्ति-क्रान्ति-कथा-प्रमोदम्।3।।
चतुष्टिकालान्वितं परमेष्तिना परिवर्तितम्।
विश्वचक्रभ्रमणरूपं शाश्वतं श्रुतिसम्मतम् ॥ 4॥
जीवयत्वभिलेखमखिलं सप्तवर्णसमीकृतम्।
प्लावयति रससिन्धुना प्रतिहिन्दुमानसन्नन्दनम् ॥ 5॥
संस्कार भारती के आयोजकों ने सभी आगंतुकों दर्शको अभिभावकों और नन्हे मुन्ने को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। प्रेक्षागृह दर्शको अभिभावकों और नन्हे मुन्ने के चहचहाने से अनुगुंजित होता रहा।व्यवस्थापन और प्रस्तुति सराहनीय रही।मौसम ने भी पूरा सहयोग किया है।
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