अध्याय … 69 , हाथ का मनका छोड़…..
205
शिव का कर ले ध्यान तू ,करे वही कल्याण।
भवसागर से पार हो, जीवन का हो त्राण।।
जीवन का हो त्राण , मिलेगी मुक्ति तुझको।
मुनि मनीषी जप रहे, ध्यान लगाकर उसको।।
हाथ का मनका छोड़, पकड़ मन का मनका।
बेड़ा पार तेरा होगा , ध्यान करेगा शिव का।।
206
पढ़ लिखकर नौकर हुए, रह गए वही गुलाम।
विद्या तो पाई नहीं ,मिला गलत परिणाम।।
मिला गलत परिणाम,भोगना तुझको होगा।
मत रच कपटी खेल, छोड़ना तुझको होगा।।
जितने आए दुनिया में, लौटे हैं सब सुनकर।
चलने की तू सोच ,जाना कुछ पढ़ लिखकर।।
207
‘तप किया’ यह भूल है, भूल में हो गई भूल।
भूल भूल में भूलग्या,क्या कर दी है भूल।।
क्या कर दी है भूल, पाला अहम भजन का।
खास नहीं कुछ भी, किया शोर यजन का।।
पूछ अपने अंतर्मन से,क्या तूने खास किया?
सच्चा तपसी होने का,कौन सा है तप किया ?
दिनांक : 23 जुलाई 2023
मुख्य संपादक, उगता भारत