मां सृष्टि की निर्माता है, मां हमारी भी निर्माता है। मां के दिये संस्कार जीवन भर हमारे काम आते हैं। मां हमारा निर्माण करती है इसलिए वेद ने भी मां का वंदन करते हुए कहा है-माता निर्माता भवति। मां के लिए सृष्टि का कोई शब्द ऐसा नहीं है जिससे उसकी तुलना की जा सकती है। यह कहना है अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष ब्रहमानंद गुप्ता का! जो कि यहां शैक्षणिक संस्था की जननी और समाज सेविका श्रीमति श्याम प्यारी देवी की एक शोक सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पूज्यनीय माताजी का जीवन धन्य हो गया। क्योंकि उनकी कोख से जन्मा एक बच्चा आज अपने यौवन में एक सन्यासी के रूप में और अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मां भारती, मां गंगा और गऊ माता की सेवा कर रहा है। एक सन्यासी के रूप में स्वामी चक्रपाणि जी महाराज की ये तीनों शाश्वत माताएं यद्यपि उनके द्वारा सदा ही सेवा के योग्य रहेंगी लेकिन फिर भी वह जननी जिनकी कोख से उन्होंने जन्म लिया वह फिर भी सर्वोच्च ही रहेगी, क्योंकि इन तीनों के प्रति सेवाभावी बनाने का मूल संस्कार तो उसी जननी ने ही दिया था। इस अवसर पर अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महामंत्री डा. इंदिरा तिवारी, राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश आर्य, राष्ट्रीय संगठन मंत्री विनय श्रीवास्तव, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हरीश शर्मा, उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष ब्रहमचारी रामस्वरूप जी महाराज, मध्यप्रदेश अध्यक्ष पं. कैलाश नारायण शर्मा, बाबा सुखदेव, चौधरी टेकराम, चौ. सुभाष, बिहार प्रदेश प्रभारी कुमार इंद्रदेव, राजस्थान प्रभारी विनोद शर्मा आदि लोग उपस्थित थे। जिन्होंने पूज्यनीय माताजी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित की। उनका अंतिम संस्कार बनारस में हरीश चंद्र घाट पर हुआ था जिसकी उन्होंने अपने जीवन काल में इच्छा व्यक्त की थी उनकी चिता को मुखाग्नि उनके ज्येष्टï पुत्र विनय श्रीवास्तव ने दी। जबकि उनकी शव यात्रा को कंधा देकर उनके सन्यासी पुत्र स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने कंधा देकर एक शानदार मिशाल कायम की। जो सन्यास धर्म की पवित्रता में और भी चार चांद लगा रही थीं।