प्रह्लाद सबनानी
वैश्विक पटल पर भारत के एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने को कुछ पश्चिमी देश पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने वर्ष 2014 के बाद से इन्हीं पश्चिमी देशों को सकल घरेलू उत्पाद के मामले में पीछे छोड़ा है।
अभी हाल ही में ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ नामक एक रिसर्च संस्था द्वारा जी-20 समूह के 24 देशों में, फरवरी 2023 से मई 2023 के बीच, एक ओपिनियन पोल यह जानने के लिए किया गया है कि जी-20 समूह के सदस्य देशों पर भारत का प्रभाव किस प्रकार का है अथवा जी-20 समूह के सदस्य देशों के नागरिक भारत के बारे में किस प्रकार की राय रखते है। भारतीय नागरिकों के बीच किए गए इस ओपिनियन पोल में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि अधिकतर भारतीयों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अटूट विश्वास बना हुआ है और ओपिनियन पोल में शामिल नागरिक वैश्विक स्तर पर भारत की विदेश नीति पर अपना विश्वास प्रकट करते हैं। उत्तर देने वाले 68 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि भारत वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रभावकारी बन गया है, जबकि 19 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि इस संदर्भ में स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और केवल 13 प्रतिशत नागरिकों का कहना है स्थितियां पूर्व की तुलना में बिगड़ गई हैं।
इसी प्रकार, भारत के वैश्विक स्तर पर नेतृत्व के सम्बंध में 79 प्रतिशत लोगों ने इसे देश के लिए हितकारी एवं 55 प्रतिशत लोगों ने अत्यधिक हितकारी बताया है। उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व बहुत प्रभावकारी तरीके से कर रहे हैं। यह ओपिनियन पोल ऐसे समय पर आया है जब भारत जी-20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है एवं वर्तमान में इस समूह की नीतियों के पालन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। नवम्बर 2022 से नवम्बर 2023 के एक वर्ष के खंडकाल के दौरान जी-20 समूह के देशों की 200 से अधिक बैठकों का आयोजन भारत में किया जाना है एवं इसी कड़ी में 9-10 सितम्बर 2023 को जी-20 समूह के देशों के राष्ट्राध्यक्षों की दो दिवसीय बैठक का आयोजन नई दिल्ली में किया जा रहा है।
इसी प्रकार, विश्व के अन्य देशों के नागरिकों की राय भी भारत के हित में दिखाई दे रही है। उक्त ओपिनियन पोल में शामिल अन्य देशों के लगभग 46 प्रतिशत नागरिकों ने भारत के नेतृत्व पर संतोष प्रकट करते हुए उन्होंने भारत के प्रति अपने अच्छे विचार प्रकट किए हैं। जबकि 34 प्रतिशत नागरिकों ने भारत की नीतियों के प्रति असंतोष प्रकट किया है और लगभग 16 प्रतिशत नागरिकों ने अपनी राय प्रकट नहीं की है। इस ओपिनियन पोल में 24 देशों के 30,861 नागरिकों की राय ली गई है। इस पोल में भारत से 2,611 नागरिकों से राय ली गई है। हालांकि, जी-20 समूह की देशों की कुल जनसंख्या 470 करोड़ है। रूस, चीन एवं तुर्केय ने इस ओपिनियन पोल में भाग नहीं लिया है।
दूसरा प्रश्न जो उक्त ओपिनियन पोल में पूछा गया है वह यह है कि क्या वैश्विक स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ा है। 68 प्रतिशत भारतीयों ने कहा है कि हां, भारत का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ा है, जबकि अन्य देशों के केवल 28 प्रतिशत नागरिकों ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ा है।
तीसरा प्रश्न था कि क्या आप भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का समर्थन करते हैं। 79 प्रतिशत भारतीयों ने कहा है कि हां, जबकि अन्य देशों के 37 प्रतिशत नागरिकों ने मोदी की नीतियों का समर्थन किया है।
हाल ही के समय में भारत ने रूस यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में नाटो समूह के सदस्य देशों की नीतियों का समर्थन नहीं करते हुए इस युद्ध में अपनी तटस्थ भूमिका निभाई है। भारत के इस रूख के चलते पश्चिमी देश भारत की नीतियों से नाराज दिखाई दे रहे हैं। इस युद्ध के बाद यूरोप के देशों में विशेष रूप से खाद्यान पदार्थ एवं ऊर्जा बहुत मंहगी हो गई है, जो इन देशों को यूक्रेन एवं रूस से मिलते रहे हैं, इसके चलते इन देशों में मुद्रा स्फीति की दर पिछले 50 वर्षों में सबसे अधिक हो गई है। इन देशों के नागरिकों की इस सम्बंध में नाराजगी भारत पर निकलती दिखाई दे रही है। क्योंकि, यूरोप के 10 देशों में से 3 देशों के नागरिकों ने भारत की नीतियों को निशाने पर लिया है। फ्रान्स में वर्ष 2007 में किए गए इसी प्रकार के एक पोल में 29 प्रतिशत नागरिकों ने भारत के सम्बंध में अपनी नकारात्मक टिप्पणी की थी जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई है। स्पेन में भी वर्ष 2007 में 34 प्रतिशत नागरिकों ने भारत के प्रति अपने नकारात्मक विचार प्रकट किये थे जो वर्ष 2023 में बढ़कर 49 प्रतिशत हो गए हैं। जर्मनी में भी यह आंकड़ा वर्ष 2007 के 29 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023 में 38 प्रतिशत हो गया है। यूनाइटेड किंगडम में वर्ष 2007 के 9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023 में 30 प्रतिशत हो गया है एवं पोलैंड में वर्ष 2007 के 24 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023 में 34 प्रतिशत हो गया है।
वैश्विक पटल पर भारत के एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने को कुछ पश्चिमी देश पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने वर्ष 2014 के बाद से इन्हीं पश्चिमी देशों को सकल घरेलू उत्पाद के मामले में पीछे छोड़ा है। इस सम्बंध में वर्ष 2014 के पूर्व भारत का वैश्विक स्तर पर 10वां स्थान था जो और भारत, यूनाइटेड किंगडम, फ्रान्स, इटली, कनाडा, आदि देशों की अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए अब 5वें स्थान पर आ गया है। अब भारत, जर्मनी की अर्थव्यवस्था को भी अगले लगभग 2 वर्षों में पीछे छोड़कर वैश्विक स्तर पर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। साथ ही, उक्त यूरोपीयन देश औपनिवेशवाद की मानसिकता से अभी भी बाहर नहीं आ पा रहे हैं कि भारत जो कि यूनाइटेड किंगडम का उपनिवेश देश रहा है वह कैसे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़कर उनसे आगे बढ़ रहा है।
इसी प्रकार लैटिन अमेरिकी देशों में भी भारत के प्रति कुछ नाराजगी, हालांकि तुलनात्मक रूप से कुछ कम स्तर पर, पाई गई है। मेक्सिको में 33 प्रतिशत नागरिकों, ब्राजील में 43 प्रतिशत नागरिकों एवं अर्जेंटीना में 34 प्रतिशत नागरिकों ने भारत के प्रति नकारात्मक टिप्पणी की है। आश्चर्यजनक रूप से दक्षिणी अफ्रीका में 51 प्रतिशत नागरिकों ने भारत के प्रति असंतोष व्यक्त किया है। जबकि ब्राजील एवं दक्षिणी अफ्रीका भारत के साथ ‘ब्रिक्स’ समूह के सदस्य देश भी हैं। अर्जेंटीना भी अगले वर्ष ब्रिक्स समूह का सदस्य बनने जा रहा है। भारत के यह समस्त देश मित्र देशों की सूची में अग्रणी रहे हैं एवं दक्षिणी अफ्रीका से हो भारत के एतिहासिक सम्बंध रहे हैं।
हालांकि उक्त ओपिनियन पोल बहुत कम नागरिकों को शामिल करते हुए किया गया हैं परंतु कुछ आभास तो दिला ही रहा है और इससे कुछ सीखने की आवश्यकता भी है। अतः भारत को इन देशों के साथ अपने सम्बंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने की जरूरत है। अमेरिका में 51 प्रतिशत नागरिकों ने भारत के प्रति सकारात्मक विचार व्यक्त किए हैं। इजराईल में भारत के प्रति सबसे अधिक 71 प्रतिशत नागरिकों के सकारात्मक विचार पाए गए हैं। पिछले 70 वर्षों के दौरान, केवल वर्ष 1917 में, भारत के किसी प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने इजराईल का दौरा किया था। इसके बाद से तो भारत के इजराईल के साथ सम्बंध लगातार प्रगाढ़ होते चले गए हैं। अभी हाल ही में आई2-यू2 समूह (भारत, इजराईल, अमेरिका एवं संयुक्त अरब अमीरात) भी स्थापित किया गया है। इन कारणों से इजराईली नागरिकों में भारत के प्रति सकारात्मक विचार बन पाए हैं। जबकि ब्राजील एवं अर्जेंटीना में केवल एक बार ही प्रधानमंत्री का दौरा सम्पन्न हुआ है, वह भी ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन के लिए और अर्जेंटीना में जी-20 समूह की बैठक के लिए। अतः इसी प्रकार के प्रगाढ़ सम्बंध अन्य देशों के साथ भी बनाए जाने की आज महती आवश्यकता है, यह सीख तो उक्त ओपिनियन पोल से मिलती ही है।
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।