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कविता

अध्याय … 75 : जो जन्मा सो जाएगा……

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अपने धर्म को छोड़कर , जो भी जाता भाग।
लोग उसे धिक्कारते, लाख टके की बात।।
लाख टके की बात ,माधव ने बताई अर्जुन को।
धर्म क्षेत्र के बारे में, सच बतलाया अर्जुन को।।
लोक-लायक ना होते, छोड़ भागते जो रण को।
लोकनायक वही बनें, जो जानें अपने धर्म को।।

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जो जन्मा सो जाएगा, यही अटल व्यवहार।
डोर जिसके हाथ में , हिला रहा करतार।।
हिला रहा करतार, काम समय पर पूरे होते।
समझदार तो चुप हैं रहते, मूर्ख जन हैं रोते।।
कुछ ही दिन का फेर है, हाथ हिलाता जाएगा।।
समझ रे मनवा बावरे ! जो जन्मा सो जाएगा।।

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ऐसा कभी संभव नहीं, मारा जाए मीर।
पंछी तो पहले उड़े, मारा जाए शरीर।।
मारा जाए शरीर , सच तू समझ ना पाया।
मरने-मारने वाले का, खेल समझ ना पाया।।
सिर मारता पत्थर में, दीखे प्यारा कहीं नहीं।
अदृश्य हमें दीखेगा, ऐसा कभी संभव नहीं।।

दिनांक : 25 जुलाई 2023

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