क्या कांग्रेस कार्य समिति में शामिल किए गए नए नाम पार्टी की नैया लगा सकते हैं पार?
रमेश सर्राफ धमोरा
कांग्रेस वर्किंग कमेटी में आनंद शर्मा, शशि थरूर, मनीष तिवारी समेत जी-23 के कई ऐसे नेताओं को भी जगह मिली है जो कांग्रेस आलाकमान के कई निर्णयों से नाराज चल रहे थे। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में यह संदेश गया है कि पार्टी सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार संभालने के दस महीने बाद कांग्रेस कार्यसमिति (कांग्रेस वर्किंग कमेटी) की घोषणा कर दी है। नई कार्य समिति में कल 39 सदस्य बनाए गए हैं। वहीं 32 लोगों को स्थाई आमंत्रित सदस्य तथा 13 लोगों को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। जिनमें कांग्रेस के चारों अग्रिम संगठनों युवक कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और सेवादल के प्रमुखों को भी शामिल किया गया है। इस तरह कांग्रेस वर्किंग कमेटी से कुल 84 नेताओं को जोड़ा गया है। कार्य समिति में जहां वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो दी गई है वहीं बड़ी संख्या में नए लोगों को भी शामिल किया गया है।
आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कार्य समिति के माध्यम से सभी को साधने का प्रयास किया गया है। कार्यसमिति में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, एके एंथोनी, अंबिका सोनी, मीरा कुमार, दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद, प्रियंका गांधी वाड्रा, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, अजय माकन, जयराम रमेश, भंवर जितेंद्र सिंह और तारिक अनवर जैसे पुराने लोगों को जगह दी गई है। वहीं सचिन पायलट, दीपक बावरिया, जगदीश ठाकोर, गुलाम अहमद मीर, अविनाश पांडे, दीपादास मुंशी, गौरव गोगोई, कमलेश्वर पटेल, सैयद नासिर हुसैन, महेंद्रजीत सिंह मालवीय जैसे नए लोगों को भी शामिल किया गया है।
कार्य समिति में कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को प्रमुख दलित चेहरे के रूप में शामिल किया गया है। वहीं सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर, गुलाम अहमद मीर, सैयद नासिर हुसैन मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कार्य समिति में श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, अंबिका सोनी, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा, दीपा दास मुंशी को बैतोर महिला सदस्य नई कार्यसमिति में शामिल किया गया है। वहीं प्रतिभा सिंह, मीनाक्षी नटराजन, फूलों देवी नेताम और रजनी पटेल को स्थाई आमंत्रित सदस्य तथा यशोमती ठाकुर, सुप्रिया श्रीनेत, परिणीति शिंदे और अलका लांबा कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल हैं। महिला कांग्रेस की प्रमुख नेट्टा डिसूजा पदेन सदस्य के रूप में शामिल की गई हैं। इस तरह 84 सदस्यों की कार्यकारिणी में 15 महिला नेताओं को स्थान मिला है।
कांग्रेस की नवगठित वर्किंग कमेटी में आनंद शर्मा, शशि थरूर, मनीष तिवारी समेत जी-23 के कई ऐसे नेताओं को भी जगह मिली है जो कांग्रेस आलाकमान के कई निर्णयों से नाराज चल रहे थे। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में यह संदेश गया है कि पार्टी सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रही है। यदि कोई पार्टी नेता पार्टी के किसी निर्णय से नाराज है तो भी पार्टी की मुख्य धारा में शामिल रहेगा। कांग्रेस कार्यसमिति से पार्टी के चारों मुख्यमंत्रियों को बाहर रखा गया है। जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता हैं और पिछले वर्ष उनका नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तय हो गया था। यह पहला मौका है जब मुख्यमंत्रियों को कार्यसमिति में शामिल नहीं किया गया है।
कांग्रेस ने उदयपुर में संपन्न हुए अपने चिंतन शिविर और रायपुर के महाधिवेशन में तय किया था कि पार्टी संगठन में सभी स्तर के पदों में से आधे पदों पर 50 साल से कम उम्र के नेताओं को पदाधिकारी बनाया जायेगा। मगर मौजूदा कार्यसमिति में वरिष्ठ नेताओं की संख्या अधिक है। फिर भी काफी संख्या में नए लोगों को पहली बार कार्य समिति में शामिल कर पार्टी ने नया नेतृत्व आगे लाने का एक सफल प्रयास किया है।
नवगठित कार्यसमिति में लोकसभा से 9 व राज्यसभा से 14 सांसदों को भी शामिल किया गया है। लोकसभा से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर व गौरव गोगोई को कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है। प्रतिभा सिंह, मनीष तिवारी को स्थाई आमंत्रित सदस्य व के सुरेश व मणिकम टैगोर को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। वहीं राज्यसभा से पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, अभिषेक मनु सिंघवी, जयराम रमेश, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सैयद नासिर हुसैन, केसी वेणुगोपाल को कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा, फूलों देवी नेताम, रजनी पटेल स्थाई आमंत्रित तथा राजीव शुक्ला विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं।
कार्य समिति में शामिल 50 साल से कम उम्र के नेताओं में सचिन पायलट 46 वर्ष, गौरव गोगोई 43 वर्ष और कमलेश्वर पटेल 49 साल के हैं। स्थाई आमंत्रित सदस्यों में मानिकम टैगोर 48 वर्ष, दीपेंद्र हुड्डा 45 वर्ष, मीनाक्षी नटराजन 50 वर्ष और कन्हैया कुमार 36 वर्ष के हैं। वहीं विशेष आमंत्रित सदस्यों में महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री यशोमती ठाकुर 49 वर्ष, पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत 46 वर्ष, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की विधायक पुत्री परिणीति शिंदे 42 वर्ष, दिल्ली की पूर्व विधायक अलका लांबा 47 वर्ष, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीबी 41 वर्ष, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष नेट्टा डिसूजा 48 वर्ष और एनएसयूआई के अध्यक्ष नीरज कुंदन 33 वर्ष के हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी व राजस्थान से सचिन पायलट को राहुल गांधी की निकटता के चलते कार्य समिति में शामिल किया गया है। आने वाले समय में पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी व राजस्थान में सचिन पायलट बड़ी भूमिका निभाएंगे।
कुछ माह पूर्व कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश में संपन्न हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने भारी बहुमत से सरकार बनाकर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कर दिया था। कर्नाटक व हिमाचल में भाजपा की सरकार चल रही थी। जिसे हराकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। इसी साल के अंत तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम व जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इन प्रदेशों की विधानसभा चुनावों के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनावों पर गहरा असर डालेंगे। कांग्रेस का प्रयास है कि लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान व छत्तीसगढ़ जहां उनकी पार्टी की सरकार है वहां फिर से अपनी सरकार बनाई जाए। मध्य प्रदेश में भाजपा ने दल बदल करवा कर कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी। वहां फिर से कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाकर पार्टी को मजबूत किया जाए। कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में भी अपने खोए हुए जनाधार को फिर से हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। विपक्षी दलों के कई बड़े नेता पिछले दिनों वहां कांग्रेस की सदस्यता ले चुके हैं।
कांग्रेस पार्टी का पूरा ध्यान अगले लोकसभा चुनावों पर केंद्रित है। कांग्रेस के बड़े नेता चाहते हैं कि हाल ही में बनाए गए इंडिया गठबंधन को एकजुट कर अगला लोकसभा चुनाव लड़ा जाए ताकि केंद्र से भाजपा को सत्ता को हटाया जा सके। कांग्रेस आलाकमान इंडिया गठबंधन में शामिल उन सभी दलों से अपने राजनीतिक संबंध सामान्य करने का प्रयास कर रहा है जिससे आगे चुनाव में आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा कर भाजपा के खिलाफ एक सीट पर एक ही प्रत्याशी उतारा जा सके। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व का पूरा जोर विपक्षी एकता को सुदृढ़ करने पर लगा हुआ है। जिसका लाभ उन्हें आने वाले चुनाव में मिलने की संभावना नजर आ रही है।
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