गत दिवस पंजाब में हत्या के लिए ले जाई जा रही 18 गायों को गो तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया। कुछ ही दिनों पूर्व गोहत्या के सवाल पर प्रदेश के मानसा जिले में दंगा भड़क उठा था और उसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग तथा क?फ्र्यू का सहारा लेना पड़ा था। गत दिवस ही मुख्यमंत्री ने अशांत क्षेत्र का दौरा किया तथा गोहत्या रोकने के लिए कुछ कदम उठाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने बताया कि गोहत्या के आरोप में पकड़े जाने वाले की सजा बढ़ा कर दस वर्ष कर दी जाएगी तथा उसकी संपत्ति कुर्क करने का अधिकार भी सरकार को होगा। निश्चित रूप से गोहत्या रोकने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है किंतु मात्र कानून को कड़ा बनाने भर से ही गोहत्या रोकी नहीं जा सकती है। सरकार ने घोषणा की है कि अब लावारिस गायों की देखभाल के लिए हर नगर निगम को प्रति गाय 30 रुपये देगी सरकार। गोहत्या पंजाब के लिए कोई नई समस्या नहीं है। यहां से निरंतर गायों की तस्करी हो रही है और जब इस मुद्दे पर हिंसा भड़क गई तो सरकार की आंख खुली। अक्सर कुछ आस्थावान संगठनों के लोग ही गो तस्करों को पकड़ कर पुलिस के हवाले करते हैं। बहुत कम ही पुलिस अपने स्तर पर इनकी धर-पकड़ करती है और इनके विरुद्ध पुलिस ने कभी कोई विशेष अभियान भी नहीं चलाया, जिससे इनमें भय पैदा हो सके। पड़ोसी राज्य हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में चूंकि भैंस के मांस की बिक्री प्रतिबंधित नहीं इसलिए उसकी आड़ में तस्कर गायों की तस्करी कर उन्हें मांस विक्रेताओं को बेच देते हैं। ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि यहां की बेकार हो चुकी गायों की देखभाल तथा उन्हें रखने के लिए प्रबंध अत्यंत सीमित हैं। प्रदेश में गिनी-चुनी गोशालाएं हैं। सरकार यदि वास्तव में गोहत्या रोकने के लिए कृत संकल्प है तो उसे नई गोशालाओं का निर्माण करवाना चाहिए तथा उन्हें सरकारी संरक्षण में चलाया जाना चाहिए। गोहत्या बेहद संवेदनशील विषय है और यह लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। इसे यदि रोका नहीं गया तो और भी कुछ स्थानों पर हिंसा भड़क सकती है।
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