232
तेज ,क्षमा और धैर्य, वैरभाव का त्याग।
अहंकार से दूर हो, उसका दिव्य स्वभाव।।
उसका दिव्य स्वभाव, आशीष देव का।
मानव वही बना करता , आदर्श देश का।।
राष्ट्रवंदना सिखिलाता है, मेरा भारत देश।
जिसने समझा ‘भारत’, मिला उसी को तेज।।
233
समझो अपने देश को, दुनिया का सिरमौर।
रहा बांटता ज्ञान को, बना सभी का ठौर।।
बना सभी का ठौर, बतलाई सबको मानवता।
दे उपदेश निराला हमको,दूर भगाई दानवता।।
देश नहीं- देव है भारत, समझो भारत देश को।
दुनिया में सबसे प्यारा, समझो अपने देश को।।
234
वेद विश्व का ग्रंथ है, सबसे पुराना एक ।
सबसे प्यारा देश है, विश्व में भारत एक।।
विश्व में भारत एक ,बड़ी पूंजी का स्वामी।
रखे खजाना वेद का,दुनिया भर में नामी।।
विश्व ने जाना नहीं, भारत का कभी भेद।
दुनिया के सब ग्रंथों से, बड़ा बताया वेद।।
दिनांक : 26 जुलाई 2023
मुख्य संपादक, उगता भारत