भारत में विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में विकास से सम्बंधित हाल ही में जारी किया गए आंकड़ों का विश्लेषण करने पर ध्यान में आता है कि भारत, दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। अप्रेल-जून 2023 तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि चीन में 6.3 प्रतिशत, इंडोनेशिया में 5.2 प्रतिशत, रूस में 4.9 प्रतिशत, अमेरिका में 2.1 प्रतिशत, जापान में 2 प्रतिशत, दक्षिणी कोरिया में 0.9 प्रतिशत, ब्रिटेन में 0.4 प्रतिशत एवं जर्मनी में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
भारत के सेवा क्षेत्र में लगातार मजबूत वृद्धि दर बनी हुई है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अपनी भागीदारी को 60 प्रतिशत से ऊपर बनाए हुए है। अप्रेल-जून 2023 तिमाही में भी सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 10.3 प्रतिशत की रही है। इसमें वित्तीय क्षेत्र, रियल एस्टेट एवं प्रोफेशनल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में 12.2 प्रतिशत की वृद्धि दर भी शामिल है। इसी प्रकार व्यापार, होटेल, यातायात, कम्यूनिकेशन एवं बोरडकास्टिंग से सम्बंधित सेवाओं में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत की रही है। कन्स्ट्रक्शन क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रथम तिमाही में 16 प्रतिशत वृद्धि दर रही थी जो वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में घटकर 7.9 प्रतिशत की रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में भारत में सबसे तेज गति से वृद्धि दर्ज करने वाले क्षेत्र हैं – वित्तीय सेवाएं एवं रियल इस्टेट 12.2 प्रतिशत, व्यापार, होटेल एवं यातायात 9.2 प्रतिशत, पब्लिक एड्मिनिस्ट्रेशन एवं डिफेन्स 7.9 प्रतिशत, कंस्ट्रक्शन 7.9 प्रतिशत, माइनिंग 5.8 प्रतिशत एवं मैन्युफेक्चरिंग 4.7 प्रतिशत। विनिर्माण के क्षेत्र में वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए अभी और कदम उठाए जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
भारत से उत्पादों के निर्यात में लगातार 6ठे माह कमी दृष्टिगोचर हुई है। जुलाई 2023 माह में भी उत्पादों के निर्यात में 15.9 प्रतिशत की कमी देखी गई है। भारत से निर्यात किये जा रहे 30 मुख्य उत्पादों में से 19 उत्पादों के निर्यात में कमी दर्ज की गई है। अप्रेल-जून 2023 तिमाही में भी विभिन्न उत्पादों में निर्यात कम ही रहे हैं। वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में उत्पन्न हो रही समस्याओं के चलते भारत से उत्पादों में निर्यात कम हो रहे हैं। जब तक इन देशों की आर्थिक स्थिति सुधरती नहीं है तब तक भारत से इन उत्पादों के निर्यात में भी सुधार की सम्भावना कम ही है।
दूसरे, भारत में अगस्त 2023 माह में मानसून की गतिविधियां बहुत कमजोर रही हैं। अगस्त 2023 माह में मानसून की वर्षा लम्बे समय के औसत की तुलना में 35 प्रतिशत कम रही है जो लगभग पिछली एक शताब्दी में अगस्त माह में सबसे कम मानसून की वर्षा है। कुल मिलाकर देश में मानसून की वर्षा सामान्य से 3 से 18 प्रतिशत तक कम रह सकती है। मानसून की वर्षा कम होने का सीधा असर देश के कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा। खरीफ की फसल तो कुछ हद्द तक प्रभावित हुई है। देश में कम वर्षा के कारण पानी के भंडारण पर भी विपरीत असर दिखाई दे रहा है। आगे आने वाले समय में देश के कुछ भागों में पानी की कमी महसूस की जा सकती है, जिसके चलते रबी की फसल पर भी कुछ विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। परंतु, भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सम्पन्न किए गए एक अध्ययन के अनुसार भारत के जिन क्षेत्रों में अनाज का उत्पादन होता है, उन क्षेत्रों में मानसून का मौसम समाप्त होने के पूर्व तक शायद मानसून की वर्षा की अधिक कमी नहीं रहे। अतः वित्तीय वर्ष 2023-24 में कृषि क्षेत्र में उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में बहुत अधिक कम होगा, ऐसा जरूरी भी नहीं है।
केंद्र सरकार एवं कुछ राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत खर्चों में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही कई कम्पनियों की लाभप्रदता में सुधार के चलते इन कम्पनियों ने भी अपने पूंजीगत खर्चों में वृद्धि की है। इस प्रकार, सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कई कम्पनियां अब पूंजीगत खर्च के साइकल में प्रवेश कर गई हैं, इससे आगे आने वाले समय में देश के आर्थिक विकास को गति मिल सकती हैं। कोरोना महामारी के चलते पर्यटन का क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावित हुआ था परंतु इस वर्ष पर्यटन के क्षेत्र में जबरदस्त उच्छाल देखने में आया है। इससे पर्यटन से सम्बंधित क्षेत्रों जैसे होटेल, यातायात, खुदरा व्यापार आदि में अतुलनीय गतिविधियां दृष्टिगोचर हुई हैं। इन गतिविधियों के आने वाले समय में और अधिक गति पकड़ने का अनुमान है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही (अप्रेल-जून 2023) के बाद से भी भारत के विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में विकास की गतिविधियां तेज बनी हुई हैं। इससे आभास होता है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की शेष अवधि में भी देश में विकास दर ऊंचे स्तर पर बनी रह सकेगी। अगस्त 2023 माह में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में अच्छी वृद्धि दर जारी रही है। एसएंडपी ग्लोबल पर्चेसिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) पिछले तीन माह के उच्चत्तम स्तर 58.6 पर पहुंच गया है। यह इंडेक्स विनिर्माण इकाईयों को मिल रहे नए ऑर्डर एवं इन इकाईयों में बढ़ रहे उत्पादन के चलते सम्भव हो पाया है। इसका आशय यह भी है कि आगे आने वाले समय में विनिर्माण के क्षेत्र में वृद्धि जारी रहने की सम्भावनाएं बढ़ गई है।
भारत के 8 मूलभूत उद्योग क्षेत्रों में जुलाई 2023 माह के दौरान वृद्धि दर 8 प्रतिशत की रही है, यह जून 2023 माह में, पिछले 5 माह के उच्चत्तम स्तर, 8.3 प्रतिशत रही थी। जबकि जुलाई 2022 माह में यह वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत की रही थी। उक्त 8 मूलभूत उद्योग क्षेत्र में शामिल हैं, कोयला उद्योग, स्टील उद्योग, प्राकृतिक गैस, सेमेंट उद्योग, बिजली उत्पादन, रीफाईनरी उत्पाद, फर्टिलायजर उद्योग एवं कच्चा तेल उत्पादन। जुलाई 2023 माह में इन समस्त 8 मूलभूत उद्योगों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रेल-जुलाई 2023 की अवधि के दौरान संचयी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत की रही है।
अगस्त 2023 माह में चार पहिया वाहनों (व्यावसायिक वाहनों सहित) की बिक्री में अतुलनीय वृद्धि दर्ज हुई है। मारुति सुजुकी कम्पनी की चार पहिया वाहनों की बिक्री 14.48 प्रतिशत से बढ़कर 1.89 लाख वाहनों की रही है। महिंद्रा कम्पनी की वाहनों की बिक्री 19 प्रतिशत से बढ़ी है तो आईशर मोटर कम्पनी की वाहनों की बिक्री 10.66 प्रतिशत से बढ़कर 77,583 के स्तर पर रही है। इसी प्रकार, अशोक लीलैंड कम्पनी की व्यावसायिक वाहनों की बिक्री 10.30 प्रतिशत से बढ़कर 15,576 के स्तर पर पहुंच गई है। व्यावसायिक वाहनों में ट्रक की बिक्री को भी शामिल किया जाता है। भारत में यदि व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में तेजी दिखाई दे रही है तो इसका आश्य यह है कि देश में व्यावसायिक गतिविधियां तेज गति से बढ़ रही हैं जिसके चलते उत्पादों को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने की आवश्यकता महसूस हो रही है और अंततः ट्रक आदि जैसे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री भी बढ़ रही है।
अगस्त 2023 माह में वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण भी 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 159,069 करोड़ रुपए का रहा है। अप्रेल 2023 में 187,035 करोड़ रुपए का, मई 2023 में 157,090 करोड़ रुपए का, जून 2023 में 161,497 करोड़ रुपए का, जुलाई 2023 में 165,105 करोड़ रुपए का एवं अगस्त 2022 में 143,612 करोड़ रुपए का वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण हुआ था।
युपीआई प्लेट्फार्म पर वित्तीय व्यवहारों की संख्या अगस्त 2023 में 1000 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। अगस्त 2023 में यह व्यवहार पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान के व्यवहारों से 61 प्रतिशत अधिक रहे हैं। यह वित्तीय व्यवहार जुलाई 2023 माह में 996 करोड़ एवं जून 2023 माह में 934 करोड़ के रहे थे। यह वित्तीय व्यवहार अगस्त माह में 15.76 लाख करोड़ रुपए की राशि के रहे हैं जबकि जुलाई 2023 माह में यह 15.34 लाख करोड़ रुपए के एवं जून 2023 माह में यह 14.75 लाख करोड़ रुपए की राशि के रहे थे। अगस्त 2023 माह में किए गए इन व्यवहारों की राशि में पिछले वर्ष इसी माह में किए गए व्यवहारों की राशि की तुलना में 47 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है।
यह हम सभी भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास को ‘ग्लोबल फाइनैन्स सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड 2023 द्वारा A+ रेटिंग प्रदान की गई है। पूरे विश्व में समस्त देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर के बीच श्री शक्तिकांत दास को प्रथम रैंकिंग प्रदान की गई है। हालांकि दो अन्य देशों के गवर्नर, स्विट्सर्लंड की केंद्रीय बैंक के गवर्नर श्री थोमस जोर्डन एवं वियतनाम के केंद्रीय बैंक के गवर्नर श्री नगुयेन थी हांग को भी A+ रेटिंग प्राप्त हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा देश में मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने एवं विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र की बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ बनाने हेतु समय समय पर लिए गए निर्णयों की भरपूर प्रशंसा भी की गई है।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।