यमराज (यमराज ) देवता रहस्य*

images - 2023-08-26T095808.832

*

डॉ डी के गर्ग

बचपन से ही हमारे अंदर एक कहानी इस तस्वीर के साथ भर दी जाती है की मृत्यु के समय प्राण को लेने यमराज नामक शरीरधारी पुरुष भैसे की सवारी करते हुए आएगा ओके हाथो में हथियार है और बड़ा ही खूंखार व्यक्ति है जो किसी की प्राण ले जाता है। तब यमदूत उसकी पीठ पर चाबुक मारते हुए उसे आगे ले जाते हैं। वह जीव जगह-जगह गिरती है और बेहोश हो जाती है। फिर उठ कर चलने लगती है। इस प्रकार यमदूत जीवात्मा को अंधकार वाले रास्ते से यमलोक ले जाते हैं।जाकर उसको फिर कर्मो अनुसार हिसाब करते हुए ईश्वर के दरबार में ले जाता है जहा उसको सजा दी जाती है। कभी ऐसा भी हुआ की यमराज गलती से दुसरे के प्राण ले गया बाद में उसको वापिस लाने पड़े। एक कथा में सत्यवान पुरुष के प्राण यमराज को उसको पत्नी सावित्री के आग्रह के कारण वापिस छोड़ने पड़े ।
शनिदेव , अश्वनीकुमार , यमुना , भद्रा , वैवस्वत मनु , रेवंत , सुग्रीव , श्राद्धदेव मनु और कर्ण इनके भाई और इनकी जुड़वां बहन यमुना (यमी) है। वे परम भागवत, बारह भागवताचार्यों में हैं। यमराज दक्षिण दिशा के दिक् पाल कहे जाते हैं और मृत्यु के देवता माने जाते हैं।यमलोक में यमराज के अलावा उनकी २३ जीवनसंगिनियाँ भी रहती हैं जो बहनें और दक्ष प्रजापति की कनयाएं हैं। वे हैं – धुमोरना , शान्ति , सिद्धिका, कीर्ति , मैत्री , दया , तुष्टि , पुष्टि , श्रद्धा , लज्जा , बुद्धि , क्रिया , मेधा , मरुवती , अरुन्धती , वसु , जामी , संकल्प , लाम्बा , भानु , महूर्त , विश्वा और सन्ध्या। चित्रगुप्त उनका मुंशी है जो जीवों के कर्मों का लेखा जोखा रखता है। यमराज की पत्नी का नाम धुमोरना है जो वध की देवी हैं।
कथाकारों के अनुसार यमराज का वध भी हो चूका है। वध करने के लिए शिव ने अपने गण भैरव को भेजा और भैरव ने डंडे के प्रहार से यमदूतों पर हमला किया. इससे यमराज क्रोधित होकर भैंसे पर बैठकर यमदंड हाथ में लेकर वहां पहुंचे. उस समय शिव के जयेष्ट पुत्र कार्तिकेय श्वेत मुनि की रक्षा करने के लिए वहां मौजूद थे. तब कार्तिकेय ने शक्ति अस्त्र से यमराज का वध कर दिया।
विश्लेषण :
उपरोक्त काल्पनिक कथा तो हुई अज्ञानियों की , जिन्होंने ऋषि करत वैदिक साहित्य बिना अध्ययन किये गपोड़ कथा लिख डाली जो किसी तुकबंदी से भी बदतर है। बेचारा यमराज फ़िल्मी कथा की तरह पैदा हुआ और मार भी दिया।
वैसे किसी भी गूढ़ विषय को समझाने के लिए किसी काल्पनिक कथानक का सहारा लेना कोई गलत नहीं है लेकिन ,ये तो सरासर गप्प और पाखंड भरी कथा है। इस कथानक की वास्तविकता समझने का प्रयास करते है।
वैदिक साहित्य में यम शब्द ईश्वर के लिए प्रयोग हुआ है।
(यमु उपरमे) इस धातु से ‘यम’ शब्द सिद्ध होता है। ‘य सर्वान् प्राणिनो नियच्छति स यमः’ जो सब प्राणियों के कर्मफल देने की व्यवस्था करता और सब अन्यायों से पृथक् रहता है, इसलिए परमात्मा का नाम ‘यम’ है।
इसके अतिरिक्त महर्षि पतंजलि कृत पातंजल योगदर्षन में वर्णित अष्टांग योग में पाँच यमों को स्वीकार किया गया है।

अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहायमाः । ( 2 / 30 )
अर्थात अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह ये पाँच यम है।
यम और नियम द्वारा मनुष्य के मन की बुराइयां जैसे राग-द्वेष, हर्ष-शोक, जीवन-मृत्यु, काम-क्रोध आदि दूर की जाती हैं और इस प्रकार निर्मल हुआ मन परमेश्वर से एकाकार हो जाता है। लेकिन याम के पालन करने वाले मानव का स्वामी ईश्वर जिसे यमराज भी कह सकते है। और ये ईश्वर जन्म से लेकर मृत्यु तक का सभी हिसाब रखता है और उसी के अनुसार दंड देने हारा है।

उपरोक्त के अतिरिक्त एक यम और नचिकेता संवाद भी काफी प्रसिद्ध है :
नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद का उल्लेख हमें कठोपनिषद में मिलता है। संवाद कथा के अनुसार नचिकेता के पिता जब विश्वजीत यज्ञ के बाद बूढ़ी एवं बीमार गायों को ब्राह्मणों को दान में देने लगे तो नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि आप मुझे दान में किसे देंगे? तब नचिकेता के पिता क्रोध से भरकर बोले कि मैं तुम्हें यमराज को दान में दूँगा।चूँकि ये शब्द यज्ञ के समय कहे गए थे। अतः नचिकेता को यमराज के पास जाना ही पड़ा।यमराज अपने महल से बाहर थे इस कारण नचिकेता ने तीन दिन एवं तीन रातों तक यमराज के महल के अंदर प्रतीक्षा की। तीन दिन बाद जब यमराज आए तो उन्होंने इस धीरज भरी प्रतीक्षा से प्रसन्न होकर नचिकेता से तीन वरदान मांगने को कहा।इसके उत्तर में तब यमराज ने नचिकेता को अग्नि ज्ञान दिया जिसे नचिकेता अग्नि भी कहते हैं।
नचिकेता अग्नि की विस्तृत व्याख्या —
जैसे की पहले लिखा जा चुका है की उपनिषद में एक गूढ़ ज्ञान की बातों को एक कथानक का रूप देकर समझाया गया हैं और जिसका भावार्थ सत्य और समझना ज़रुरी है।इसलिए कथा के मूल भाव पर ध्यान देना जरुरी है न कि काल्पनिक व्यक्ति की खोज करने और किसी अन्य कथा से जोड़ने का कोई प्रयास किया जाए।
इस कथा में दो मुख्य पात्र है – १ नचिकेता २ यमराज
यहाँ नचिकेता का अर्थ है- जिज्ञासु (एक काल्पनिक व्यक्ति जो प्रश्न पूछता है )और यमराज का अर्थ हैं- एक विद्वान यानि धर्मराज जिसको यम नियम धर्म आदि का पूर्ण ज्ञान हो और जिसके ज्ञान क्षेत्र इतना विशाल हो कि उसको धारण करने से कोई भी व्यक्ति मृत्यु से अमरता की ओर जा सकता है। इसलिए इसमें एक जिज्ञासु (नचिकेता) दूसरे विद्वान (यमराज) से प्रश्न करता है।

Comment: