दिव्य अग्रवाल
जिस सनातन में स्वयं नारायण ने भगवान् श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया आज उस धर्म की तुलना डीएमके के सांसद ऐ राजा, एच आई वी एवं कुष्ठ रोग से कर रहे हैं। योगिराज महाराज भगवान् श्री कृष्ण ने जिस सनातन धर्म में, अधर्म के नाश हेतु अपनों का भी वध करने का आदेश अर्जुन को दिया हो आज उस सनातन को अपमानित करने की हिम्मत विधर्मियो की मात्र इसलिए है क्यूंकि सनातनियो ने अपनी पीढ़ी को भगवान् श्री कृष्ण के पराक्रम , पुरुषार्थ , युद्ध कौशल एवं कूटनीति के ज्ञान को नहीं पढ़ाया। अन्यथा क्या कारण की जो ईसाइयत आज पुरे यूरोप में इस्लामिक आतंक से त्रस्त है उस ईसाइयत को मानने वाले नेता इस्लामिक आतंक पर एक शब्द बोलने तक का साहस नहीं जुटा पा रहे और जिस सनातन ने ऐसे अधर्मियों को क्षमा किया उसी सनातन के विरुद्ध बोलकर अपना राजनितिक लाभ ढूंढ रहे हैं । यदि सनातन इतना ही बुरा है तो पुरे विश्व में योगिराज भगवान श्री कृष्ण क्यों पूजनीय है, ज्यादातर ईसाई, ईसाइयत को स्वतः ही त्यागकर सनातन एवं श्री कृष्णा की शरणागत हो रहे हैं । वास्तव में भारत के उन राजनेताओ को लज्जा नहीं आती जिनका जीवन व्यापन पूर्ण रूप से सनातन धर्म से प्रेरित है परन्तु जब सनातन का अपमान हो रहा है तो ऐसी धर्मद्रोही मौन धारण किये हुए हैं। सत्यता यह है की यदि श्री कृष्ण को मानने वाले, प्रभु के शस्त्र सुदर्शन का भी अनुशरण कर लें तो विधर्मियो का दुःसाहस शुन्य हो जाएगा ।
दिव्य अग्रवाल
लेखक व विचारक
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