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कविता

अध्याय … 70 आत्मा रथी शरीर में …..

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खोज अपने आप की, सबसे बड़ी है खोज।
जिन खोजो है आपुनो ,बन गई ऊंची सोच।।
बन गई ऊंची सोच ,किया विषयों से किनारा।
भीतर हुआ प्रकाश ,छोड़ दिया जगत पसारा।।
खोजी खोजें खोज में, और ऊंची रखते सोच।
सोच मिलती शोध से,और पूरी होती खोज।।

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मन कपट की धार है, वाणी भरी मिठास।
सोने के घट विष भरा, मत करना विश्वास।।
मत करना विश्वास, जहर जब भी छलकेगा।
वसन बदन के साथ, तेरे दिल पर झलकेगा।।
मत भटक रे मना ! साधु संग जमा आसन।
कपटी लूटेगा तुझको, दर्पण सम टूटेगा मन।।

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आत्मा रथी शरीर में , रथ सम होय शरीर।
बुद्धि इसकी सारथी, मन की डोर अधीर।।
मन की डोर अधीर ,जब हो जाती ढीली।
उलझ मरत सूरमा , उखड़ जात है कीली।।
जिसने मन को जीता,जग में वही महात्मा।
जग करत है अभिनंदन, ऊंचा उठे आत्मा।।

दिनांक : 24 जुलाई 2023

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